नईदिल्ली।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण की शुरूआत की थी।जिससे घरों में रसोईघर, शौचालय, रसोई गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन और जलापूर्ति की सुविधा होगी और लाभार्थी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार घरों की योजना बना सकेंगे। ग्रामीण राजगीरों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है, ताकि बेहतर निर्माण के लिए आवश्यक कौशल उपलब्ध हो सके।लाभार्थियों के चयन के लिए कठोर प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक जनगणना (एसईसीसी) आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये आंकड़े बे-घरबार लोगों या कच्ची छत वाले 0, 1, 2 कच्चे कमरों पर आधारित हैं।
एसईसीसी आंकड़ों को ग्राम सभा से मान्यता मिली है,ताकि किसी प्रकार की गलती न हो। बता दें कि साल 2016-17 के लिए कुल 44 लाख मकानों को स्वीकृति दी गई है और ग्रामीण विकास मंत्रालय पूरा प्रयास कर रहा है कि इन्हें दिसंबर, 2017 तक पूरा कर लिया जाए।पीएमएवाई-जी में 6 से 12 महीने के भीतर निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्यों से मिली रिपोर्टों के अनुसार 2016-17 में कुल 32.14 लाख मकानों का निर्माण किया जा चुका है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और असम ने पीएमएवाई-जी के कार्यान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाई है। बिहार, पश्चिम बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, झारखंड, राजस्थान और महाराष्ट्र में इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत अधूरे मकानों को बड़े पैमाने पर पूरा कर लिया गया है।
ग्रामीण विकास विभाग की योजना है कि 2017-18 में 51 लाख मकानों को पूरा कर लिया जाए। अतिरिक्त 33 लाख मकानों को 2017-18 के लिए जल्द मंजूरी दे दी जाएगी। इसी संख्या में वर्ष 2018-19 में मकानों को पूरा करने का प्रस्ताव किया गया है। इस तरह 2016-19 की अवधि के दौरान 1.35 करोड़ मकानों को पूरा कर लिया जाएगा। इस तरह 2022 तक सब के लिए आवास का मार्ग प्रशस्त होगा।