नोटबंदी के बाद टोकन सिस्टम ने बढाया दर्द

BHASKAR MISHRA
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sbi3_660_051515114746_052015070521बिलासपुर—- नोटबंदी के बाद बैंक का टोकन सिस्टम उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। लोगों को रूपए जमा करने से लेकर चालान पटाने, प्रिंट कराने समेत सभी काम में भारी परेशानी हो रही है।खाताधारकों को अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। खाताधारकों के अनुसार टोकन सिस्टम से कहीं अच्छा लाइन में लगना था।

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                       एसबीआई की मुख्य और कलेक्ट्रेट शाखा में चलान पटाने से लेकर राशि जमा करने या निकालने समेत अन्य कामों के लिए टोकन सिस्टम की व्यवस्था की गयी है। सिस्टम को लेकर लोगों में भारी नाराजगी है। खाताधारक राशि जमा करने,चालान पटाने या अन्य जरूरी काम कराने पहुंचे तो उन्हें बैंक प्रबंधन ने इंतजार करने के लिए टोकन थमा दिया।

                    बिना टोकन बैंक कर्मचारियों ने किसी भी खाताधारक का काम करने से इंंकार कर दिया। कई खाताधारक तो टोकन लेकर कुर्सी पर बैठकर दो घंटे की नींद भी पूरा कर ली। बावजूद इसके उनका नम्बर नहीं आया। खाताधारकों ने बताया कि रूपए निकालने 11 बजे थे..अब 2 बज गए हैं लेकिन रूपया नहीं मिला।

                                     धैर्य जवाब देने के बाद नाराज कई लोगों ने बैंक प्रबंदन से शिकायत की। कर्मचारियों ने बताया कि टोकन नंबर क्रम बिग़ड़ जाने के कारण थोड़ी बहुत परेशानी हुई है। कुछ लोगों का नाम आगे पीछे हो गया है। लेकिन जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा।

                    कई खाताधारकों ने बताया कि इससे तो अच्छी पुरानी व्यवस्था थी। खड़े होने के अलावा पुराने सिस्टम में कोई दूसरी परेशानी नहीं थी। लेकिन समय की बरबादी के अलावा…दूसरे काम प्रभावित हो रहे हैं। कई छात्र और बुजुर्गों ने बताया कि सिस्टम जब समझ में नहीं आ रहा है तो लागू क्यों किया गया। इससे अच्छा मैन्यूल सिस्टम ही था…परेशानी भी नहीं थी…समय में काम हो जाता था।

               बहरहाल टोकन सिस्टम के बाद एसबीआई की कार्य दक्षता में कमी आयी है। खाताधारकों का गुस्सा आसमान में है। देखना है कि टोकन सिस्टम का रोग खाताधारकों को कब तक परेशान करता है।

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