नाम खराब

Shri Mi
8 Min Read

SUNDAY_FILE_SD(संजय दीक्षित)देश के नौकरशाह अभी तक रिश्वत लेने के नाम से जाने जाते थे। लेकिन, प्रमुख सचिव बीएल अग्रवाल ने आईएएस़ का नाम खराब कर दिया। बीएल दिल्ली के एक दलाल को रिश्वत देने के मामले में सीबीआई के हत्थे चढ़ गए। रिश्वत देने के आरोप में पकड़े जाने वाले वे देश के पहले आईएएस होंगे। देश में अब तक जितने भी आईएएस पकड़े गए हैं, सब घूस लेने के मामले में अंदर हुए हैं या फिर भ्रष्टाचार के केस में। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों तक ने भी इस तरह का जुर्म कभी नहीं किया। जाहिर है, आईएएस एसोसियेशन इसको लेकर बेहद गुस्से में है। और, जल्द ही एक मीटिंग लेकर अफसरों को अलार्म करने वाला है कि रिश्वत देकर नौकरशाही की छबि खराब करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा।

देवांगन का खौफ

रिश्वत कांड में प्रमुख सचिव बीएल अग्रवाल के अरेस्ट होने के बाद सत्ता के गलियारों में ये चर्चा आम है कि आईपीएस राजकुमार देवांगन का खौफ बीएल अग्रवाल को ले डूबा। जनवरी में भारत सरकार ने देवांगन को खराब छबि के कारण में नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस घटना ने सूबे के दागी नौकरशाहों को हिला दिया था। पूछताछ में भी ये बात सामने आई है कि देवांगन एपीसोड के बाद बीएल की मति मारी गई…..उन्हें इस बात का भी इल्म नहीं रहा कि मोदी जैसे पीएम के दौर में पीएमओ का कोई आदमी इस तरह का दुःसाहस करेगा। वरना, ब्यूरोक्रेसी में बीएल को बेहद चतुर आईएएस माना जाता था। आखिर, बहुचर्चित हेल्थ घोटाले में कई अफसर जेल चले गए और बीएल का बाल बांका नहीं हुआ था। लेकिन अब, बिचौलियों के चक्कर में उन्होंने अपना कैरियर तबाह कर लिया।

फिर माटी पुत्र

इसी कॉलम में कुछ दिनों पूर्व लिखा गया था कि माटी पुत्रों के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं। इस कड़ी में बीएल अग्रवाल का नाम भी जुड़ गया। इससे पहिले जनवरी में आईजी राजकुमार देवांगन की वर्दी उतर गई। डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के साथ जो हुआ, वह सबको पता है। आरा मिल मामले में भी 14 आईएफएस में से सिर्फ तीन छत्तीसगढ़ियां फंस गए…..राकेश चतुर्वेदी, एसएसडी बड़गैया और हेमंत पाण्डेय। बाकी 11 ने जोर-जुगाड़ लगाकर अपना नाम कटवा लिया।

अब हरगिज नहीं

बीएल अग्रवाल को प्रमोशन देकर अपना हाथ जला बैठी सरकार अब आउट ऑफ वे जाकर किसी की मदद नहीं करने वाली। भले ही वे आईएएस हो या आईपीएस। विधानसभा के बजट सत्र के बाद डा0 आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को पोस्टिंग देने पर विचार किया जा रहा था। इसके लिए आईएएस लॉबी का भी प्रेशर था। मगर सरकार अब कुंए में छलांग नहीं लगाने वाली। आईजी पवन देव का प्रमोशन भी अब लंबा खींच जाए, तो आश्चर्य नहीं। महिला कांस्टेबल कांड में पिछले महीने उनका प्रमोशन रुक गया था। और, ऐसा समझा जा रहा था कि दो-एक महीने में सरकार धीरे से हरी झंडी दे देगी। लेकिन, अब मुश्किल प्रतीत होता है। अगले साल चुनाव को देखते सरकार अब अपना नाम नहीं खराब करेगी।

साठा या पाठा

आईएएस दिनेश श्रीवास्तव को रिटायरमेंट के बाद सरकार ने भले ही लाल बत्ती नहीं दी, मगर उन्होंने दिखा दिया कि युवा आईएएस अफसरों से वे ज्यादा फिट हैं। हाफ मैराथन में उन्होंने न केवल 21 किलोमीटर की दौड़ लगाई बल्कि पहले और दूसरे नम्बर पर रहे आईएएस मुकेश बंसल और कमलप्रीत सिंह के टक्कर में दौड़े। मैराथन में 61 साल के दिनेश को जिन्होंने दौड़ते देखा वे तो दांतों तले उंगलिया दबाए ही, मीडिया में खबर पढ़कर लोग वाह! कर उठे। दिनेश श्रीवास्तव अब फोन से परेशान हैं। लोग उनसे यह जानने के लिए उत्सुक है कि वे कौन सी कंपनी का च्यवनप्राश खाते हैं। बाबा रामदेव का या किसी और बाबा का?

खेल का क्रेज

सरकार ने कुछ महीने पहिले सोनमणि बोरा से महिला बाल विकास लेकर उनका वजन कम कर दिया था। उनके पास बच गया है समाज कल्याण और खेल तथा युवा कल्याण। बोरा ने खेल में अपना करतब दिखाकर विभाग को हाईलाइट कर दिया है। राजधानी में हाफ मैराथन तो अद्भूत रहा। इसके सफल आयोजन के बाद बोरा और फर्म में आ गए हैं। शुक्रवार को साईं हास्टल की खामियों को लेकर अफसरों को जमकर हड़काया। चलिये, खेल विभाग इसी तरह चार्ज रहा तो हो सकता है, यह भी क्रेजी विभाग बन जाए। वरना, अब तक इसे सबसे निम्न विभाग समझा जाता था। किसी ने इस विभाग ने कभी रुचि ली नहीं।

जान बची, लाखों पाए

उर्जा विभाग में बिना काम के ओएसडी एसके शुक्ला हरियाणा में अक्षय उर्जा के चेयरमैन बन गए हैं। उनके लिए अच्छा हुआ। वरना, कुछ दिन और यहां रुक गए होते तो उनकी नौकरी पर ही बन आई होती। 15 साल से क्रेडा में जमे शुक्ला के खिलाफ बेहिसाब शिकायतें थी। करीबी रिश्तेदार के कारखाने से सोलर पैनल खरीदने से लेकर और न जाने क्या-क्या। चीफ सिकरेट्री विवेक ढांड ने उनके खिलाफ जांच के लिए लिख दिया था। क्रेडा के चेयरमैन और उर्जा विभाग के सिकरेट्री से उनके कैसे संबंध थे किसी से छिपा नहीं है। चेयरमैन तो हर तीसरे दिन सीएम के पास शिकायतों का पुलिंदा लेकर पहुंचते थे। चलिये, जान बची, लाखों पाए।

जोगी का सिक्का

अप्रैल में अजीत जोगी के सार्वजनिक जीवन में 50 बरस पूरे होने पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी सिक्का बनवा रही है। चांदी के इस सिक्के का नाम होगा, जोगी सिक्का। इसे 2 हजार रुपए में कार्यकर्ताओं को बेचा जाएगा। जोगी कांग्रेस का इससे 20 करोड़ रुपए जुटाने का टारगेट है। सिक्का बनने के लिए मुंबई के एक फर्म को काम दिया गया है। हालांकि, सीएम डा0 रमन सिंह की इस पर कमेंट दिलचस्प रहा…..जोगी सिक्का बनना ही नहीं, चलना भी चाहिए।

जवाब नहीं

छत्तीसगढ़ के डिजास्ट मैनेजमेंट का वाकई जवाब नहीं है। सर्किट हाउस की बिल्डिंग का स्लैब गिरा, सवा घंटा बाद डिजास्टर मैनेजमेंट के लोग पहुंचे। औजार के नाम पर गैस का सिलेंडर। वक्त पर आम लोग और मीडिया वाले अगर हाथ नहीं बढ़ाएं होते तो जन धन का नुकसान हो सकता था। बहरहाल, ये तो छोटी घटना थी, राजधानी के या प्रदेश के किसी हिस्से में कोई बड़ी घटना हो गई तो….? सरकार को कुछ सोचना चाहिए।

अंत में दो सवाल आपसे
1. बिजली विभाग के खिलाफ शिकवे-शिकायतों के लिए किसी मंत्रालय से फंडिंग से हो रही है?
2. पीडब्लूडी मिनिस्टर के घर के सामने पीडब्लूडी के निर्माणाधीन बिल्डिंग का स्लैब गिरना कितना शर्मनाक है?

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close