परंपरागत खेलों को सहेजने की अनूठी पहल

Chief Editor
2 Min Read

fugadi 1

बिलासपुर । वक्त के साथ बहुत सी चीजें बदल जाती हैं। लेकिन अगर सहेजने की ललक हो तो कुछ चीजें दूर होने से रोकी जा सकती हैं। कुछ ऐसी ही पहल की जा रही है, तिफरा के हाई स्कूल में। जहाँ छत्तीसगढ़ के परंपरागत खेलों को बचाए रखने और नन्हे बच्चों को उससे जोड़े रखने का प्रयास शुरू किया गया है। आज के दौर में जब स्कूलों के खेल मैदानों में रौनक कम हो रही है, ऐसे में किसी स्कूल के बच्चों को परंपरागत खेलों में णशगूल देखना सुखद लगता है।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

fugadi

लड़कपन और मस्ती दोनो एक दूसरे के पर्याय है ।शा उ मा शाला तिफरा परिसर में संचालित प्राथमिक शाला के बच्चों को परम्परागत खेलो के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए कहा गया तो उनके द्वारा घोडा उडान खेल को प्रस्तुत कर दिखाया।इस खेल में एक साथी कमर के बल झुक के खड़ा हो जाता है और बाकि उसकी पीठ के ऊपर से छलांग लगाते है। यदि किसी साथी की छलांग लगाते समय उसका शरीर झुके हुये साथी से छू जाये तो दाम की बारी बदल कर फाउल करने वाले की हो जाती है।
शा उ मा शाला तिफरा में मैंने बच्चों को परंपरागत खेलो से जोड़ने की मुहीम चलाई है । अब शाला में अवकाश अवधि में परम्परागत खेलो को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है।
इस दिशा में बालिकाओ को फुगड़ी पित्तुल कूद कूद भौरा कंचा और डंडा पचरंगा इत्यादि खेलो से जोड़ा जायेगा

close