बिलासपुर । भारतीय मजदूर संगठन की सम्बद्ध इकाई रायपुर निर्माणी मजदूर संघ की तरफ से दायर जनहित याचिका में आज उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई । जिसमे शासन को जवाब के लिए 3 हफ्ते का समय दिया गया ।
याचिका में बताया गया के covid-19 के कारण निर्माणी और अन्य मजदूरों को लॉक डाउन के दौरान बंद पड़े निर्माण कार्य के चलते बेरोजगार होना पड़ा और आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा था । निर्माणी और अन्य मजदूरों के हितों के लिए केंद्र सरकार ने 1996 में BOCW अधिनियम बनाया गया है और राज्य सरकार के द्वारा 1% सेस भी काटा जाता है। जिससे कल्याणकारी कोष में धन अर्जित किया जाता है । लॉक डाउन के दौरान समस्त निर्माण कार्य अनिश्चित रूप से बंद पड़े थे । निर्माणी मजदूर बेरोजगार हो गए थे और आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा । यही हालत पूरे देश मे व्याप्त थी । तारतम्य में अप्रेल माह में श्रम मंत्री भारत सरकार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इस सेस फण्ड का उपयोग इन निर्माणी मजदूरों को आर्थिक लाभ प्रदान करने कल्याणकारी योजनाएं बनाने पत्र भी लिखा था। इसके पश्चात श्रम सचिव ने सभी राज्यो के मुख्य सचिव को भी इसी संदर्भ में पत्र लिखा गया था ।
इसके बाद करीब 17 अलग अलग राज्यो ने अपने योजना बनाते हुए निर्माणी मजदूरों के लिए योजनाए बना कर आर्थिक लाभ भी प्रदान करना शुरू कर दिया । किन्तु हमारे राज्य में इस तरह की कोई योजना नही बनाई गई । और उक्त कोष में अर्जित धन का उपयोग अन्य कार्यो में किया गया । इस वजह से निर्माणी मजदूर संघ के द्वारा अधिवक्ता अमियकान्त तिवारी , भारत गुलाबानी और ग़ालिब द्विवेदी के माध्यम से याचिका दाखिल की गई थी ।
जिस पर आज मुख्य न्यायाधीश श्री राम चन्द्र मेनन और जस्टिस श्री पी पी साहू की युगल पीठ में सुनवाई हुई और शासन को जवाब प्रस्तुत करने 3 हफ्ते का समय दिया गया ।
शासन को बताना है कि राज्य ने क्या क्या कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रखी है ।