दधीचि…बुजुर्गों की ईर्द गिर्द घूमती मार्मिक कहानी…समाज पर करता कटाक्ष..अतिथियों ने कहा…साहस को सलाम

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–नाटक,मंचन अभिव्यक्ति की सबसे मजबूत और कारगर विधा है। नाटक सदियों से मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा है। समय के साथ नाटक ने उपलब्धियों के इतिहास लिखा। आजादी के आंदोलन में नाटक का योगदान कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। आजादी के बाद भी नाटक को लोगों ने ना केवल पसंद किया। बल्कि बढ़चढ़कर हिस्सा भी लिया। जाहिर सी बात है कि नाटक जागरूकता का हमेशा से सशक्त माध्यम रहा है। लेकिन कहने में दुख होता है कि आज हमारे शहर में नाटकों के प्रति लोगों की अभिरूचि कम हुई है। ये बातें छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक ने आदर्श कला मंदिर बिलासपुर के *दधीचि* नाटक के मुहूर्त  कार्यक्रम के दौरान कही।
                     शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला तिलक नगर में आदर्श कला मंदिर ने संस्था का 98वां नाटक दधीचि का मुहूर्त कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक ने कार्यक्रम में शिरकत लोगों को उत्साहित किया। इस दौरान विशिष्ट अतिथि विख्यात नवगीतकार डॉ अजय पाठक विशेष रूप मौजूद थे।
                   अतिथियों ने नाटक की बारीकियों जैसे संवाद अदायगी,भाषा और कहानी की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला। कलाकारों को उत्साहित भी किया। अतिथियों ने कहा कि आज इंसान के पास सब कुछ है यदि नहीं है तो समय…..। व्यस्त दिनचर्या में जहां कहानी लघुकथा बन चुकी है..वहीं समय नहीं होने से लोग नाट्य विधा के आनन्द से दूर होते जा रहे हैं।  अतिथियों ने अच्छी नाटक प्रस्तुति का गुरुमंत्र भी दिया। साथ ही विषयवस्तु चुनाव के लिए कलाकारों के साहस को सलाम किया।
                                     समिति के संरक्षक राघवेंद्र दुबे,आनंद प्रकाश गुप्ता और सनत तिवारी ने नाट्य कलाकारों का उत्साहवर्द्धन किया। उन्होने कहा कि घर मे घर मे पनपती सामाजिक बुराई, बुजुर्गों के प्रति हीनता की भावना को नाटक का विषय वस्तु बनाने पर नाट्यकार भारत वेद की जमकर तारीफ की। साथ ही नाटक की सफलता को लेकर शुभकामनाएं दीं।
                          नाटककार श्री पाण्डेय ने बताया कि नाटक “दधीचि”में नाट्यकार भरत वेद ने बुजुर्गों को केंद्र में रखकर पारिवारिक टूटन,नैतिक मूल्यों का ह्रास जैसी बुराइयों को दिखाने का प्रयास किया है। इसके अलावा कर्तव्य परायणता,देशभक्ति,भाईचारे,दधीचि की तरह दानशीलता,परोपकार जैसे उच्च मूल्यों को गीत संगीत के माध्यम से सजीव पेश करने का प्रयास किया है। दधिचि का मंचन अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में किया जाएगा। पाण्डेय ने कहा कि शहर के जागरूक लोगों में जाना पहचाना नाम आदर्श कला मंदिर 1976 से विभिन्न सामाजिक और समसामयिक विषयों को लेकर मंचन करता रहा है।
                 नाटक दधीचि के मुहुर्त कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष राजपाल कश्यप,उपाध्यक्ष दिग्विजय पाठक के अलावा नवीन सोनी, शुभ्रा दत्ता,देव कुमार,  श्रीति मजूमदार,सृजन दत्ता, बालकदास,टी श्रीनिवास समेत संस्था के सभी सम्मानीय सदस्य और कलाकार मौजूद थे।
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