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रायपुर।छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली ब्लास्ट में शहीद हुए विधायक भीमा मंडावी को घटना से पहले पुलिस ने कुआकोंडा जाने के लिए दुर्घटना वाले रास्ते का उपयोग करने से मना किया था।इसके बावजूद मंडावी उसी रास्ते से कुआकोंडा गए यह खुलासा राज्य के डीजीपी डीएम अवस्थी ने घटना के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया।डीएम अवस्थी ने कहा कि घटना से 1 घण्टे पहले ही कुआकोंडा थाने के टीआई ने उन्हें बचेली वाले रास्ते का उपयोग न करने के लिए कहा था लेकिन इसके बावजूद मंडावी उसी रास्ते से गए।
भीमा मंडावी को मंगलवार को दोपहर तक z प्लस सेक्योरिटी के साथ ही 50 डीआरजी के जवानो की सुरक्षा व्यवस्था भी दी गई थी।सुबह 9 अपने तीन गाड़ियों के काफिले के साथ विधायक चुनाव प्रचार में गये थे। बुलेट प्रूफ गाड़ी में वो खुद बैठे थे। उनकी सुरक्षा में 50 जवानों का दल, 25 बाइक पर सवार होकर चल रहा था। दोपहर बाद करीब 1 बजे चुनाव प्रचार खत्म कर, तो वो पार्टी कार्यालय आये।
वहां उन्होंने डीआरजी के प्रभारी को कहा कि अब चुनाव प्रचार खत्म हो गया है, इसलिए अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत नहीं है। दंतेवाड़ा पार्टी कार्यालय में वो कुछ देर रूके, वहीं से डीआरजी की टीम लौट गयी। उसके बाद वो किरंदुल पार्टी कार्यालय गये और वहां कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।
वहां से वो पार्टी दफ्तर से वो बचेली के लिए निकले, उनके साथ तीन गाड़ियों का काफिला था। घटना की खबर कुआकोंडा के टीआई को खबर लगी। इसके तुरंत बाद टीआई शील आदित्य सिंह ने मोबाइल के जरिये विधायक भीमा मंडावी से संपर्क किया, करीब 3 बजकर 50 मिनट पर थाना प्रभारी ने विधायक को फोन कर कहा कि, आप शार्टकट वाले रास्ते से कुंआकोंडा मार्ग पर मत जाइये, उस रास्ते पर आरओपी नहीं गयी है, चलती गाड़ी में ही विधायक बात कर रहे थे।
वो गाड़ी से आगे बढ़ते चले गये। करीब 1 मिनट 29 सेकंड की ये बातचीत हुई। शाम 4 बजकर 45 मिनट पर नक्सलियों ने विधायक की गाड़ी को निशाना बनाया और विस्फोट से उड़ दिया। इस घटना में विधायक भीमा मंडावी और एक आरक्षक ड्राइवर और उनके तीन पीएसओ मारे गये हैं”