बिलासपुर— कहते हैं कि प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान एक हिस्सा पटवारियों के साथ भी कटता है। राजस्व मामले की बारीकियों को जानने और समझने के लिए इसे प्रशिक्षण का हिस्सा माना गया है। क्योंकि पटवारियों को जमीनी स्तर की जानकारी बेहतर होती है। जनता और जमीन से उनका गहरा नाता होता है। राजस्व के सारे रिकार्ड पटवारियों के बिना अधूरे होते हैं। जानकारी का फायदा भी पटवारी खूब उठाते हैं। कम से कम बिलासपुर में तो ऐसा ही है। पटवारियों की जानकारी के सामने अधिकारी पस्त हैं।
सीजी वाल ने कुछ महीने पहले पटवारियों के स्थानांतरण को लेकर सितम्बर अक्टूबर के दौरान खबर भी लिखा था। इसके बाद आनन फानन में जिला प्रशासन ने पटवारियों का स्थानांतरण किया। खबर में लिखा गया था कि काम अधिक होने के कारण पटवारियों का स्थानांतरण सूची राजस्व विभाग की वजाय तहसील में तैयार किया जा रहा है। जिसका खामियाजा आज तक जिला प्रशासन को भोगना पड़ रहा है। स्थानांतरण के बाद ज्यादातर पटवारियों ने ना नुकूर के बाद मनचाहा हल्का नहीं मिलने के बाद भी बस्ता संभाल लिया। लेकिन कुछ एक पटवारियों ने आज तक हल्का नहीं संभाला है। जिसके कारण कुछ हल्का पटवारियों के बिना या फिर प्रभार में चल रहा है। इनमें पटवारी हल्का नम्बर सात भी एक है।
पटवारी हल्का नम्बर सात में जिला प्रशासन ने एक ऐसे पटवारी का स्थानांतरण किया जो ग्रामीण क्षेत्र में जाना नहीं चाहता है। यही कारण है कि अक्टूबर से आज तक हल्का नम्बर सात में कोई पटवारी नहीं है। स्थानांतरण सूची प्रकाशित होने के बाद पटवारी ने कोनी का प्रभार तो दे दिया लेकिन हल्का नम्बर सात जाने से इंकार कर दिया। एक पटवारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दरअसल कोनी क्षेत्र के पूर्व पटवारी गिधौरी और नेवसा जाना नहीं चाहते हैं। उन्हें शहरी क्षेत्र में रहना पसंद है।
पटवारी ने बताया कि स्थानांतरण के बाद हल्का सात का पटवारी शहर क्षेत्र के जिला प्रशासन पर लगातार दबाव बना रहा है। लेकिन हाल फिलहाल दबाव डालने में सफल नहीं है। जबकि राजस्व महकमा, कलेक्टर और तहसीलदार ने लगातार नोटिस भेजकर पटवारी को क्षेत्र संभालने को कहा। बावजूद इसके आज तक पटवारी ने हल्का नम्बर सात नहीं संभाला है। जनता परेशान है…रजिस्ट्री और सीमांकन,डावर्सन जैसे मामले अटके हुए हैं। पटवारी की जिद्द से शासन को बहुत नुकसान हो रहा है।
मालूम हो कि विभाग के पास ऐसी कोई जानकारी भी नही है कि हल्का सात का पटवारी छुट्टी में है। बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की कार्रवाई अब नही की गयी है। जिससे सन्देह को पैदा होना वाजिब है। अनुमान लगाया जा सकता है कि इस पटवारी के सामने जिला प्रशासन कितना लाचार है। महीनों से छुट्टी में होने के बाद भी जिला प्रशासन के हाथ पटवारी के खिलाफ कार्रवाई करने से कांप रहे हैं। एक दूसरे पटवारी ने बताया कि यदि हमने ऐसा किया होता तो कलेक्टर ने बाहर का रास्ता दिखा दिया होता। लेकिन इस पटवारी के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। सच्चाई तो यह है कि पटवारी के सामने जिला और तहसील प्रशासन पस्त है।
मुझे जानकारी नहीं
अनुविभागीय अधिकारी नूंतन कंवर ने मामले में बताया कि इस बारे में मै कुछ नहीं बता सकता हूं। मैं वर्सन देने का अधिकारी नहीं हूं। मीडिया मेरे बयानों को तोड़मोड़कर चलाता है। इसलिए इस बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा। इसकी जानकारी जिला कलेक्टर ही देंगे। हमें रायपुर और जिला प्रशासन से आदेश मिला है कि जिले का कोई प्राधिकृत अधिकारी ही पत्रकारों के सवालों का जवाब देगा।