“पढ़ई तुंहर दुआर”: टाइम टेबल,सिलेबस की एकरूपता के बिना रेगुलर वर्चुअल क्लास में आ रही दिक्कतें

Chief Editor
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(मनीष जायसवाल)PTD छत्तीसगढ़ की  सतत मानिटरिंग  के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूल के छात्रो की सीजी स्कूल डाट इन पोर्टल  से दूरी अब भी बरकार है। इसमे विद्यार्थियों के पंजीयन की संख्या प्रदेश के पंजीकृत की संख्या से कोसो दूर है। ईस कार्यक्रम में छात्रो और पालकों की रुचि न लेना कई सवालों के जवाब खोजने को मजबूर करता है। ….पढ़ाई तुंहर द्वार के आन लाइन शिक्षण  कार्यक्रम में  तकनीकी कौशल और छात्रो से संवाद की कमी के चलते कई शिक्षक इस कार्य से दूरी बनाए रखे थे। परन्तु शिक्षा विभाग शिक्षको को एक्टिव मोड़ में लाने के लिए जैसे ही आन  लाइन कक्षा नही लेने वाले शिक्षको के नाम पोर्टल पर अपलोड कर सार्वजनिक किए गए अधिकांश शिक्षक एक्टिव मोड़ में  आ गए। जिससे प्रदेश के शिक्षा विभाग से जुड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म में आन लाईन कक्षा के  सिस्को  वेबेक्स के हजारों लिंक्स एकाएक बढ़ गए है।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये और रहे देश प्रदेश की खबरों से अपडेट

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राज्य  जिला स्तर पर टाइम टेबल नही होने की वजह से पहले और वर्तमान में शिक्षक अपनी और छात्रो की सुविधा के अनुसार वेबेक्स मीटिंग एप पर कक्षा ले रहे है। ….. इस कार्य के  प्रमाण के रूप में आन लाइन पढ़ाई के दौरान लिए गए  स्क्रीन शाट शिक्षको द्वारा स्कूल व संकुल के  टेलीग्राम या वाट्सएप ग्रुप में में शेयर किए गए है। जिसे …. छात्रो व शिक्षको की उपस्थित पंजी माना जा रहा है….! इस नई कथित उपस्थिति पंजी पर स्कूल,संकुल, ब्लॉक, जिला स्तर के अधिकारी नजर बनाए रखे है।शिक्षको से चर्चा और इनके द्वारा शेयर किए गए स्क्रीन शॉट को देखने पर यह अंदाज लगया जा सकता है कि अधिकांश आन लाइन कक्षाओ में पांच या अधिक से अधिक दस- बारहा छात्र ही ज्यादातर आन लाइन दिखाई  देते है। …. जबकि प्रदेश के अधिकांश स्कूलो की कक्षाओ में छात्रो की साठ के पार है…!

मध्यान भोजन योजना, गरीबी रेखा में आने वाले पालक , नेटवर्क की उपलब्धता, प्रदेश में छात्रो के पास और पालकों के पास उपलब्ध अनुमानित स्मार्ट मोबाईल फोन , प्रदेश में मोबाईल डेटा यूज्रर्स की संख्या इन सब आंकड़ों को आन लाइन पड़ने वाले छात्रो के और  शिक्षको द्वारा जारी स्क्रीन शॉट के आंकड़े को …. सवाल बना कर ही यदि कक्षा 11वी या 12 वी के  सांख्यिकीय अर्थशास्त्र पढ़ने वाले छात्रो को दिया जाए तो इस कार्यक्रम के गुण दोष छात्र ही बात देंगे। विभाग को इस कार्यक्रम से  रोजना लाभान्वित होने वाले छात्रो की संख्या सार्वजनिक नही करना पड़ेगा।

वर्तमान में खबर लिखे जाने तक सी जी स्कूल डाट इन के पोर्टल में  21,45,716 छात्र पंजीकृत है । जबकि 2,01,654 शिक्षक का पंजीयन हो चुका है। जिसमे 47,255 वर्चुअल स्कूल बन चुके है। वही 19,602 असाइनमेन्ट अपलोड किए जा चुके है। 90,565 असाइनमेन्ट छात्रो द्वारा अपलोड किए गए जिसमें 76,219 असाइनमेन्ट शिक्षको द्वारा जांचे गए है। PTD कार्यक्रम का उपयोग करने वाले 6,191 यूजर्स द्वारा इस पोर्टल से जुड़ी शंकाये व्यक्त की गई है जिसमे 4,690 शंकाओं का समाधान किया जा चुका है। शिक्षा विभाग के आंकड़ो के अनुसार अभी तक 7,09,691 आन लाइन कक्षाऐ छात्रो को पढ़ाने का कार्य कर रही है।

जिसमे 20,345 लर्निंग वीडियो अपलोड है जिसमे कुछ शिक्षको द्वारा पढ़ाये गए है। और प्रदेश के शिक्षा विभाग के कर्मचारियों से हट कर  कई यूट्यूब के दिक्क्ज शिक्षको और यूटूबर्स के विषयों से  जुड़े वीडियो है। जैसे आम की टोकरी और त्रिशूल एकेडमी जैसी अर्थशास्त्र की प्रयोगिक परीक्षा मटेरियल से भरपूर यू ट्यूब चैनल का वीडियो भी शामिल है। इस व्यवस्था ऑडियो का भी चयन किया गया 954 लर्निंग वीडियो अपलोड किए गए है। 13150 लर्निंग फ़ोटो अपलोड है जिसमे  कक्षा पहली के आम की टोकरी,  बंदर आया,  संस्कृत की किताब की फ़ोटो,  गूगल के सौजन्य से विषय के फ़ोटो व शिक्षको द्वारा बनाये हुए चार्ट पेपर पर विषय वस्तु शामिल है। PTD पोर्टल पर 2,956 कोर्स मटेरियल अपलोड किए गए है। जिसमे किताब, शिक्षको के द्वारा लिखित विषय सामग्री व कक्षा विषयवार गूगल मटेरियल भी शामिल है। 

इस विषय पर एक चर्चा के दौरान समाज सेवी व शिक्षा मामले से जुड़े जानकर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रोहित शर्मा बताते है कि एक कहावत है नही मामा से काणा मामा बेहतर है। मौजदा कोरोना काल मे जब शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। यह कब तक शुरू होगी कोई कह नही सकता है। ऐसे हालात में तब पढ़ाई तुंहर द्वार एक माध्यम तो बना है पर इसमे सुधार की जरूरत है। रोहित शर्मा का कहना है कि अब तक खाना पूर्ति जैसी आन लाइन पढ़ाई हो रही है। वर्तमान हालात को देखते हुए कक्षा वार  नया सिलेबस जारी हो जाना चाहिए था।  पोर्टल पर ही सिलेबस  के आधार पर सरल कोर्स मटेरियल होना चाहिए था पर ऐसा हुआ नही। ….वर्तमान समय को देखते हुए नया सिलेबस,  एक पोर्टल और उसमें एक ही एप , एक राज्यस्तरीय कक्षा, राज्यस्तरीय टाइम टेबल 

एक ही राज्यस्तरीय विषय वार आन लाईन पढ़ाने वाले विशेषज्ञ शिक्षक होने चाहिये जो लाइव कक्षा के लिए एक ही सोशल साइट जैसे यूट्यूब जो सबसे सरल है। उसके अलावा छत्तीसगढ़ दूरदर्शन, स्थानीय केबल नेटवर्क, DTH चैनल इन अब साधनो का एक साथ उपयोग ही गरीब छात्रो तक स्कूल डिजिटल स्कूल पहुँचा सकता है। शिक्षको की भूमिका भीड़ बढ़ाने की नही होनी चाहिए। शिक्षको की भूमिका छात्रो को प्रेरित करने फॉलोअप लेने और छात्रो की फोन पर ही शंका समाधान करने की हो सकती है। छात्र अगर चाहे या शिक्षक चाहे तो आन लाइन टयूशन दे सकते है।

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा का कहना है कि शिक्षा  विभाग ने दूरदर्शिता तो अपनाई पर जमीनी स्तर को नजर अंदाज कर दिया ट्राइबल और अर्बन एरिया में अंतर नही किया गया। और तो और पढ़ाई के लिए सोशल मीडिया का जाल फैला दिया गया है।राज्य,  जिला, ब्लॉक, संकुल के टेलीग्राम ग्रुप्स लगभग ऐसे ही कई वाट्सएप ग्रुपस वेबेक्स के, ब्लाक संकुल के मीटिंग ग्रुप्स अलग बना दिये गए है। कुल मिलाकर एक छोटे से मोबाइल में सोशल मीडिया का मायाजाल बना दिया गया है

सीजी स्कूल के पोर्टल में इतने सारे मटेरियल हो गए है कि छात्रो को दिशा हीनता महसूस होती है। वेबेक्स सिस्को के लिंक, यूट्यूब के लिंक्स, हजारों वीडियो, कई किताबें, कई चित्र इनकी भरमार है। इसमे लिंक्स औऱ सरकारी दिशा निर्देश कूट कूट कर भर दिये गए है। वर्तमान में सूचना और संचार के सरल माध्यमो की जरूरत है जो ट्राईबल एरिया तक आसानी से पहुँच हो इसके अलावा संक्षिप्त सिलेबस, केंद्रीय कृत सरल आन लाइन एप जो एकदम आसानी से कोई भी अपना इसमे रजिस्ट्रेशन कर सके इन सबके जरिये आन लाइन पढाई करने की है जो एकदम सस्ते से सस्ते स्मार्ट फोन पर आसानी से हो सके।

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