दिग्गी बोले – भोपाल सीट पर नाथूराम गोड़से की जीत हुई…और महात्मा गाँधी हार गए

Chief Editor
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digvijay singh,congress,election,loksabha election,बिलासपुर । मध्यप्रदेश के पूर्व  मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि लोकसभा की भोपाल सीट के चुनाव में नाथूराम गोड़से की जीत हुई और महात्मा गाँधी हार गए। एक कार्यक्रम में शामिल होने बिलासपुर आए   दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओँ के सवालों के जवाब देते हुए यह बात कही। उनका कहना था कि चुनाव की राजनीति में हार -जीत चलती रहती है। पाँच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को बड़ी शिकस्त दी थी।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

             
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एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि राहुल गाँधी ने स्वयं के विवेक से कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया   है।  हालांकि कांग्रेस का कोई भी व्यक्ति उनके इस निर्णय से सहमत नहीं है। लेकिन फिर भी उनके इस फैसले का सम्मान करते हैं और उनसे अनुरोध कर रहे हैं कि 1969 के बाद कांग्रेस का दो बार विभाजन हुआ और  दोनों बार कांग्रेस का नेतृत्व नेहरू – गाँधी परिवार ने किया । देश में कोई भी ऐसा परिवार नहीं है, जिसके दो प्रधानमंत्रियों ने अपनी शहादत दी हो । अब निर्णय उनको ही करना है।

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एक सवाल के जवाब में उन्होने प्रतिप्रश्न किया कि क्या बीजेपी में परिवारवाद नहीं है ….। यह पूछे जाने पर कि  मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की भारी पराजय की वजह क्या रही । इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि  चुनाव की राजनीति में हार – जीत लगी रहती है। पाँच महीने पहले बीजेपी को शिकस्त मिली थीि। यह पूछे जाने पर कि नर्मदा परिक्रमा के बाह भोपाल सीट पर उन्हे हार का समना क्यों करना पड़ा…। इस पर दिग्गी ने कहा कि नाथूराम गोड़से जीत गया और महात्मा गाँधी हार गए।

छत्तीसगढ़ से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने पर मुझे निजी तौर पर तकलीफ हुई थी। लेकिन यह निर्णय सही था। छत्तीसगढ़ प्रदेश ने अपने नैसर्गिक साधनों के बल पर तरक्की की है। यह देखकर अच्छा लगता है। उन्होने इस बात को भी याद किया कि उन्हे छत्तीसगढ़ के लोगों का हमेशा समर्थन मिलता रहा है। पूर्व मंत्री स्व. बी.आर. यादव का नाम लेते हुए   उन्होने कहा कि 1977 में  हम दोनोँ पहली बार विधायक चुनकर गए थे। उसके बाद से उनके जीवन पर्यंत पारिवारिक संबंध रहा। वे ईमानदार , कर्तव्यनिष्ठ और सहृदय व्यक्ति थे । आज के समय में ऐसे नेता मिलना मुश्किल है।

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी से जुड़े सवाल पर दिग्विजय सिंह बोले कि – अजीत जोगी मेरे मित्र थे और रहेंगे। जब वे राज्यसभा के सदस्य बने तब मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था। हम लोगों ने ही उन्हे राज्यसभा में लाया था। और जब वे मुख्यमंत्री बने तो मैने ही उन्हे कमान सौंपी थी। जब पूछा गया कि अजीत जोगी को फिर से कांग्रेस में लाएंगे…. इस पर दिग्गी ने कहा कि न मैने उन्हे कांग्रेस से निकाला है और न मैं उन्हे वापस ले सकता हूँ।

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