पानी उतारने की साजिशः ग्रामीण करेंगे कोलवाशरी का विरोध

BHASKAR MISHRA
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koyla.1  koyla 2बिलासपुर—22 फरवरी ठीक 12 बजे से घुटकू में कोल वाशरी क्षमता विस्तार को लेकर जनसुनवाई होगी। जनसुनवाई में फिल कोल बेनिफिकेशन प्रायवेट लिमिटेड के जिम्मेदार अधिकारियों के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारी उपस्थित रहेंगे। रायशुमारी के बाद कोलवाशरी की क्षमता ढाई मिलियन टन प्रति वर्ष हो जाएगी। जिला प्रशासन के अनुसार सभी प्रभावित गांव और सरपंच को जनसुनवाई की जानकारी भेज दी गयी है। प्रभावित गांव के कुछ सरपंचों की माने तो इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार भी गुपचुप तरीके से कागज में रायशुमारी नाटक के बीच फिल कोल बेनिफिकेशन को कोलवाशरी विस्तार की अनुमति मिल जाएगी।

                         जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 22 फरवरी दोपहर 12 बजे से घुटकू में कोलवाशरी क्षमता विस्तार को लेकर रायशुमारी की जाएगी। प्रभावित ग्रामवासियों और सरपंचों को जानकारी भेज दी गयी है।रायशुमारी के समय अतिरिक्त कलेक्टर के.डी.कुंजाम विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। बैठक में कोलवाशरी के जिम्मेदार लोग विशेष रूप से शामिल होंगे।

                                        मालूम हो कि सीजी वाल ने कुछ महीने पहले कोलवाशरी के काले कारनामों और प्रभावित गांवों की पीड़ा को सबके सामने रखा था।  कोलवाशरी को लेकर तात्कालीन समय सरपंच और ग्रामीणों ने गहरी नाराजगी जाहिर की थी। लोखंडी सरपंच ने पीड़ा जाहिर करते हुए कहा था कि फिल कोल वाशरी से सैकड़ों एकड़ जमीन बंजर हो चुकी हैं। कोयले के डस्ट से ग्रामीणों का जीना हराम हो गया है। अरपा नदी के तट पर होने के बाद भी लोखंडी का जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। कोल वाशरी के मालिक दबाव डालकर खेत हथियाना चाहते हैं। बिना पूछे खेतों के बीच से रास्ता निकाल लेते हैं। रिटायर्ड मास्टर ने बताया था कि फिल कोलवाशरी के लोग उनकी जमीन कोड़ियों में लेना चाहते थे। नहीं देने पर कोयला का पानी खेत में डालना शुरू कर दिया। इसके चलते करीब तीन एकड़ जमीन बरबाद हो गयी।

                                     तात्कालीन समय सीजी वाल को कई सरपंचो ने बताया था कि कोलवाशरी का हमने पहले भी विरोध किया था। बावजूद इसके शासन ने वाशरी लगाने की अनुमति दे दी। इस बार भी शायद ऐसा ही होगा। हम विरोध करेंगे। बाद में गुपचुप तरीके से कोलवाशरी को विस्तार की अनुमति मिल जाएगी।

   koyla             मालूम हो कि क्षेत्र में पांच से सात बड़े बड़े कोलवाशरी हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि जमीन का जलस्तर कितना नीचे चला गया होगा।  बहरहाल 22 फरवरी को होने वाले जनसुनवाई में हाफां.लोंखंडी,घुटकू,उस्लापुर, तुरकाडीह कछार,निरतु,लमेर,सेंदरी,समेत एक दर्जन से अधिक गांव के प्रतिनिधि और ग्रामीण मौजूद होंगे। हमेशा की तरह ग्रामीण इसका विरोध करेंगे। विरोध के 6 महीने बाद ग्रामीणों की नाराजगी कम होने पर कोलवाशरी को विस्तार का काम शुरू हो जाएगा।

कोलवाशरी का करेंगे विरोध

                            22 फरवरी को घुटकू में होने वाले रायशुमारी के बारे में सीजी वाल को जानकारी मिली है कि प्रभावित ग्रामीण और कुछ सरपंच कोलवाशरी विस्तार का विरोध करेंगे। सरपंचों और ग्रामीणों की माने तो इस बार किसी के धोखे में नहीं आने वाले हैं।  शासन से दो टूक कहा जाएगा कि गांव को कोलवाशरी का कैंसर नहीं बल्कि जमीन के लिए खाद,पीने के लिए साफ पानी,बच्चों के लिए स्कूल और बिजली चाहिए। क्योंकि जो भी कोलवाशरी इस समय चल रहे हैं उसने हमें कहीं का नहीं छोड़ा है। गांव का गांव बरबाद हो गया है। इस बार बिना किसी दबाव में आकर कोलवाशरी थोपने नहीं दिया जाएगा। चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों ना करना पड़े।

जनता जीतेगी या तंत्र

                        नाम नहीं छापने की शर्त पर गांव के एक पूर्व सरपंच ने बताया कि हमारे विरोध से कुछ होना जाना नहीं है। बड़े नेताओं के इशारे पर कोलवाशरी लगायी जाती है। जनता को केवल बेवकूफ बनाने के लिए जनसुनवाई का ढोंग रचा जाता है। इस बार भी ऐसा ही होगा। देखते हैं जनता जीतती है या तंत्र…..।

डीआरएम ने भी जताई थी चिंता

            बजट के दौरान डीआरएम ने सीजी वाल के सवाल पर कहा था कि हम स्वीकार करते हैं कि घुटकू कोलवशारी समेत कई कोलवाशरी से किसानों और आम जनता को बहुत नुकसान हुआ है। यद्दपि यह हमारी जिम्मेदारियों में नहीं है। बावजूद इसके हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि लदान के साथ लोगों की परेशानियों को भी गंभीरता से लें। हमने पिछली बार शिकायत के बाद घुटकू कोलवाशरी को लेकर फाइल तैयार किया है। इस पर अभी भी काम चल रहा है। पर्यावरण मंत्रालय तक आम जनता की बातों को पहुंचाया जाएगा। साथ ही क्षेत्र में पर्यावरण को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। हां यह सच है कि कोयला से खेतों की उर्वरा शक्ति घटती है। धीरे धीरे खेत बंजर हो जाता है। किसानों और आमजनता के साथ अन्याय ना हो रेलवे की जिम्मेदारी है। हमने अपनी जिम्मेदारियो को ठीक से नहीं निभाया।

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