मुंगेली(आकाशदत्त मिश्रा)। गर्मी के मौसम में नगर पालिका ने मच्छरों पर नियंत्रण पाने फागिंग अभियान नहीं चलाया। बारिश के मौसम में नालियों और पानी के जमाव वाले स्थानों पर जले तेल या मैलाथियान का छिड़काव का काम शुरू नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। आम जनता लगातार मच्छर उन्मूलन अभियान चलाने की मांग कर रही है ।इसके बावजूद नगर पालिका प्रशासन ने एंटी लार्वा अभियान शुरू नहीं किया।इस पर यदि स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर गौर करे तो किसी भी प्रकार की प्लानिंग नज़र नही आ रही है।
नगर के वार्डो में जगह जगह पानी का जमाव है इन स्थानों पर मच्छरों के लार्वा पनपते हैं। नालियों में भरे पानी में भी इसी सीजन में लार्वा पनपते हैं।मच्छरों के लार्वा पनपने से रोकने के लिए मैलाथियान या जले तेल का छिड़काव होना चाहिए लेकिन नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग इस समस्या की ओर जरा भी ध्यान देता नज़र नही आ रहा है, पूछे जाने पर नगर पालिका के अफसर छिड़काव की बात तो कहते है लेकिन नगर की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही है।
VIP इलाको को छोड़कर पूरे शहर को नज़रअंदाज़ किया गया है सच तो यह है कि अफसर यह तय नहीं कर पाए हैं कि छिड़काव का काम कब से शुरू होगा।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुंगेली नगर पालिका के पास सिर्फ एक फॉगिंग मशीन के सेट है जिसे फायर ब्रिगेड की छोटी गाड़ी के माध्यम से उपयोग में लाया जाता है लेकिन कब उपयोग में लाया जाता है।
इसकी जानकारी ना तो जनता को है ना ही अधिकारियों को सिर्फ इतना ही नही मुंगेली नगर पालिका प्रशासन जनता के स्वास्थ्य के साथ इस कदर खिलवाड़ करने पर तुला है कि वर्तमान समय मे उस छोटी फायर ब्रिगेड की गाड़ी को विज्ञापन प्रचार में उपयोग किया जा रहा है।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजेश गुप्ता के अनुसार लार्वा कंट्रोल करने दवाई लार्वा हिट का उपयोग बाकायदा किया जा रहा है लेकिन विशेषज्ञों की माने तो जले तेल या मैलाथियान का छिड़काव करने पर ही लार्वा नष्ट होते है।
नगर पालिका प्रशासन लापरवाही बरत रहा
मुंगेली नगर पालिका प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग डेंगू मलेरिया जैसी बीमारियों को लेकर बेपरवाह मालूम पड़ रहा है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला स्वास्थ्य विभाग की कोई भी प्लानिंग नज़र नही आ रही और पूरे मुंगेली के लिए नगर पालिका के पास मच्छरों पर नियंत्रण करने उपयोग में लाने वाली फॉगिंग मशीन सिर्फ एक है। पूर्व समय मे कुल 5 मशीन लायी गयी थी लेकिन बिना उपयोग किये उन्हें वापस भेज दिया गया। इसकी वजह आज भी अस्पष्ट है।
शहर में मच्छरों के पनपने का यह सबसे मुफीद मौका नजर आ रहा है। एक तो तापमान की दृष्टि से मार्च-अप्रैल इनके फलने-फूलने के लिए बेहतर समय है। दूसरे इन्हें नियंत्रित करने वाले विभागों के पास न तो संसाधन हैं, न कार्ययोजना, न ही इच्छा शक्ति नतीज़तन जनता जानलेवा मच्छर जनित बीमारियों की दहशत में जीने को मजबूर हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक 15 दिनों के भीतर नालियों में एंटी लार्वा का छिड़काव होना चाहिए। पर ऐसा नहीं हो रहा जिससे लोगों का जीना दुश्वार है। मच्छरों के प्रकोप को कम करने की जिम्मेदारी शहर मलेरिया यूनिट, नगर पालिका व जिला मलेरिया विभाग की है। पर न तो लार्वा पनपने की जगह की पहचान हुई और न ही मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को रोकने की कोई कार्ययोजना बनी। हालात यही रहे तो मुंगेली जिले से मलेरिया पीड़ितों का आंकड़ा प्रदेश में सबसे अधिक पाया जाएगा इस बात से इंकार नही किया जा सकता।