नियमों को ताक पर रख अटैचमेन्ट का खेल..प्रशासन मौन

BHASKAR MISHRA
3 Min Read

marwahi school 001बिलासपुर—जिला शिक्षा विभाग ने शासन के निर्देशों की धज्जियां उडाते हुए कर्मचारियों को अटैच किया है। अटैचमेन्ट आदेश के दौरान जमकर लेन-देन का खेल हुआ है। जबकि शासन ने अटैचमेन्ट को एक आदेश जारी कर बंद कर दिया है। बावजूद इसके जिला शिक्षा अधिकारी ने चहेतों का मनचाहे जगह अटैच कर जमकर धांधली की है। किसी को ट्रायबल से स्कूलों में तो कई छात्रावास अधीक्षकों को शिक्षा विभाग में पटक दिया है। सब कुछ जानने के बाद भी जिला प्रशासन मौन है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                         सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने शासन के आदेश को दरकिनार कर शिक्षकों का अटैचमेन्ट किया। शिक्षा अधिकारी ने 5 सितम्बर 2016 को आदेश जारी कर 65 से 66 लोगों को ट्रायबल और शिक्षा विभाग में नियम विरूद्ध अटैच का आदेश दिया है। ट्रायबल कर्मचारियों को ट्रायबल स्कूल में पदस्थापित किया है। सूत्र की मानें तो मनचाहे अटैचमेन्ट के लिए पानी की तरह नोट बहाया गया। अधिकारी ने चहेते कामचोरों को पद नहीं होने के बाद भी आदर्श अनुसूचित जाति कन्या आश्रम देवरीखुर्द में अटैच किया है।

                          सूत्र की माने तो डीईओ ने नेवसा के नियमित शिक्षक सुशील कुमार सूर्यवंशी को विकासखण्ड कोटा शिक्षक पंचायत बताकर पदस्थ किया गया है । शीला सूर्यवंशी को बिरगहनी भेजा गया। बाबूलाल जगत को दवनपुर में संलग्न किया गया। ताहिरा खान की तनख्वाह गौरेला से निकलती है। लेकिन लेन देन के बाद देवरीखुर्द अटैच कर दिया गया।  रीता बेदरा की तनख्वाह मरवाही से बनती है। पद नहीं होने के बाद भी देवरीखुर्द में अटैच किया गया।

                जानकारी के अनुसार पुष्पलता मेश्राम कोटा से वेतन लेती हैं …पढ़ाती देवरीखुर्द में हैं। स्वाती तिग्गा जिला शिक्षा अधिकारी की कृपा से देवरीखुर्द में अटैच हैं लेकिन वेतन उठाने बिल्हा विकासखण्ड जाती हैं। पंच कुमारी भास्कर तनख्वाह बिल्हा से उठाती हैं  लेकिन पढाती देवरीखुर्द में हैं। सूत्र  ने बताया कि जिन्हें मरवाही,पेन्ड्रा,गौरेला में होना चाहिए। ऐसे लोगों को जिला शिक्षा अधिकारी ने बिलासपुर के आस पास अटैच कर दिया है। बताया जा रहा है कि मंत्रालय में अच्छी पहुंच होने के कारण डीईओ को नियम और कानून से डर नहीं लगता है।

                       बहरहाल अटैचमेन्ट का खेल उचे स्तर पर हुआ है। इसके लिए लोगों ने दिल खोलकर खर्च भी किया है। कई छात्रावास अधीक्षकों को शिक्षक तो कई शिक्षकों को छात्रावास अधीक्षक बना दिया गया। बावजूद इसके जिला प्रशासन मौन है। समझो… आखिर क्यों…

Share This Article
close