बिलासपुर–बहुचर्चित नसबंदी काण्ड मामले में उच्च न्यायालय ने सुनवाई में प्रकरण को निराकृत कर राज्य सरकार को गाइड लाइन जारी किया है। तखतपुर ब्लाक के सकरी स्थित नेमीचंद जैन निजी अस्पताल में 8 नवम्बर 2014 को नसबंदी कैंप का आयोजन किया गया था। टारगेट पूरा करने के चक्कर में सौ से ज्यादा महिलाओ का आपरेशन एक ही दिन में कर दिया गया। आपरेशन के दौरान जमकर लापरवाही सामने आयी। आपरेशन और दवा के रिएक्शन से शहर के विभिन्न अस्तपालों में भर्ती 13 महिलाओ की इलाज के दौरान मौत हो गयी।
नसबंदी के बाद कई महिलाएं गंभीर रूप से बीमार हो गयीं। जिसका खामियाजा उन्हे आज भी भुगतना पड़ रहा है। मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका की सुनवाई कर राज्य सरकार को समय-समय पर दिशा निर्देश दिए। कोर्ट ने अधिवक्ता सलीम क़ाज़ी और सुनीता जैन को न्यायमित्र भी बनाया।
सामाजिक कार्यकर्ता देविका विश्वास ने जनवरी 2012 में बिहार राज्य के अररिया जिले के कापरफोरा गाँव के मिडिल स्कूल के कमरे को आपरेशन थियेटर बना दिया था। बिना सुरक्षा इंतज़ाम के आपरेशन मामले में सामाजिक कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में देविका विश्वास बनाम यूनियन ऑफ़ इण्डिया जनहित याचिका लगाई थी। छत्तीसगढ़ में भी सुरक्षा में लापरवाही से नसबंदी काण्ड में उच्च न्यायालय की युगल पीठ न्यायधीश चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता और न्यायधीश संजय अग्रवाल ने सुनवाई करते हुए मामले को निराकृत कर राज्य सरकार को देविका विश्वास के दिशा निर्देश को अनुशरण करने का फरमान जारी किया है।