नारायणपुर-नारायणपुर जिले में आज से नारायणपुर तेंदुपत्ता संग्रहण का कार्य शुरू हो गया है । जिला यूनियन समिति गढ्बेंगॉल में आज से तेंदुपत्ता संग्रहण का शुभारम्भ हुआ । तेंदू पत्ता तोड़ाई , जिसको हरा सोना के नाम से भी पुकारा जाता है । प्रतिवर्ष इस पर ग्रामीणों को इंतजार रहता है क्योंकि तेंदूपत्ते से अच्छा आमदनी हो पाती है , जिससे परिवार की जरूरी आवश्यकता को पूर्ती करने में काफी मदद मिल जाती है । पूरे छत्तीसगढ़ समेत नारायणपुर जिले में भी तेंदूपत्ता संग्रहण यहाँ के वनवासियों के लिए एक अति महत्वपूर्ण कार्य है । केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा इसके संग्रहण, परिवहन एवं भंडारण के कार्य को कोविड 19 के महामारी के समय भी प्रतिबंधित नहीं किया है.सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
नारायणपुर जिले में सभी ज़रूरी व्यवस्थाए पूरी कर ली गई है।कलेक्टर पी.एस एल्मा ने बीते बुधवार को हुई ज़िला कोर कमेटी की बैठक में बताया कि इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिये है । तेंदूपत्ता व्यापार में आधे व्यापारी अन्य राज्यों के है उनको एवं उनके प्रतिनिधियों को राज्य में आने के लिए स्वास्थ्य विभाग के स्थापित प्रोटोकाल के अनुसार 14 दिन के कोरेन्टाईन एवं कोविड टेस्ट कराना अनिवार्य होगा । इसके बाद ही संग्रहण कार्य के लिए वे मैदानी क्षेत्र में जा सकेंगे। साथ ही पृथक से यह भी निर्देश दिये गये हैं कि ऐसे व्यापारी एवं उनके प्रतिनिधि जो राज्य के ही निवासी है , उनके छत्तीसगढ़ भ्रमण के लिए जिला कलेक्टर,वनमण्डलाधिकारी से प्राप्त प्रस्ताव पर पास जारी करेंगे । मिली जानकारी अनुसार सब ठीक रहा तो नारायणपुर जिले में माह मई के पहले सप्ताह में तेंदूपत्ता कार्य से शुरू हो जाएगा ।
कलेक्टर ने कहा कि इस कार्य से जुड़े सभी अधिकारीकर्मचारी के अलावा अन्य सभी लोग जारी गाइड लाइन का पालन अवश्य करें । फ़िज़िकल डिसटेंस बना कर रखें । साथ ही मुँह-नाक पर कपड़ा-मास्क बंधा हो । उन्होंने कहा कि पास जारी करने के पूर्व अनावश्यक जानकारी नही माँगे ।ताकि राज्य के तेंदूपत्ता व्यापारियो को कार्य करने में कोई दिक़्क़त नही हो । चूंकि अन्य राज्य के व्यापारी राज्य में नहीं आ पा रहे हैं ।
राज्य के बाहर के 80 % से अधिक व्यापारी तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य राज्य के व्यापारियों को पावर आफ अटार्नी देकर करा रहे हैं । अतः हमारा यह दायित्व है कि राज्य के व्यापारी एवम् उनके प्रतिनिधियों को सुगमता से राज्य के अन्दर आवागमन हेतु पास जारी किया जाए। जिससे उनके राज्य में मूवमेंट आसानी से हो और तेंदूपत्ता का कार्य समयबद्ध तरीके से पूर्ण हो सके। बतादें कि तेंदूपत्ता कार्य से राज्य के लगभग 12 लाख वनवासी परिवार लाभान्वित होते है और संग्रहण पारिश्रमिक के रूप में लगभग 600 करोड़ रुपये का भुगतान होता है ।