दिव्यांग तिलोत्मा ने लिखी आत्मविश्वास की परिभाषा

BHASKAR MISHRA
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tilottma kharra PHOTO PRबिलासपुर– किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से होती है। गर्ल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय की छात्रा तिलोत्तमा खारा ने इन पंक्तियों को अक्षरसः सच साबित कर दिखाया है। तिलोत्तमा खारा बीए पंचम सेमेस्टर की छात्रा हैं ।

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                         एसईसीएल के रविन्द्र भवन वसंत विहार में आयोजित सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समापन समारोह में पुरस्कार लेने पहुंची तिलोत्मा खारा के जज्बे को मंचस्थ अतिथियों ने दिल खोलकर सलाम किया है। दिव्यांग तिलोत्तमा खारा ने अपने महाविद्यालय में सतर्कता सप्ताह के दौरान ’’भ्रष्टाचार उन्मूलन’’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में न केवल भाग लिया बल्कि ज्यूरी ने उन्हें ’’तृतीय पुरस्कार’’ के लिए चयन भी किया।

                                   संभागायुक्त निहारिका बारिक सिंह के मुख्य आतिथ्य में आयोजित सम्मान समारोह में तिलोत्तमा के मंच पर कदम रखते ही उपस्थित सभी लोगों ने तालियों के साथ स्वागत किया। हौसले और जीवटता से लवरेज तिलोत्तमा ने मंच से कहा कि समाज के सभी लोग जीवन के प्रत्येक पल को खुशियों के साथ बिताने का संकल्प लें । तिलोत्मा के इतना कहते ही रविन्द्र भवन में तालियां गूंज उठीं।

              मंच पर पहुंचने के बाद लोगों तक अपनी बातों को पहुंचाने के लिए तिलोत्मा ने शेर का सहारा लिया। तिलोत्मा ने कहा कि जिंदगी है तो ख्वाब है, ख्वाब है तो मंजीलें हैं, मंजीले हैं तो फासले हैं, फासले हैं तो रास्ते हैं, रास्ते हैं तो मुश्किलें हैं, मुश्किलें हैं तो हौसले हैं, हौसले हैं तो विश्वास है, विश्वास है तो जीत है । उपस्थित अतिथियों ने खारा को सुनने के बाद कहा कि एसईसीएल के इस मंच को खारा ने आज ऊंचाई दी है।

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