निःशक्तजन संस्थान में 1 हजार करोड़ का घोटाला…हाईकोर्ट से CBI जांच का आदेश..15 दिन में पेश करें रिपोर्ट

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— हाईकोर्ट की न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायाधीश पीपी साहू की युगल बेंच ने राज्य निशःक्त जन स्त्रोत संस्थान और फिजिकल रिफरल रिहेबिलीटेशन में हुए करोड़ों के घोटाला मामले में सीबीआई जांच को कहा है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पन्द्रह दिनों के अन्दर जांच की रिपोर्ट भी पेश करें।
 
           हाईकोर्ट ने निशःशक्तजन स्रोत संस्थान और फिजीकल रैफरल रिहैबलिटेश में करोड़ों की घोटला मामले में जांच का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने विभाग में एक हजार करोड़ रुपये के घोटाला मामले में सीबीआई को एक सप्ताह के अंदर एफआईआर दर्ज करने कहा है। साथ ही पन्द्रह दिनों के अंदर मूल दस्तावेज जब्त कर सीबीआई को निष्पक्ष जांच करने को कहा है। कोर्ट ने केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री रेणुका सिंह से इस संबंध में जानकारी लेने का भी आदेश दिया है।
 
                   जानकारी हो कि रायपुर निवासी कुंदन सिंह, समाज कल्याण विभाग के राज्य निशक्तजन स्त्रोत संस्थान में संविदा कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे। विभाग को खुद को स्थायी करने का आवेदन दिया। विभाग ने बताया कि वह सीधे-सीधे समाज कल्याण विभाग का नही,बल्कि फिजीकल रिफरल रिहेबिलिट्शन का स्थाई कर्मचारी है। उसका नियमित रूप से वही से वेतन निकल रहा है।
 
                  मामले में कुन्दन सिंह ने सूचना अधिकार के तहत जानकारी  मांगी। जानकारी में बताया कि अधिकारियों ने साठगांठ कर  कर्मचारियो की नियुक्ति का घोटाला किया है। निशक्तों के नाम पर गड़बड़ी के खिलाफ कुन्दन सिंह ने अधिवक्ता देवर्षी ठाकुर के माध्यम से याचिका दाखिल की ।  याचिका में कोर्ट ने सुनवाई के बाद सीबीआई को कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
 
कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश के पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड, एम के राउत, आलोक शुक् ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल, सतीश पांडे, पीपी सोंठी, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, एमएल पांडेय, हेमन खलखो व् समाज कल्याण विभाग के संचालक पंकज वर्मा को नामजद करने का निर्देश दिया है।
 
              हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि उत्तरवादी उच्च रैंक के है। सीबीआई स्वतंत्र रूप से सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के तहत स्वतंत्र होकर जांच करे।
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