बिलासपुर–जल्दी ही नए आईजी दिल्ली छोड़कर बिलासपुर की कमान संभाल लेंगे। विवादों के बाद आईजी पवन देव रायपुर रवानागी की टिकट कट चुकी है। पवन देव के स्थानांतरण की खबर से कोयला कारोबारी और मुनाफाखोरों ने राहत की सांस ली है। कुछ कारोबारियों ने तो अभी से विवेकानन्द के स्वभाव को नेट पर खंगालना शुरू कर दिया है। व्याज के कारोबार करने वालों के चेहर पर रौनक लौट आयी है। सूदखोरों से सताए लोगों की जान हलक में आकर अटक गयी है। भला कौन बताए कि आडियो काण्ड के आरोप ने आईजी के सारे प्रयासों पर पानी फेर दिया है। कोयला कारोबारी तो सड़क के किनारे ठिकाना भी तलाशना शुरू कर दिया है।
कोयला कारोबारी और सूदखोरों के भाग्य से दो साल बाद छींका टूट गया है। आईजी के स्थानांतरण की सूचना मिलते ही कई कोल व्यवसायियों ने मंदिर पहुंचकर घी के दीपक जलाए तो कुछ ने नारियल फोड़कर भगवान को धन्यवाद जाहिर किया है। एक सूदखोर ने तो मंदिर पहुंचकर ना केवल सात नारियल फोड़ा…बल्कि आनन फानन में बकायादारों को फोन पर ही सात दिनों के भीतर रूपया पटाने का फरमान भी जारी कर दिया। कुछ जिला बदर कोयला व्यापारियों ने बिलासपुर संभाग के भीतर प्लाट की संभावना आज से ही तलाशना शुरू कर दिया है।
आरोपों के घेरे में आने से पहले आईजी पवन देव ने सघन अभियान चलाते हुए संभाग में सूदखोरों को चैन से सांस नहीं लेने दिया। रेलवे और कालरी क्षेत्रों में सूदखोरों के सिन्डिकेट को तहस नहस किया। बेलतरा से बैलतपुर…तखतपुर से मस्तूरी के बीच कोयला व्यापारियों को चैन से सांस नहीं लेने दिया। किसी भी प्रकार के अपराध होने की सूरत में घटनास्थल पर पुलिस से आईजी को देखा गया।
बहहाल आईजी के स्थानांतरण से किसको लाभ और किसको हानि हुई। यह सब जानकार लोग ही जानेंगे…लेकिन यह सच है कि आईजी पवन देव पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। उन्हें जवाब देना ही होगा….। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोयला कारोबारी और सूदखोरों का धंधा पवन देव ने काफी मंदा कर दिया है। जाहिर सी बात है कारोबारियों को स्थानांतरण की खबर से राहत मिली है । अाने वाला समय कोयला अफरातफरी और सूदखोरी के लिए कैसा होगा…विवेकानंद के स्वभाव को सर्च इंजन में जाकर खंगाला जा रहा है। जैसा की आज दो एक मामलों में देखा गया।