नामांकन राशि गिनने में लगा एक घण्टा…शिवसैनिक ने कहा…लोगों ने चंदा कर दिए 10-5 रूपए..बिल्हा से लड़ूंगा चुनाव

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर— कलेक्टर कार्यालय पहुंचे पहुंचे शिवसैनिक ने नामांकन फार्म खरीदने के लिए अलग अलग पालिथीन में दस और पांच रूपए के सिक्के में दिया। पहले तो कर्मचारियों ने समझाने का प्रयास किया कि नोट होते तो बेहतर होता। लेकिन शिवसैनिक ओमप्रकाश साहू ने कहा कि मैं नोट में दस हजार रूपए कहां से लाऊं। क्योंकि दस और पांच रूपए के सिक्के लोगो के सहयोग मिले हैं। क्योंकि बिल्हा की जनता दोनों पार्टियों के नेताओं से परेशान हो चुके हैं। इसलिए जनता ने मुझे चंदा देकर नामांकन फार्म खरीदने भेजा है। मैं चुनाव सिक्के को नोट में बदलने के लिए नहीं..बल्कि जीतने और परिवर्तन के लिए लड़ रहा हूं।

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                   आज कलेक्टर कार्यालय में एक ऐसा भी प्रत्य़ाशी नामांकन फार्म लेने के लिए पहुंचा…जो लोगों के लिए किसी आकर्षण से कम नहीं था। अपने आप में खबर ओमप्रकाश साहू ने कहा कि वह बिल्हा विधानसभा के लिए शिवसेना की तरफ से चुनाव लडूंगा। मेरे पास नामांकन के लिए रूपए नहीं थे। स्थानीय और क्षेत्रवासियों ने पांच-पांच,दस-दस रूपए चंदा इकठ्ठा किया। उन्हीं पैसों से नामांकन पार्म लेने आया हूं।

                                        इस दौरान नामांकन फार्म विक्री कर रहे…अधिकारी और कर्मचारी दस पांच रूपए के सिक्के गिनते नजर आए। गिनगिन कर सिक्कों को अलग पोटली में बांधते रहे। ओमप्रकाश साहू सिक्कों को गिनते देखता रहा। मजेदार बात है कि अधिकारी सिक्के तो गिनते रहे..लेकिन उनके चेहरा पर समय की बरबादी की झलक भी दिखती रही। वहीं ओमप्रकाश साहू मजे से खड़ा अधिकारियों को सिक्का गिनते देखता रहा।

               यद्यपि कुछ लोगों ने कहा कि शायद मंदिर से सिक्कों को लाया गया है। लेकिन ओमप्रकाश साहू हर बार इंकार करता रहा कि ना तो सिक्का मंदिर से लाया है। और ना ही दादी या नानी ने दस पांच वाले सिक्कों को विरासत में छोड़ा है। सच्चाई तो यह है कि सभी सिक्के चंदा से इकठ्ठा हुए हैं। यद्यपि इन सिक्कों को बैंक में एक्सचेंज का भी प्रयास किया। लेकिन भीड़ होने के कारण बैंक ने सिक्का लेने से इंकार कर दिया।

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