रायपुर। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर ने गुरुवार को निमोरा रायपुर के पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान में पांच दिवसीय ‘हमर गांव-हमर योजना’ प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। छत्तीसगढ़ में साल 2017-18 के लिए ग्राम पंचायतों की विकास योजना (जी.पी.डी.पी.) बनाने के लिए राज्य स्तरीय मास्ट्रर ट्रेनरों का राष्ट्र स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की गई है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पांच सितम्बर तक चलेगा। कार्यक्रम के शुभारंभ मे पंचायत मंत्री ने कहा कि ग्राम सभा को मजबूत बनाने के लिए पंचायत को सशक्त बनाना जरूरी है। इसके लिए ग्राम पंचायतों के परिसम्पत्तियां और आय के स्त्रोत को बढ़ाने पर बल दिया। पंचायती राज्य व्यवस्था में पंचायत एक शक्तिशाली स्वशासन की इकाई बनाने के लिए पंचायतों को नियम और कानून बनाने की शक्ति देने होगी।
इस अवसर पर केन्द्रीय पंचायतीराज मंत्रालय, नई दिल्ली की संयुक्त सचिव श्रीमती शारदा मुरलीधरन ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा 14वें वित्त की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को दी जा रही है। पहले ग्राम पंचायतों के पास गांव के विकास के लिए स्वयं के न ही पर्याप्त संसाधन होते थे और न ही धनराशि। 14वें वित्त की राशि से जहाँ ग्राम पंचायतों को जनभागीदारी से विकास योजना के क्रियान्वयन में मदद मिलेगी, वहीं उनमें लीडरशीप भी आ सकेगी। जी.पी.डी.पी. (ग्राम पंचायत डेव्हलपमेंट प्लान) एक ऐसा जन-आंदोलन है, जहां गांव वाले अपने विकास की जिम्मेदारी स्वयं अपने कंधे पर लेंगे।
छत्तीसगढ़ में पिछले साल जी.पी.डी.पी. के माध्यम से गांवों की विकास योजना बनी थी। छत्तीसगढ़ के साथ अन्य राज्य के अनुभवों के लेकर पंचायतीराज मंत्रालय ने इस वर्ष जी.पी.डी.पी. को सतत विकास के लक्ष्यों के साथ जोड़ा है और प्रशिक्षण का एक मॉड्यूल तैयार किया गया है। छत्तीसगढ़ को मॉडल मानते हुये केन्द्रीय मंत्रालय ने सबसे पहले प्रशिक्षण के लिए छत्तीसगढ़ का चयन किया है।
कार्यक्रम को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव एम.के. राउत ने भी संबोधित किया।राउत ने बताया कि पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत आई.पी.पी. के तहत यह कार्यक्रम किया जा रहा था। अब इसे ग्राम पंचायतों की विकास योजना (जी.पी.डी.पी.) बनाने के इस मुहिम को ‘हमर गांव-हमर योजना’ नाम दिया गया है।
मुख्य सचिव ने कहा कि जब आप गांवों में ग्रामीणों से सलाह-मशविरा करने जाएंगे तो यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि स्थानीय स्तर पर क्या-क्या उपलब्ध है और वहां किन-किन चीजों की जरूरत है। इनके अलावा बजट को ध्यान में रखते हुए भी योजना की रूपरेखा तैयार करना चाहिए।