धारा 370 अब इतिहास का हिस्सा, कब – क्या हुआ …. ? इतिहास के छात्रों के लिए जानना जरूरी

Shri Mi
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बिलासपुर।
आजादी के बाद 73 वे स्वतंत्रता दिवस से 10 दिन पूर्व भारत का समकालीन इतिहास सुर्खियों में आ गया है।पांच अगस्त 2019 को संसद के उच्च सदन राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 पास हो गया। राज्य सभा मे पेश हुए इस विधेयक की चर्चा विदेशों में ,आम लोगो के बीच, घरों में , मिडीया में ,सोशल मीडिया में चौक चौराहों व स्कूली छात्र के बीच आपसी चर्चा का मुख्य विषय बन गया। देश के उच्च सदन राज्यसभा में हुए घटनाक्रम अब इतिहास में दर्ज हो गया है। इस बिल के पूर्व का जम्मू कश्मीर, पूर्व की राजनीतिक और राज्य की व्यवस्था और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के बाद कि राजनीतिक व्यवस्था नीति नियम कश्मीर में हुए बदलाव आगे आने वाली प्रतियोगी परीक्षा में छाए रह सकते है। स्कूली छात्र जम्मू कश्मीर पर हुए बदलाव की बारीकी को समझना चाहता है। क्योंकि जम्मू कश्मीर में पूर्व लागू धारा 370 एक देश मे दो अलग अलग कानून का बोध करती थी।सीजीवाल डॉटकॉम के व्हाट्सएप Group से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

             
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जम्मू कश्मीर में पूर्व में लागू धारा 370 और 5 अगस्त—जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 को स्कूली छात्रों को सरल शब्दों में समझ आये इस इस विषय को लेकर CCA कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालक सत्येंद्र शाह से चर्चा हुई और उन्होंने बताया कि स्कूलों में समकालीन इतिहास औऱ राजनीति शास्त्र स्कूली बच्चे कई कक्षाओ में पढ़ रहे है। लेकिन सोमवार को हुए राज्य सभा मे राजनीतिक घटनाक्रम अब इतिहास में दर्ज हो जाएगा।

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उन्होंने ने बताया इस घटनाक्रम से स्कूली छात्रो की जिज्ञासा भी बढ़ गई है।प्रदेश के शिक्षक छात्रो की जिज्ञासा शांत कर इस विषय पर छात्रो से संवाद करना चाहिए। इस दौर में उठे छात्रो के सवालों के और उनके जवाब उन्हें हमेशा याद रहेंगे। यह आजादी के बाद सबसे बड़ा राजनीतिक संवैधानिक बदलाव है। और बच्चे इसे अभी आसानी से समझ सकते है।

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सत्येंद्र शाह सरल शब्दों में बताते है कि 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ. कश्मीर रियासत के महाराज हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय को मंजूरी दे दी, जिस पर 26.अक्टूबर 1947 को गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन ने दस्तखत कर दिए. और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया गया. इसके लिए संविधान में 17 अक्टूबर, 1949 को एक अनुच्छेद लाया गया था. अनुच्छेद 370. ये संविधान के भाग 21 का पहला अनुच्छेद है. इसके तीन हिस्से हैं-

1. इसके तहत राष्ट्रपति संसद के बने कानूनों और भारतीय संविधान के अनुच्छेदों को जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा की इजाजत से राज्य में लागू कर सकते हैं.

2. राज्य के लिए अगर कोई कानून बनना है तो उसे बनाने से पहले राज्य की संविधान सभा की मंजूरी लेनी होगी.

3. राष्ट्रपति इस अनुच्छेद को पब्लिक नोटिफिकेशन जारी करके खत्म कर सकता है. लेकिन इसके लिए राष्ट्रपति को राज्य की संविधान सभा की मंजूरी लेनी होगी.

भारतीय संविधान के भाग 21 का पहला अनुच्छेद है 370, जिसमें जम्मू-कश्मीर से जुड़े नियम बनाए गए हैं.ये एक मोटा-माटी व्याख्या है. इसी के तहत पूरे जम्मू-कश्मीर की व्यवस्था चलती रही और यही विवाद की जड़ भी थी. विवाद की जड़ इसलिए थी कि अगर इन तीनों बिंदुओं की व्याख्या की जाए तो एक बात साफ हो गई थी. और वो ये है कि जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान है. और इस संविधान ने जम्मू-कश्मीर को अलग से कुछ ताकतें दी हैं-

# अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है.

# इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर के बारे में संसद सिर्फ रक्षा, विदेश मामले और संचार के मामले में ही कानून बना सकती थी.

# अगर संसद ने कोई कानून बनाया है और उसे जम्मू-कश्मीर में लागू करना है तो राज्य की विधानसभा को भी इसकी मंजूरी देनी पड़ती थी.

# जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता था. इस अनुच्छेद के तहत भारत के राष्ट्रपति किसी भी राज्य की चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर सकते हैं.

# जम्मू-कश्मीर में जम्मू-कश्मीर के अलावा किसी दूसरे राज्य का नागरिक ज़मीन नहीं खरीद सकता है.

# जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 साल होता है.

# जम्मू-कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है.

# जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग है.

# सूचना का अधिकार (आरटीआई) लागू नहीं होता है.

# शिक्षा का अधिकार (आरटीई) लागू नहीं होता है.

# जम्मू-कश्मीर में आईपीसी की धाराएं लागू नहीं होती हैं. इसके लिए अलग से आरपीसी यानी कि रणबीर पीनल कोड है, जिसके तहत किसी को दंड दिया जाता है.

जम्मू-कश्मीर में कैसे लागू हुआ था अनुच्छेद 370?

भारतीय संविधान का प्रारूप बनाने वाली समिति के एक मेंबर थे. नाम था एन गोपालस्वामी आयंगर. उनके पास जम्मू-कश्मीर के मामलों को भी देखने की जिम्मेदारी थी. जब जम्मू-कश्मीर के भारत के साथ आने की बात चल रही थी, तो उन्होंने संविधान में अनुच्छेद 306 (A) का प्रारूप पेश किया. इसके तहत जम्मू-कश्मीर को भारत के दूसरे राज्यों से अलग अधिकार मिलने की बात थी. बाद में इसी अनुच्छेद को खत्म करके अनुच्छेद 370 नाम दे दिया गया. 17 अक्टूबर, 1949 को इस अनुच्छेद को भारतीय संविधान में जोड़ दिया गया. उस वक्त गोपालस्वामी आयंगर ने बार-बार इस बात को दुहराया कि जनमत संग्रह करवाया जाएगा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा अलग से अपना संविधान बना सकेगी.

क्या अनुच्छेद 370 का प्रावधान अस्थायी था?

भारतीय संविधान के भाग 21 का पहला अनुच्छेद है 370. साफ लिखा गया है कि ये अनुच्छेद टेंपररी, ट्रांजिशनल और स्पेशल है.
भारतीय संविधान के भाग 21 की पहला अनुच्छेद है अनुच्छेद 370. अनुच्छेद 370 को इस आधार पर अस्थाई करार दिया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पास इस बात का अधिकार था कि वो इस अनुच्छेद में संशोधन कर सके या फिर इसे खत्म कर सके. लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने इसे बनाए रखने का फैसला किया था. दूसरी व्याख्या ये भी है कि जब तक जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह नहीं होता है, ये अनुच्छेद अस्थाई ही रहेगा.

क्या खत्म किया जा सकता है अनुच्छेद 370?

370 3
अनुच्छेद 370 (3) में ही इस अनुच्छेद को हटाने का भी प्रावधान दिया गया है.
इसका जवाब है हां. अनुच्छेद 370 को राष्ट्रपति के आदेश से खत्म किया जा सकता है. अनुच्छेद 370 (3) में इसका प्रावधान है. इसके तहत अगर जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफारिश करती है, तो राष्ट्रपति उसे हटा सकता है. 26 जनवरी, 1957 को जब जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हो गया, तो संविधान सभा खत्म हो गई और उसकी जगह ले ली विधानसभा ने. ठीक उसी तरीके से, जैसे भारत की संविधान सभा खत्म हो गई और संसद अस्तित्व में आ गई. फिलहाल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग है और राज्यपाल ही सरकार चला रहे हैं. ऐसे में राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 खत्म कर सकते हैं. 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति के आदेश के हवाले से ही अनुच्छेद 370 के भाग दो और तीन को खत्म होने की बात कही है.

भारत जैसे देश के लिए अनुच्छेद 370 का क्या मतलब है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में जिक्र है भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का. इसमें जम्मू-कश्मीर भी आता है. अनुच्छेद 370 वो माध्यम है, जिसके जरिए भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू होता है. केंद्र सरकार की ओर से अब तक 45 बार इस अनुच्छेद का इस्तेमाल करके भारतीय संविधान को जम्मू-कश्मीर में लागू करवाया गया है.

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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