धारा 144 को कांग्रेसियों की चुनौती..जिला प्रशासन से कहा…जनप्रतिनिधि और जनता के अधिकारों का हुआ हनन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—नगर निगम के कांग्रेस पार्षदों ने जिला प्रशासन से विभाग भवन से धारा 144 हटाए जाने की मांग की है। कांग्रेस पार्षदों ने लिखित में बताया कि विकास भवन में कभी भी ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग नहीं किया गया। निगम आटोनोमी संस्था है। पार्षद निगम का न्यासी होता है। जनता की समस्याओं को लेकर आता है। समस्याओं का निराकरण करता है। जाहिर सी बात है कि जनता का कार्यालय होने के कारण लोगों की भीड़ कम या अधिक संख्या में आएगी। काम काज केे दौरान भी़ड़ भी होगी। बावजूद इसके एक पक्षीय कार्रवाही कर निगम क्षेत्र में धारा 144 लगाया जाना गैर संवैधानिक है। ऊपर से विकास भवन में पोस्टर लगाया गया है कि क्षेत्र में 144 धारा लागू है। जनता में भय का वातावरण बन गया है।

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                          कांग्रेस पार्षदों ने आज जिला कार्यालय पहुंचकर विकास भवन से धारा 144 हटाए जाने की मांग की है। कांग्रेस पार्षदों ने लिखित में बताया कि विकास भवन में एक हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। नगर निगम का सारा काम  यही से संचालित होता है। दिन भर में हजारों की संख्या में लोगों का आना जाना होता है। कोई संपत्तिकर पटाने आता है तो कोई बिजली पानी,पेयजल,सड़क,स्वच्छता,सुरक्षा सम्बधित परेशामियों को रखने आता है। निगम कार्यालय से पेंशन समेत कई जनहितकारी योजनाए संचालित होती हैं। जाहिर सी बात है कि नगर कार्यालय होने के कारण लोगों की भीड़ तो होगी ही।

              कांग्रेसी पार्षदों ने बताया कि नगर पालिक निगम स्वायत्त संस्था है। इसका संचालन अधिनियम 1956 के तहत संचालित होता है। शहरवासियों की मूलभूत समस्याओं को दूर करना निगम प्रशासन का कर्तव्य है। निगम के सामने अपनी समस्याओं को रखना लोगों का संवैधानिक अधिकार है। कल कारखानों का नियमन भी निगम से ही होता है। भवन निर्माण से लेकर जन्म मृत्यू प्रमाण पत्र भी निगम कार्यालय से बनता है। ऐसे में भीड़ का होना स्वभाविक प्रक्रिया है। बावजूद इसके परिसर में धारा 144 लगाना संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

                                  निगम में जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं। समूह में ही एमआईसी की बैठक होती है। पार्षद महापौर के साथ लोग भीड़ या झुण्ड में निगम कार्यालय आते हैं। ऊपर से विकास भवन में धारा 144 का पोस्टर लगाए जाने के बाद लोगों में दहशत है।

   कांग्रेस नेताओं ने जिला प्रशासन को बताया कि शांतिपूर्ण बात रखने के बाद भी सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर पुलिस बल प्रयोग किया है। जनप्रतिनिधिनियों को घसीटकर गाड़ी में बैठाया गया। कई बार गिरफ्तार कर थाने में रखा गया। महिला पार्षदों से दुर्रव्यवहार किया गया। पुलिस कार्रवाई के बाद महिला पार्षदों में डर बैठ गया है। पुलिस कार्रवाई सरासर मानव अधिकार का उल्लंघन है। पुलिस बल लगाना किसी भी सूरत में उचित नहीं है। यह जानते हुए भी देश में पशुओं के खिलाफ भी अत्याचार का अधिकार नहीं है। बावजूद इसके पार्षदों के साथ पुलिस के हाथों सत्ता पक्ष ने गलत व्वयहार किया है। जिला प्रशासन का कर्तव्य है कि लोगों के अधिकारों की सुरक्षा करे। तत्काल प्रभाव से विकास भवन क्षेत्र से धारा 144 खत्म किया जाए। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि परिसर में बैठ भी है। धारा 144 लगने के बाद लोगों का आना जाना बंद होगा। जाहिर सी बात है कि इसका नुकसान नगर निगम को होगा।

                                कांग्रेस नेताओं ने पत्रकारों को बताया कि मामले की शिकायत और धारा हटाने के लिए मुख्य न्यायाधीश हाईकोर्ट,राज्यपाल,मुख्यमंत्री,प्रमुख सचिव और कमिश्नर से भी मांग करेंगे। कांग्रेसियों ने कहा कि जिला प्रशासन ने धारा 144 लगाना एकपक्षीय निर्णय है। इसे किसी भी सूरत में हटाया जाना चाहिए।

                          कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने अपनी शिकायत कलेक्टर की अनुपस्थित में एडिश्नल कलेक्टर पैकरा को दिया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष शेख नजरूद्दीन, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश पाण्डेय,कांग्रेस पार्षद दल प्रवक्ता शैलेन्द्र जायसवाल, अखिलेश वाजपेयी,पूर्व महापौर राजेश पाण्डेय,तरू तिवारी,ऋषि पाण्डेय,सुभाष सिंह ठाकुर समेत अन्य लोग थे।

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