पीएससीःसामान्य वर्ग के शासकीय सेवकों को नहीं मिलेगी छूट?

BHASKAR MISHRA
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pscबिलासपुर—छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय सेवाओं में राज्य के मूल निवासियो को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट देने का एलान कर दिया है। छूट का लाभ एक साल के लिए है। सरकारी सेवा में किस्मत देखने वाले स्थानीय लोग जो 35 की उम्र पार कर 40 साल के होने वाले हैं–.छूट का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन शासकीय सेवा में काम कर रहे सामान्य वर्ग के स्थानीय शासकीय सेवकों को छूट का फायदा नहीं मिलेगा।

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                      मालूम हो कि सरकार मूल निवासियों को साल 2016 में प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा 35 साल को बढ़ाकर चालिस साल किया था। छूट की सीमा 31 दिसम्बर 2016 को खत्म हो गयी। शासन  ने एक बार फिर विशेष वर्गों को अधिकतम आयु सीमा में एक साल की छूट दी है। छूटों को मिलाकर अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष निर्धारित है।

                               प्रतियोगी परीक्षा देने वाले कई छात्रों ने बताया कि इस प्रकार की छूट की आवश्यकता नहीं है। छात्रों ने बताया कि मध्यप्रदेश ,उत्तरप्रदेश राजस्थान,झारखण्ड समेत मध्य और उत्तर  भारत के कई राज्यो में 40 साल साल तक सभी सामान्य वर्ग को प्रतियोगी परीक्षा देने का अधिकार है। चाहे वह शासकीय सेवक ही क्यों ना हो।  स्थानीय लोगों और वर्ग विशेष को 40 साल के अलावा पांच साल की छूट है। इन राज्यों के अन्य विशेष वर्ग 45 साल तक प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग ने स्थानीय लोगों के साथ मजाक किया है।

                       raipur-cg-psc-1431020763चालिस साल के पुराने छूट को जस के तस इस बार भी रख दिया। स्थानीय लोगों को पांच साल की छूट देने की बात की जा रही है। जब मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में सामान्य वर्ग 40 तक परीक्षा दे सकते हैं और वर्ग विशेष को पांच साल की छूट है। तो फिर छत्तीसगढ़ में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। प्रदेश सरकार ने अभी भी 35 साल के नियमों को यथावत रखा है। पांच साल का झुनझुना थमाकर लोगों को खुश करने का प्रयास किया गया है। अच्छा होता कि आयु सीमा चालिस हो और जैसा की छात्र चाहते हैं। इसके अलावा वर्ग विशेष, मूल निवासियों को पांच साल की अतिरिक्त छूट मिले।

                        प्रतियोगी छात्रों ने बताया कि पिछली बार भी सामान्य लोगों को 40 और स्थानीय समेत पिछड़े वर्गों के लिए पांच साल की छूट मांगी गयी थी। विरोध ,ज्ञापन के साथ छात्रों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और राजनांदगांव सांसद से मिलकर अन्य राज्यों की तरह प्रतियोगी परीक्षाओं में 40 के साथ पांच साल की छूट की मांग की थी। इसके बाद सीएम ने तात्कालीन सत्र में निर्णय लेते हुए लोकसेवा परीक्षा में आयु सीमा 40 साल कर दिया। एक बार फिर पिछली बार की खामियों को  छात्र भुगतने को तैयार है।

लोकसेवा आयोग परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों ने बताया कि सरकार के निर्णय के दिन ही लोक सेवा आयोग की chhattisgarh-psc-logo2प्रारम्भिक परीक्षा फार्म भरने की तारीख है। फार्म भरने की अंतिम तारीख 19 फरवरी है। इसी दिन प्रस्ताव को हरी झण्डी मिलना है। जाहिर सी बात है कि चालिस की सीमा पर पहुंचे प्रतियोगी छात्रों को छूट का लाभ नहीं मिलेगा। हां छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के नवम्बर 2017 में आने वाले विज्ञापन में फायदा जरूर मिलेगा। नाराज छात्रों ने बताया कि समझ में नही आर हा है कि क्या करें। ऐसी छूट किस काम की जो फरवरी में ना मिले और नवम्ब का इंतजार करें।

                            छात्रों ने बताया कि आयु सीमा में छूट का लाभ पिछले बार की तरह इस बार भी हजारो सामान्य वर्गों के शासकीय सेवको को नहीं मिलेगा । जिनकी आयु 40 से होने वाली है या 40 को पार गए हैं। लोकसेवा आयोग परीक्षा की तैयारी कर रहे कई शासकीय सेवकों ने बताया कि सरकार के निर्णय में तकनिकी खामियां है। पांच साल की छूट मिलने के बाद सामान्य वर्ग का शासकीय सेवक 43 साल तक लोकसेवा की परीक्षा दे सकता हैं। क्योंकि उसे शासकीय सेवा में रहते हुए परीक्षा में शामिल होने  के लिए तीन साल की विशेष छूट है। लेकिन शासन ने स्थानीय सामान्य वर्गों को के लिए अधिकतम आयु सीमा चालिस साल निर्धारित कर पांच साल की छूट को छीन लिया है। या फिर ऐसा कहें कि तीन साल के विशेष शासकीय छूट देने से इंकार कर दिया है।

                           सामान्य वर्ग के प्रतियोगी छात्रों ने बताया कि सरकार के चालिस साल के निर्णय से अन्य वर्गों के लोगो को लाभ मिल रहा है लेकिन सामान्य वर्ग को इसका कोई फायदा होता नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसा केवल तकनिकी त्रुटि या सामान्य प्रशासन और भर्ती संस्थाओ की अनदेखी के कारण हो रहा है। इसका  ख़ामियाजा अकारण ही सामान्य वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।

                    लोकसेवा भर्ती की तैयारी कर रहे सामान्य वर्ग के शासकीय सेवकों ने बताया कि ऐसा लगता है कि नियम बनाते समय शासन ने सामान्य वर्ग को जानबूझकर उपेक्षित किया है। यदि ऐसा नहीं है तो शासन को इस पर गंभीरता से ना केवल विचार करने की जरूरत है बल्कि जल्द से जल्द सुधार की आवश्यकता भी है। घोषणाएं सतही ना हो छूट का लाभ सभी वर्गों को मिले। भर्ती परीक्षाओ में नए प्रयोग होने की बजाय अन्य राजयो की तरह पारदर्शी नियम बनाए जाएं। प्रतियोगी छात्रों ने बताया कि परीक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार की जरूरत है।

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