अधिकारियों के भरोसे नहीं बनेंगे स्मार्ट– सुनील सोन्थलिया

BHASKAR MISHRA
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sunilबिलासपुर—किसी भी शहर का विकास सामुहिक प्रयास से ही होता है। बिलासपुर स्मार्ट सिटी बनने का हक रखता है। लेकिन सुनियोजित प्लानिंग के साथ। नगर निगम का एक दायरा होता है। अकेले सब काम नहीं कर सकता। उसके पास केवल आयातीत सोच है। शहर को स्मार्ट बनाने के लिए स्थानीय लोगों को भी शामिल होना होगा। रामबाबू सोंथलिया ने ऐसा बीडीए अध्यक्ष रहते हुए किया।

             
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                   मंत्री पैसे और योजनाएं ला सकता है। लेकिन उसका सही उपयोग और विकास स्थानीय प्रशासन को ही करना है। कर्मचारी आते और जाते हैं लेकिन परामर्श समिति हमेशा बिलासपुर में ही रहेगी। जो अधिकारियों को बिलासपुर की तासीर के अनुसार मार्गदर्शन करेगा। इससे शहर का विकास तेजी से होगा। सीजी वाल से यह बातें प्रतिष्ठित व्यावसायी सुनील सोन्थलिया ने कही।

           सुनील सोन्थलिया ने बताया कि स्मार्ट सिटी योजना में सभी के सहयोग की जरूरत है। योजनाएं किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं होती। शहर के समुचित विकास के लिए एक ऐसी परामर्श समिति की जरूरत है। जिसमें बिलासपुर को जानने वाले उद्योग जगत, पत्रकार, इंजीनियर, डॉक्टर, साहित्यकार, और स्थानीय प्रतिनिधि हों। सिर्फ अधिकारियों के भरोसे शहर का विकास नहीं होगा।

             सोन्थलिया ने बताया कि पिछले पन्द्रह साल में बिलासपुर का विकास जिस गति से होना चाहिए था…नहीं हुआ। पैसे आए…योजनाएं भी आयीं। लेकिन स्थानीय प्रशासन के ढुलमुल रवैये के चलते बिलासपुर केवल अपने स्थान पर चहल कदमी करता रह गया। मंत्री का काम पैसा और योजनाओं को लाना है। काम तो कर्मचारियों को ही करना है। लेकिन उन्होने कुछ नहीं किया। इसका मुख्य कारण कर्मचारियों का आना-जाना है। यदि उनके सहयोग के लिए परामर्श समिति होती तो बिलासपुर का चेहरा कुछ और ही होता।

                सीजी वाल से चर्चा करते हुए सुनील सोन्थलिया ने कहा कि बिलासपुर विकास प्राधिकरण के समय जो योजनाएं बनीं…उसी का नतीजा है कि बिलासपुर आज 4 किलोमीटर क्षेत्र से निकलकर 10 किलोमीटर के दायरे को पार कर गया है। बीडीए के पहले अध्यक्ष रामबाबू सोन्थलिया ने पचास साल का मास्टर प्लान बनाया था। आज तक वही है। बीडीए भंग हुआ..तो बिलासपुर ने बेतरतीब विकास करना शुरू कर दिया। निगम प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।

                                                                                 amar inter.सोंथलिया ने कहा कि जब से अमर अग्रवाल शक्ति के केन्द्र में आए हैं बिलासपुर को बहुत योजनाएं और राशि मिली। लेकिन अधिकारियों ने उसका सुनियोजित तरीके से उपयोग नहीं किया। जिसके कारण महत्वाकांक्षी सीवरेज योजना से नगरवासी परेशान हुए। इसमें सबसे ज्यादा योगदान स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली है। लोगों ने विरोध किया। कुछ विरोध केवल विरोध के लिए हुआ । अब कुछ लोग स्मार्ट सिटी को लेकर वही रूख अपना रहे हैं। ऐसी सोच बिलासपुर के हेल्थ के लिए ठीक नहीं है। दुबारा ऐसी स्थिति ना बने इसके लिए परामर्श समिति का गठन जरूरी है। सोन्थलिया ने कहा कि बिलासपुर में भी उसी प्रकार का सिवरेज प्लांट है जैसे देश के अन्य शहरों में है।

             सुनील ने बताया कि बीडीए के पहले अध्यक्ष रामबाबू स्वप्नदृष्टा थे। अध्यक्ष रहते हुए प्रदेश की सबसे बड़ी मण्डी व्यापार विहार, राजकिशोर नगर, सिरगिट्टी, यदुनंदन नगर, बायपास, लिंक रोड को जन्म दिया। बीडीए भंग होने के बाद फिर कभी सुनियोजित तरीके से काम नहीं हुआ। निगम के पास समय नहीं है कि वह बिजली, पानी, सफाई जैसी व्यवस्था से बाहर निकले। ना ही उनके पास दूरदृष्टि रखने वाले कर्मचारी ही है।

         बिलासपुर कभी भी महानगर की दौड़ में नहीं रहा। यहां के लोग अमन और सादगी पसंद हैं। विकास तो चाहते हैं लेकिन मौलिकता के साथ। स्थानीय प्रशासन के पास चंद लोगों को छोड़कर ऐसा कोई कर्मचारी नहीं है जो इस बात को समझे। ऐसे ही कर्मचारियों ने सफाई अभियान को पलीता लगाया है।

             सुनील कहते हैं कि सफाई केवल नगर निगम की ही जिम्मेदारी नहीं है। मंत्री आकर सफाई तो करेगा नहीं..उसे जो करना है..वह कर रहा है। जो बिलासपुर की जरूरत है…दे रहा है। दरअसल हम ही बिगड़ गये हैं। हमें नुक्ताचीनी से फुर्सत नहीं है। इस आदत से बाज आने की जरूरत है। तो वहीं निगम के पास भी कोई ठोस कार्य योजना नहीं है। शहर के बीच में कचरा डंप है। समस्या से निजात दिलाने के लिए कभी प्रयास ही नहीं किया। nagar nigam 1

                             शहर की यातायात व्यवस्था चौपट है। तुर्काडीह बायपास रोड दो साल से बंद है। सफाई के नाम पर केवल चहलकदमी हो रही है। इसके लिए केवल स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। जिस दिन सफाई,अतिक्रण, पेयजल और यातायात व्यवस्था ईमानदारी से निगम ठीक कर ले उसी दिन शहर आधा स्मार्ट हो जाएगा।

             योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सतत प्रयास की जरूरत है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। निगम को दूसरे काम से फुर्सत नहीं है। ऐसे में क्या हम स्मार्ट सिटी बन पाएंगे। कहना मुश्किल है। इन दिनों स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण की ओर ध्यान जरूर दिया है। सड़कें अतिक्रमण से फुर्सत हो गयी है। लेकिन कब तक तक ऐसा रहेगा। इसकी मानिटरिंग बहुत जरूरी है। बिलासपुर के नागरिकों को भी इस ओर ध्यान देना होगा।

          सोन्थलिया ने सीजी वाल से बताया कि स्थानीय पहचान को बरकरार रखते हुए बिलासपुर का विकास होना चाहिए। रायपुर हमसे बहुत आगे निकल गया है। इसका मुख्य कारण नेता नहीं हमारी लापरवाही है। इसमें स्थानीय प्रशासन के शार्ट टर्म कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हैं।

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