पुराना बस स्टैंड व्यापारियों में हड़कंप: निगम ने भेजा नोटिस, व्यापारी बोले – सभी से नहीं ली गई सहमति

Shri Mi

बिलासपुर।पुराने बस स्टैंड स्थित 84 दुकानों में नगर निगम बिलासपुर के प्रस्तावित कमर्शियल कंपलेक्स में नगर निगम ने अब 84 दुकानदारों को नोटिस जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जिससे बस स्टैंड के व्यापारी असंतुष्ट है। आहत व्यापारियों ने बताया की निगम ने बस स्टैंड की पुरानी दुकान पर प्रस्तावित नए शॉपिंग काम्प्लेक्स के निर्माण से पूर्व बस स्टैंड के सभी व्यापारियों से आम सहमति नहीं ली गई है।कुछ ही दुकानदारों को आनन फानन में प्रस्तावित नक़्शे अवलोकन के लिए बुलवाया गया था।

Join Our WhatsApp Group Join Now

व्यपारियों का कहना है कि पुराने बस स्टेंड परिसर को 1976-77 में निगम ने आबंटित किया था। निगम चूंकि यहाँ दुकानदारों की दुकान तोड़ कर उन्हें ही नए दुकान आबंटित करने का प्लान है। इस लिए दुकानदारों की सहमति महत्वपूर्ण हो जाती है।निगम की आधी अधूरी कार्यशैली और कुछ खास दुकानदरों को ध्यान में रख कर नए शॉपिंग काम्प्लेक्स एक तरफा निर्णय है । यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।

बस स्टेंड के नव पंजीकृत व्यापारी संघ के मनोनीत अध्यक्ष रजनीश ताम्रकार का कहना है कि 25 अगस्त और 9 सितंबर को हुई नगर निगम की बैठक में भाग लेने के लिए हमारे संघ और इसके व्यपारी सदस्यों को कोई अधिकारीक सूचना नही दी गई है।कुछ ही दुकानदारो को मौखिक सूचना दी गई थी।कि पुराने बस स्टेंड को तोड़ कर नया शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाया जाना प्रस्तावित है। केवल कुछ लोग ही निगम की बैठकों में शामिल हुए है।

बस स्टेंड व्यापारी संघ के मनोनीत अध्यक्ष रजनीश ने बताया कि निगम की नोटिस बैचेन करने और प्रताड़ित करने वाली है। पुराने बस स्टेंड परिसर की 84 दुकानों के सभी दस्तावेज निगम के पास जमा है। हम नियमित नगर निगम का टैक्स पटाते आये है। फिर दस्तावेज के लिए नोटिस समझ से परे है।
इस परिसर में कई व्यापारियों ने बैंकों से ऋण भी लिया हुआ है। दुकान टूटने और बनने के समय के बीच रोजगार प्रभावित होगा, और आर्थिक नुकसान भी होना तय है। इस लिए इस परिसर से छेड़ छाड़ नही की जाय इसके साथ ही निगम इस परिसर के सभी व्यपारियों से संवाद करे। आम सहमति को ध्यान में रख कर ही कोई निर्णय ले।

बिलासपुर के अहिरवार समाज के पुराने बस स्टेंड में गुमटी लगाने वाले चैतू अहिरवार औऱ भरत अहिरवार का कहना है कि हमारे पिता 1978 से इस जगह पर जूते चप्पल रिपेयरिंग और पालिश करते हुए विरासत में इस जगह को हमे दे कर गए है। इस जगह पर नगर निगम ने मध्यप्रदेश शासन के दौर में 1984 में गुमटियां आबंटित की गई थी।

चैतू ने बाताया की सरकार बदली लोग बदले नगर निगम बदल गया। 84 दुकानों में गुमटियां कब नियमिय हो गई पता ही नही चला। हम गरीब औऱ कम पढ़े लिखे लोग इस बारे में स्थानीय पार्षद और जन प्रतिनिधि से चर्चा ही नही कर पाए। 84 दुकान टूटने की खबर से हमे मालूम हुआ कि निगम ने गुमटियां भी नियमित की हुई है, इस आधार पर हमारा भी दावा बनता है।नए काम्प्लेक्स में गरीब वर्ग को ध्यान में रखते हुए तो हमे भी पक्की गुमटियां आबंटित की जानी चाहिए।

इस क्षेत्र से पार्षद रहे दूर्गा सोनी ने इस विषय मे बताया कि बस स्टेंड परिसर में किसी प्रकार के नव निर्माण में सभी व्यपारियों की सहमति जरूरी है। नगर निगम ने अगर पुराने बस स्टेंड की गुमटियां नियमित की है तो गरीब तबके के अहिरवार समाज को भी प्रस्तावित नए शॉपिंग काम्प्लेक्स में पक्की गुमटियां देने का प्रावधान होना चाहिए।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close