धान बोनस को लेकर मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा बेनकाब,8 जनवरी को छत्तीसगढ़ के गांव होंगे बंद

Shri Mi
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रायपुर।धान का बोनस न देने पर ही केंद्रीय पूल में चावल लेने के मोदी सरकार के फैसले की छत्तीसगढ़ किसान सभा ने तीखी निंदा की है और कहा है कि इस शर्त से केंद्र सरकार का किसान विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। मोदी सरकार की इस ओछी हरकत के खिलाफ 8 जनवरी को अन्य संगठनों के साथ मिलकर प्रदेश के गांवों को बंद रखने की घोषणा भी किसान सभा ने की है।जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार फसलों के सी-2 लागत के डेढ़ गुना मूल्य पर फसल खरीदने और सभी किसानों को कर्जमुक्त करने का के वादे पर आज तक अमल नहीं किया है। किसानों को राहत देने और उसकी मदद करने के बजाए उसने उन देशी-विदेशी कॉर्पोरेट घरानों का कर्ज माफ किया है, जिन्होंने योजनाबद्ध तरीके से बैंकों में आम जनता के रखे 15 लाख करोड़ रुपये हड़प लिए हैं और टैक्स में छूट के नाम पर हर साल 6 लाख करोड़ रुपये अपनी तिजोरी में भर रहे है। सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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किसान सभा नेताओं ने कहा कि किसी फसल पर बोनस देने की घोषणा करना राज्य सरकार का अधिकार है और केन्द्र सरकार की यह शर्त न सिर्फ उसके अधिकार का हनन है, राज्य और वहां के किसानों के साथ भेदभाव भी है। भाजपा और मोदी सरकार की ऐसी ओछी हरकत का यहां की जनता 8 जनवरी को ग्रामीण बंद का आयोजन करके मुंहतोड़ जवाब देगी। उन्होंने कहा कि यदि मोदी सरकार फसलों का लाभकारी समर्थन मूल्य घोषित करती, तो राज्य सरकारों को बोनस की घोषणा ही नही करनी पड़ती।

किसान सभा ने मांग की है कि राज्य में उत्पादित चावल का अधिशेष 32 लाख टन केंद्र सरकार उपार्जित करें और इस चावल का उपयोग देश में राशन दुकानों से वितरण के जरिये भूखमरी और कुपोषण से निपटने के लिए किया जाये, जो कि भाजपा राज में तेजी से बढ़ी है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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