दीनदयाल उपाध्याय की विचार भाजपा की प्राण शक्ति:आलोक

Shri Mi
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IMG_0960रायपुर।भाजपा प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण शिविर के तीसरे दिन चम्पारन में राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री वी. सतीश, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव, सह प्रांत संघचालक दिल्ली आलोक कुमार, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय विशेष रूप से उपस्थित रहे।राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा मुरलीधर राव ने अर्थायाम विषय पर अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि अर्थ के उत्पादन, विनिमय एवं उपभोग को व्यवस्थित करने के लिए अर्थायाम आवश्यक है। आर्थिक विकास की प्रक्रिया के प्रारंभ के लिए, अर्थव्यवस्था में अनुशासन बनाए रखने के लिए तथा राष्ट्र के आधारभूत लक्ष्यों की सिद्धि के लिए राज्य का कर्तव्य है कि वह आर्थिक क्षेत्र में नियोजन, निर्देशन, नियमन, नियंत्रण का सामान्यत: तथा विशेष क्षेत्रों और स्थितियिों में स्वामित्व व प्रबंध का भी दायित्व ले।

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                             IMG_0944उन्होंने कहा कि अर्थ के अभाव और प्रभाव दोनों से आर्थिक स्वतंत्रता का हनन होता है। लोकतंत्र में आर्थिक विकेन्द्रिकरण की महत्ता पर भी उन्होंने बल दिया। समाज में यदि आर्थिक स्रोत कुछ ही लोगों के अधीन हो जाएं तो समाज में असमानता फैलती है। इस कारण आर्थिक विकेन्द्रीयकरण आवश्यक है जिससे आर्थिक संसाधनों तक अधिक से अधिक लोगों की पहुंच हो सके तथा उसके प्राप्त फल पर सबका हक हो। उन्होंने आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर बल देते हुए कहा कि जो देश दूसरे देशों पर आर्थिक रूप से निर्भर होते हैं। उनके स्वाभिमान में कमी आ जाती है तथा ऐसा स्वाभिमान शून्य राष्ट्र कभी अपनी स्वतंत्रता की कीमत नहीं जान सकता। उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर बल दिया और कहा कि स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन हमारे अंदर राष्ट्रीयता की भावना जगाता है। अंग्रेज चले गये किन्तु अंग्रेजियत और अंग्रेजी वस्तुओं के उपभोग की लालशा छोड़ गये। जिसे स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग से ही दूर किया जा सकता है।

                                                    पार्टी के वित्तीय प्रबंधन और पार्टी की कार्य पद्धति पर माननीय वी. सतीश जी ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भाजपा की यात्रा भारतीय जनसंघ से प्रारंभ हुई। यह पार्टी का शैशवकाल था। हमारी पार्टी उस समय एक छोटे दल के रूप में कार्य करती थी जिसे मात्र 6 प्रतिशत वोट प्राप्त होते थे। धीरे-धीरे पार्टी का जनाधार बढ़ता गया साथ ही सीटों की संख्या के साथ-साथ सदस्य संख्या में भी वृद्धि हुई। पार्टी ने इसके अनुकुल विभिन्न मोर्चाे और प्रकोष्ठों का गठन किया जैसे पार्टी में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की बढ़ती संख्या को देखते हुए महिला मोर्चा, अनुसूचित जाति मोर्चा, जनजाति मोर्चा, पिछड़ा वर्ग मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा गठित हुआ। आज पार्टी का स्वरूप इतना वृहद हो चुका है कि राजनीति एक कुशल प्रबंधन की मांग करती है।

                                              इस कारण पार्टी के आर्थिक पक्ष को सफल और सुचारू रूप से इस ढंग से संचालित करना आवश्यक हो गया है कि पार्टी के मूल सिद्धांतों पर आर्थिक पक्ष हावी न हो किन्तु आर्थिक लेनदेन जैसे सदस्यों से प्राप्त शुल्क, विभिन्न स्रोतों से प्राप्त चंदा का हिसाब रखा जा सके। हमारी पार्टी अन्य राजनीतिक दलों से अलग हट कर है। हमारी यह स्पष्ट सोच है कि हम राजनीतिक शुचिता का ध्यान रखते हुए पार्टी के सभी कार्यों में पारदर्शिता रखें जिससे जनमानस में हमारी पार्टी की छवि स्वच्छ और मजबूत बनी रहे।

                                         आलोक कुमार ने एकात्म मानववाद और उसके प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय जी पर अपने विचार रखे। वे दीनदयाल जी का जीवन चरित्र बताते हुए भावुक होते हुए कहा कि अत्यंत निर्धन परिवार में जन्में दीनदयाल जी ने परिश्रम से अच्छी शिक्षा उच्च श्रेणी में हासिल की जो भविष्य के लिए यही उनका सहारा थी किन्तु संघ की शाखा में उनके भीतर राष्ट्रवाद व देशप्रेम की ऐसी भावना जागृत हुई कि उन्होंने उसे ही अपना लक्ष्य माना और कहीं कदम न डगमगा जाएं इस हेतु उन्होंने अपनी सारी शैक्षिणिक डिग्रीयां जला डाली और यह कहा कि मेरे लिए किसी नौकरी को कर प्राप्त निजी गौरव से कहीं बढ़कर भारत माता का वैभव स्थापित करना महत्वपूर्ण है। दीनदयाल जी राष्ट्र निर्माण कार्य में निरंतर लगे रहे। आजादी के बाद देश में एक वैचारिक द्वंद्व चल रहा था कि हमें किस वाद पर हिन्दुस्तान को चलाना है। देश के समक्ष दो प्रमुख व्यवस्थाएं थी यथा साम्यवाद और पूंजीवाद। दीनदयाल जी ने कहा कि यह व्यवस्था पश्चिम की है हमें इनका अनुसरण नहीं करना है और उन्होंने युगानुकुल और देशानुकुल व्यवस्था दी जिसे एकात्म मानववाद कहा गया जिसे भाजपा अपनी प्राण शक्ति मानती है। दीनदयाल जी ने मनुष्य को समग्र रूप में देखा जबकि पश्चिम उसे खंडित रूप में देखता है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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