बिलासपुर—कांग्रेस नेता शेख गफ्फार इस दुनिया मेें रहे….कांग्रेस के बहुत बड़े परिवार को छोड़कर बहुत दूर चले गए। दीन दुखियों की सेवा करते हमेशा अपोलो में दिखने वाले शेख गफ्फार का शरीर अपोलो से आज सुबह 6 बजे उनके निवास लाया गया। जिसे भी शेख गफ्फार के निधन की जानकारी मिली…वह अवाक हो गया। लोगों को विश्वास भी नहीं हुआ कि कांग्रेस का बहुत बड़ा नेता और मजहब के ताने बाने से आजाद शहर का एक सच्चा इंसान हमेशा-हमेशा के लिए कांग्रेस के बहुत बड़े परिवार को छो़ड़ कर चला गया। क्या सहयोगी और क्या विरोधी…हर तरफ से शोक संदेश मिलना शुूरू हो गया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
गफ्पार के नाम पर कसमें खायी जा सकती है
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने नम आंखों से शेख गफ्फार को यदा किया। अटल ने कहा कि समझ में नहीं आर रहा कि चार दिन पहले बातचीत की। और वह सच्चा इंसान हमें हमेशा हमेशा के लिए छोड़कर दूर चला गया। अटल ने कहा कि उनके साथ एक दो नहीं बल्कि हजारों यादें जुड़ी हैं। यदि यादों को साझा करूं तो दिन कम पड़ जाएंगे। लेकिन इतना तय है कि हमने एक ऐसा इंसान खो दिया। जिसे सामने रखकर या नाम लेकर बिलासपुर की जनता कसमें खा सकती है। मैने ही नहीं कमोबेश सभी लोगो ने ऐसा देखा भी है।
तिरंगा से था बहुत प्यार..
अटल ने नम आंखों से याद करते हुए कहा कि भाई गफ्फार आदर्श राजनेता थे। जीत हार से बहुत दूर…वह सच्चे इंसान थे। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं। जिन्हें जीवित रहते ऐसा सम्मान हासिल होता है। उन्होने संगठन को व्यक्तिपूजा से ऊपर माना। शेख गफ्पार को तिरंगा से बहुत प्यार था। उन्हें शहर में लहराते हुए तिरंगा को देखना बहुत अच्छा लगता था। बड़े कार्यक्रमों को तो छोड़िए..छोटे से छोटे कार्यक्रम में भी शहर को तिरंगा से पाट देना उनकी आदतों में था। अक्सर कहा करते..तिरंगा मेरी आन बान शान है। इसे लहराते देखने दिल को सुकुन देता है।
कहते कि झण्डा काटन का नहीं शाटन का बनाओ..क्योंकि लहराता है
अटल ने कहा गफ्फार भाई अक्सर कहा करते…अटल भाई देखो यह झंडा कितना छोटा है। इसे इस साइज का होना चाहिए था। इतनी साइज होने पर तिरंगा अच्छा लहराता है। अक्सर कहा करते और नाराजगी भी जाहिर करते कि तिरंगा काटन की नहीं शाटन का बनवाया करो। क्योंकि यह अच्छा लहराता है।
आदर्श नेता और सच्चा इंसान
याद करते हुए प्रदेश महामंत्री ने बताया कि किताबों में हमने पढ़ा है कि सच्चा इंसान ऐसा होता है। सच बताऊ शेख गफ्फार भाई बिलकुल वैसे ही इंसान थे। उन्होने अपना जीवन केवल और केवल मानव धर्म के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें ऐसा करते देखकर ताकत मिलती थी। गरीबों की सेवा करना उनकी आदत थी। अक्सर कहा करते कि राजनीति एक ऐसा मंच है जहां से व्यापक स्तर पर सेवा करने का अवसर मिलता है। भाई गफ्फार बिलासपुर के ऐसे नेता थे..जिनके यहां 24 घंटा 7 दिन फरियादियों का दरबार सालों साल से लगता रहा। वह कब सोते कब खाते किसी को पता ही नहीं चलता था। ऊंचा कद का मुस्कुराते इंसान हमेशा गरीबों के लिए दौड़ता नजर आया।
अटल ने कहा वह आदर्श नेता और सच्चे इंसान थे। उनका दिल हमेशा तिरंगा,सेवा और शहर के विकास के लिए धड़कता रहा। अन्त तक ऐसा ही रहा। शेख गफ्फार आदर्श नेता और इंसान के पर्याय थे। वह हमेशा सीखते रहे..और लोगों को जिन्दगी और मानवधर्म का फलसफा सिखाते रहे। उन्होने हमें कुछ जल्दबाजी में अलविदा कह दिया। क्योंकि अभी उन्हें बहुत कुछ करना था।
मेरा भाई था…जो बहुत दूर चला गया…रामशरण
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामशरण यादव ने सवाल के जवाब में बताया कि मैने अपना भाई खो दिया। आंखो में आंसु लेकर रामशरण ने बताया कि उनके बारे में क्या-क्या बताऊं। वह कितने बड़े इंसान थे…इसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता है। वह जितने उंचे कद के इंसान थे..उससे कहीं ज्यादा ऊंचा उनका व्यक्तित्व था।
एक संस्मरण को याद करते हुए रामशरण ने बताया कि वह मेरे मित्र नहीं सगे भाई थे। साल 2009 की एक घटना का जिक्र करते हुए रामशरण ने कहा कि उन्होने मेरे लिए हाथ जोड़कर टिकट मांगा था। जबकि रायपुर में आयोजित बैठक में मुझे टिकट नहीं देने के लिए सब लोगों ने ठान लिया था।
मेरा भाई दूर चला गया
रामशरण ने बताया कि रायपुर में साल 2009 निकाय चुनाव की टिकट वितरण को लेकर रायपुर में बैठक हो रही थी। तात्कालीन समय मनोनित सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री समेत बीआर यादव ने मुझे टिकट नहीं देने का मन बना लिया था। लेकिन भरी बैठक में शेख गफ्फार हाथ जोड़कर खड़े हुए। निवेदन किया कि यदि मैने कांग्रेस की सेवा की है तो मुझे बिलासपुर में एक टिकट चाहिए। वह टिकट मेरे भाई रामशरण के लिए होगा। और अन्त में कमेटी को झुकना पड़ा। मुझे चुनाव लड़ने का मौका मिला। ऐसा इंसान अब कहां मिलेगा।
200 प्रतिशत कांग्रेसी…1000 प्रतिशत सच्चा इंसान
रामशरण ने बताया कि शेख गफ्फार 200 प्रतिशत कांग्रेसी और 1000 प्रतिशत सच्चे इंसान थे। उन्होने हमेशा व्यक्तिपूजा की जगह संगठन के लिए काम किया। नेता आते और जाते रहे लेकिन उन्होने संगठन को प्राथमिकता दी। लेकिन खरी बात कहने में कभी संकोच नहीं किया। जिला संगठन का नेता कितना भी कम उम्र का क्यों ना हो उन्होने बतौर अध्यक्ष सबसे ऊपर रखते हुए सम्मान किया।
बाहर से भी आते थे फरियादी
रामशरण ने बताया कि उनके दरबार में फरियाद लेकर केवल बिलासपुर ही नहीं बल्कि शहर और प्रदेश के बाहर के लोग भी आते थे। सबका निदान करते थे। उनका दायरा बहुत…बहुत…बहुत बड़ा था। जिसे छूना फिलहाल मुमकिन नहीं है। छलछलाती आंखों से रामशरण ने रूंधे गले से कहा मैने अपना भाई खो दिया।