नए शिक्षा सत्र में नहीं बन पा रहा पढ़ाई लिखाई का तालमेल..ONLINE क्लास में आ रही दिक्कतें,बेहतर विकल्प की तलाश जरूरी

Chief Editor
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बिलासपुर(मनीष जायसवाल)13 मार्च को बंद हुए स्कुलो को लगभग  चार महीने  दस दिन हो रहे है। नए सत्र के इस वक्त तक  स्कूलो में पढ़ाई लिखाई के   लय-ताल  का मेल हो जाता था। परन्तु कोरोना ने सब पर ग्रहण लगा दिया। शिक्षा विभाग के इस सुर ताल को मिलाने के लिए  कोरोना काल मे पढ़ाई तुंहर द्वार  शुरू किया गया पर यह आन लाइन पढ़ाई का सुर-ताल का तालमेल  पालकों व छात्रो को पसंद नही आया है न ही शिक्षको को पसंद कर रहे है। वे छात्र जो इस आन लाइन पढ़ाई तुंहर द्वार के आनंद से वंचित है जिनके पास मोबाइल नही है। जिस वजह से  उन्हें ये सब बेसुरा लग रहा है।कोरोना काल के वर्तमान दौर की हालात को देखते हुए आने वाले एक दो महीने में इस दौर की स्थिति कैसी होगी इसके सामाजिक ,राजनैतिक , प्रशासनिक और संगठन से जुड़े लोग  कयास लगा रहे है कि आगामी दौर भी लॉक डाऊन और अनलॉक डाऊन के पेंच में कैसे उलझा हुआ रहेगा।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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जानकारों का कहना है कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में वतर्मान दौर को देखते हुए… नए शार्ट सिलेबस के आभव में व्यवस्था दिशा हीन दिखाई दे रही है।इस दौर में आन लाइन कार्य राम बाण साबित हुआ होता अगर इसमे केवल मोबाईल के भरोसे नही रखा गया होता …! इस कार्य  को करने वालो के लिए  इस कार्य मे दक्षता बेहद जरूरी है। जिसके लिए  पालक छात्रो और शिक्षको को इसे समय देना होगा औऱ अधिक प्रयास करना करना होगा।शिक्षक भी छात्रो के भविष्य की चिंता करने लगे है। जिसकी वजह नेटवर्क और सभी छात्रो के पास स्मार्ट मोबाईल न होना है।

शिक्षक नेता आलोक पाण्डेय बताते है कि कोरोना काल में शिक्षकों ने कई महत्वपूर्ण कार्यो में  अग्रिम पंक्ति में रह कर कोरोना वारियर्स की भूमिका अदा की है।वर्तमान दौर में शिक्षा व्यवस्था कि बदहाल व्यवस्था की गंभीरता को अब शिक्षक भी समझ  चुके रहे है।प्रदेश के बहुत से शिक्षक आन लाईन शिक्षण कार्य के दौरान बहुत ही व्यवहारिक और तकनिकी दिक्कतों का सामना करते हुए भी पढ़ा भी रहे है। आन लाइन के दौरान छात्रो की कम उपस्थित  से शिक्षको को यह अफसोस हो रहा है कि उनकी मेहनत का फल सभी छात्रो को नही मिल पा रहा है।

बिलासपुर के शिक्षक संगठन के पदाधिकारी शिक्षक नेता आलोक पाण्डेय बताते है कि कोरोना काल में सबसे अधिक शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है। वतर्मान और भविष्य को देखते हुए नया सिलेबस बेहद जरुरी है।उससे भी जरूरी  हर गाँव के स्कूली बच्चों तक ऑन लाइन कक्षा के ऑडियो वीडियो को पहुँचना है। जिसके लिये व्यवहारिक निर्णय लेना जरूरी है। नेटवर्क की कमी हर बच्चे व पालक के पास स्मार्ट मोबाइल न होना है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए शासन ने नए विकल्पों की ओर देखना होगा और तत्काल निर्णय लेना होगा।

आलोक पाण्डेय का कहना है कि  प्रदेश में कई छात्रो के मोबाइल नम्बर उनके पालकों के व अन्य परिजनों या पड़ोसियों के भी दर्ज है। कई पालक अपने दैनिक कार्य दौरान अगर घर से बाहर हो मोबाइल साथ ले गए हो तो भी छात्रो को लाभ नहीं मिलेगा। कई बार शिक्षक छात्रो को प्रेरित करने के लिए फोन करते है तो कुछ लोग शिक्षको से सामान्य व्यवहार नही किये है।

कई जगह आन लाइन कक्षाओ के दौरान अभद्रता की शिकायत आई है। शिक्षको ने उसे नज़र अंदाज कर दिया है। PTD के योजनाकार भी इस समस्या से वाकिफ है। शिक्षक अभद्रता सह कर भी यह कार्य कर रहा है। क्योंकि शिक्षको को भी अब अपने स्कूल के बच्चों की चिंता सताने लगी है।एक बच्चा भी अगर आन लाइन पढ़ रहा है तो शिक्षक पूरी मेहनत से पढ़ा रहा है। आलोक का कहना है कि 13 के फेर को कोरोना के काल के इस दौर में शुभांक में बदला जा सकता है। जिसके लिए जरूरत नए विकल्पों को धरातल पर तत्काल अमल में लाने की है ।विकल्प भी ज़मीनी स्तर से हो और ऐसे हो जिससे महामारी फैलने का खतरा भी न हो।

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