बिलासपुर—कांग्रेस नेता रविन्द्र सिंह का मानना है कि अब छात्र संघ चुनाव में जनबल और धनबल का प्रयोग हो रहा है। हमारे समय में छात्र हित में काम करने वाला ही नेता चुना जाता था। मैं 1994-95 में सीएमडी कालेज का सचिव बना। छात्र हित में जमकर काम किया। रविन्द्र सिंह का मानना है कि वरिष्ठ नेताओं का छात्र राजनीति में हमेशा से हस्तक्षेप रहा। लेकिन इतना नहीं जितना इस समय हो रहा है। इसका कारण भी है। अब नेताओं को वानर सेना की ज्यादा जरूरत है। चाहे वह भाजपा हो या फिर कांग्रेस ही क्यों ना हो। जिस फार्मूले से हमारे समय में चुनाव हुआ वैसा अब भी हो रहा है।
हमारे समय में छात्र काम करने वालों को ही चुनते थे। एक आवाज पर छात्र दलगत राजनीति से उठकर चुनाव में भाग लेते थे। लेकिन अब सत्ता पक्ष के इशारे पर छात्र नेताओं का चुनाव हो रहा है। जाहिर सी बात है कि छात्र नेता अब ज्यादा दबाव में हैं।
हमने कभी भी कालेज और विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रहित में आड़े नहीं आने दिया। प्रशासन को हमेशा अंगूठे के नीचे रखा। लेकिन अब छात्र राजनीति कुछ कमजोर दिखाई देने लगी है। छात्र नेता मैनेजमेंट के सामने घुटने टेकते हुए नज़र आ रहे हैं।
रविन्द्र सिंह ने बताया कि मैने अपने अध्यक्ष के सहयोग से 94-95 में सीएमडी छात्रावास को रेगुलर कराया। तात्कालीन चेयरमैन भागवत दुबे छात्रावास को बंद करना चाहते थे। व्यावसायिक काम्पलेक्स निर्माण पर प्रतिबंध लगाया। कालेज मैदान का समतलीकरण कराया। आडिटोरियम निर्माण का प्रस्ताव लाया। सीएमडी कालेज में कम्प्यूटर कक्ष का निर्माण भी करवाया।
रविन्द्र सिंह बताते है कि एनएसयूआई का अध्यक्ष रहते हुए मैने जिले के कई कालेजों में अपने पैनल को जिताया।
2001-02 में सीएमडी कालेज के अध्यक्ष रविन्द्र सिंह के अनुज राघवेन्द्र सिंह के विचार भी कुछ अपने बड़े भाई की ही तरह है। उन्होंने सीजी वाल को बताया कि अपने भाई के मार्गदर्शन में मैने अध्यक्ष बनने के बाद कालेज के अधूरे कार्यों को पूरा किया। प्रस्तावित आडिटोरियम ना केवल पूरा कराया बल्कि उसका उद्घघाटन तात्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी से करवाया।
मेरे ही कार्यकाल में भूगोल विभाग का भवन बना। छात्राओं के कक्ष का सौन्दर्यीकरण कराया। सांस्कृतिक मंच का निर्माण, वाटरकुलर की व्यवस्था, छात्रसंघ कार्यालय का निर्माण कार्य भी पूरा हुआ।
रविन्द्र सिंह और राघवेन्द्र दोनो ही मानते हैं कि छात्र राजनीति में बहुत अधिक परिवर्तन तो नहीं आया है। लेकिन भाजपा का दखल छात्र राजनीति में जरूर बढ़ा है। उम्मीद है कि इस बार जिले में एनएसयूआई का परिणाम एबीव्हीपी से अच्छा होगा। यदि सत्ता पक्ष और प्रबंधन का दबाव छात्रों पर नहीं हुआ तो सीएमडी में एनएसयूआई की जीत जरूर होगी।