बिलासपुर—भाजपा नेताओं ने विजयदशमी पर रावण पुतला दहन के बाद बिलासपुर विधायक शैलेष पाण्डेय के भाषण को राजनैतिक बताया है। मंडल अध्यक्षों ने संयुक्त प्रेस बयान में कहा कि रावण दहन कार्यक्रम का राजनीतिकरण किया है। निगम में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। लेकिन निगम ने कांग्रेस विधायकों को ही अतिथि बनाया। इससे भाजपा जनप्रतिनिधियों का अपमान हुआ है।
दो दिन पहले पुलिस मैदान में रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लेकिन राख का गुबार अब भी वातावरण में कायम है। बिलासपुर के सभी मण्डल अध्यक्ष सहदेव कश्यप, धीरेन्द्र केशरवानी, गोपी ठारवानी, सुब्रत दत्ता, सतीश गुप्ता, जी रवि कुमार ने संयुक्त बयान दिया है कि नगर पालिक निगम ने रावण दहन कार्यक्रम में आमंत्रण कार्ड समेत पूरे कार्यक्रम का राजनीतिकरण किया है। बिलासपुर नगर निगम में पांच विधानसभा के क्षेत्र शामिल हैं। लेकिन रावण दहन कार्यक्रम में भाजपा विधायकों को छोड़कर कांग्रेस विधायकों और पदाधिकारियों को ही अतिथि बनाया गया।
भाजपा नेताओं ने बताया कि नगर निगम बिलासपुर ने जब से रावण दहन कार्यक्रम का शुभारंभ किया…आज तक किसी भी अतिथि ने मंच से राजनीतिक भाषण नही दिया। अधर्म पर धर्म की, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व पर विधायक ने राजनैतिक भाषण देकर जनता की आस्था से खिलवाड़ किया है। शैलेश ने रावण दहन कार्यक्रम में राजनीतिक भाषण देकर ओछी मानसिकता का परिचय दिया है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि कार्यक्रम का राजनीतिकरण किये जाने के कारण ही सांसद, महापौर और सभापति ने रावण दहन कार्यक्रम का वहिष्कार किया। सोचने वाली बात है कि विजयादशमी पर्व पर केवल दो जगह ही शैलेष पाण्डेय को अतिथि बनाया गया। यह जानते हुए कि दोनो जगह का पदेन अतिथि शहर विधायक ही होता है। जबकि शहर में दर्जनो स्थान पर रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन होता है। लेकिन किसी भी शैलेश को अतिथि नही बनाया गया। इससे जाहिर होता है कि जनता में पाण्डेय की छवि एक्सीडेंटल एमएलए की है।
भाजपा नेताओं ने कहा कि विधायक बनने के बाद स्थानीय विधायक को मुख्यअतिथि बनने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। 26 जनवरी, 15 अगस्त या अन्य प्रमुख आयोजनों में विधायक को अतिथि की आसंदी से दूर रखा जाता है।
सूप बोले चलनी बोल…बहत्तर छेद
विधायक शैलेश ने कहा कि रावण दहन कार्यक्रम सामाजिक है। राजनीतिकरण का सवाल ही नहीं उठता है। आरोप लगाने वालों को सूप बोले चलनी बोले कहावत की जानकारी तो होगी ही। उन्हें अकेले में बैठकर मुहावरे पर मनन करने की जरूरत है। जनता को बताए कि पिछले पन्द्रह साल से रावण दहन कार्यक्रम में निगम क्षेत्र के कितने विधायकों को अतिथि बनाया गया। उन्हें कब मालूम होगा कि धार्मिक कार्यक्रमों में कुर्सी से अधिक जनता की भावनाओं का महत्व होता है। क्योंकि सामाजिक और धार्मिक पर्व किसी नेता की जागीर नहीं होती है।
शैलेश ने बताया कि विजयदशमी का पर्व असत्य पर सत्य..बुराई पर अच्छाई की जीत का दूसरा नाम है। दशहरा को अन्धेरे से प्रकाश की तरफ चलने का पर्व भी कहा जाता है। दुख की बात है कि आज भी भाजपा नेता कुंठा स्वार्थ, और क्रोध से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। जबकि पिछले पन्द्रह सालों से रावण का दहन कर रहे हैं। लेकिन अन्दर के रावण को पाल कर रखे हैं। दरअसल भाजपा नेताओं में विजयदशमी पर्व की समझ ही नहीं है। यही कारण है कि भाजपा नेता आज भी कुंठा के शिकार है। ना तो उन्होने क्रोध छोड़ा है और ना ही लोभ…कुर्सी की मोह ने उन्हें अंधा बना दिया है।