बिलासपुर—भ्रष्टाचारियों की गिरेवान पकड़ने वाले पुलिस विभाग का एक एएसआई पिछले चालिस साल से सिस्टम को बेवकूफ बनाकर नौकरी किया। जांच के करीब 6 साल बाद कोरबा पुलिस कप्तान ने एएसआई के खिलाफ कार्रवाई के लिए मार्गदर्शन मांगा है।
भ्रष्टाचार को नाकों चने चबाने को मजबूर करने वाले पुलिस विभाग में ही फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी करने वाले एएसआई पर कार्रवाई को लेकर पुलिस कप्तान ने मार्गदर्शन मांगा है। कोरबा पुलिस कप्तान ने एक पत्र लिखकर प्रशासन से मार्गदर्शन मांगा है कि आखिर एएसआई के खिलाफ क्या कदम उठाया जाए।
कोरबा पुलिस कप्तान अभिषेक मीणा ने पुलिस उप महानिरीक्षक रायपुर को पत्र लिखा है। अपने पत्र में कोरबा पुलिस कप्तान ने लिखा है कि माधव प्रसाद तिवारी पिछले चालिस साल से फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी कर रहा है। वर्तमान में माधव प्रसाद तिवारी एएसआई के पद पर सेवा कर रहा है।
पुलिस कप्तान ने यह भी बताया कि 6 साल पहले एएसआई के खिलाफ एक शिकायत के बाद जांच पड़ताल हुई। इस दौरान पाया गया कि माधवप्रसाद फर्जी अंकसूची और दस्तावेज के सहारे नाबालिग होकर हासिल किया। मामले में आवेदक ने जिला न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया। न्यायालय ने धारा 415, 420 के तहत कार्रवाई भी की। मामला कोर्ट में विचाराधीन है।पुलिस कप्तान ने यह भी लिखा है कि वर्तमान में माधप्रसाद रामपुर थाना में पदस्थ हैं।
पुलिस उप महानिरीक्षक प्रशाासन को पत्र में पुलिस कप्तान ने लिखा कि प्रकरण में जवाबदेही निर्धारित करते हुए आगामी कार्रवाई के लिए स्पष्ट मार्गदर्शन की जरूरत है।
जानकारी देते चलें कि इसके पहले 3 जून 2014 को पुलिस उप महानिरीक्षक प्रशासन ने तत्कालीन एसपी को लिखे पत्र मेें कहा था कि शिकायत में उल्लेखित तथ्य सही पाए गए हैं। एएसआई तिवारी की तरफ से पुलिस विभाग को गुमराह किया गया है। 6 साल बाद भी पुलिस विभाग की ओर से एएसआई माधव प्रसाद तिवारी पर कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कार्रवाई के बजाय फाइल को ही दबा दी गई थी।
वर्तमान एसपी अभिषेक मीणा को इसकी जानकारी होने पर एएसआई के विरूद्ध कार्रवाई के लिए मार्गदर्शन मांगा है।