‘पढ़ाई तुंहर द्वार’ योजना पर उठ रहे सवाल,फेडरेशन ने कहा-हर एक घर में नहीं है टच स्क्रीन और एंड्राइड मोबाइल,कार्यक्रम तुरंत स्थगित करें सरकार

Shri Mi
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रायपुर।विश्वव्यापी कोरोना महामारी संकट के बीच स्कूली बच्चों को घर पर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने “पढ़ाई तुंहर द्वार” नामक योजना निकाली है जिसके तहत स्कूली बच्चों को एंड्राइड मोबाइल के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक स्कूली बच्चों के पास टच स्क्रीन मोबाइल हो अथवा कम से कम उन घरों में एक एंड्राइड मोबाइल अवश्य हो जिन घरों के बच्चे स्कूलों में पढ़ाई करते है। साथ ही प्रत्येक जगह मोबाइल का फोर जी नेटवर्क हो।”छत्तीसगढ़ प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन” के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा है कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है जिसकी भरपाई जरूरी है ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति बिल्कुल ठीक है परंतु बिना किसी पूर्व तैयारी के संशाधन की अनुपलब्धता में यह किसी भी सूरत में सम्भव ही नहीं है। सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे व पाए देश प्रदेश की विश्वसनीय खबरे

             
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आज पूरा विश्व कोरोना जैसे भयानक महामारी की त्रासदी झेल रहा है, सारा देश लाकडाउन मे है, कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता, लोगो को जैसे-तैसे अपने प्राण बचाने की चिंता व्याप्त है।ऐसे वक्त में बच्चों की पढ़ाई के नाम पर बिना किसी सोच, बिना किसी कार्ययोजना व बिना किसी जमीनी तैयारी के कुछ भी स्किम निकाल देना यह विभागीय अधिकारियों के विद्वता पर न सिर्फ प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है कि आखिर ऐसी योजनाएं ही क्यों बनाई जाती है जिसे अमल में लाया ही नहीं जा सकता।बल्कि ऐसे अफसरों की बुद्धि पर ही तरस आता है जो कभी भी कुछ भी योजनाऐं निकालकर राज्य सरकार की बेवजह किरकिरी करते रहते है।

आज पूरा केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना के चलते परेशान है, आम लोगो को कंही भी आने जाने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है, सावधानी पूर्वक कोई भी काम करना पड़ रहा है, लोगो को अपने प्राण बचाने के लाले पड़े है ऐसे में न जाने क्यों विभागीय अफसरों द्वारा ऐसा बेतुका योजनाए लागू किया जाता है वह भी ऐसे नाजुक वक्त पर???हालांकि यह योजना ऑनलाइन पढ़ाने का है परंतु इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए प्रदेश भर के सारे शिक्षकों को अब घरों से निकलकर अपने-अपने स्कूल गांव की खाक छाननी पड़ रही है, सभी पालकों के घर-घर जाकर उनसे “पढ़ाई तुंहर द्वार” का एप्स मोबाइल में लोड करवाना पड़ रहा है तथा मोबाइल चलाने के सारे सिस्टम बताने पड़ रहे है।

कोरोना जैसे भयंकर महामारी के बीच अब समस्या यह है कि उक्त कार्यो से न सिर्फ शिक्षकों का जान खतरे में पढ़ रहा है बल्कि प्रदेश के सभी शिक्षक इससे अभी से दिमागी रूप से भयभीत, मानशिक रूप से प्रताड़ित व परेशान है जो मानव अधिकारों का खुला उलंघन है।फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा है कि आज राज्य के अधिकांश इलाको में मोबाइल का नेटवर्क ही नहीं रहता। 4 जी नेटवर्क तो रहता ही नहीं, अटक-अटककर मोबाइल चलता है। कई जगहों पर ग्रामीण इलाकों में तो मोबाइल से बात भी नहीं होती क्योंकि टावर ही नहीं है।

लगभग 60 % से अधिक स्कूली बच्चे व उनके पालकों के पास तो एंड्राइड मोबाइल ही नहीं है ऐसे में यह योजना किसी भी स्थिति में लागू ही नहीं किया जा सकता।छत्तीसगढ़ प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने राज्य सरकार एवँ प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल से उक्त योजना को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने की मांग की है।कोरोना संकट टलने के बाद कभी भी पढ़ाई की भरपाई की जा सकती है परंतु ऐसे नाजुक वक्त में पढ़ाई के नाम पर किसी भी प्रकार का रिस्क लेना व शिक्षकों के भविष्य को जोखिम में डालना कतई उचित नहीं है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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