पुलिस में विद्रोह की आग…बर्खास्त कर्मचारियों की रणनीति…बढ़ाएंगे भीड़…फिर होगी IPS और सरकार को घुटनों पर लाने की तैयारी

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर–क्या छत्तीसगढ़ पुलिस व्यवस्था गहरे संकट के दौर में है। या फिर हड़ताल की बातें हवा हवाई है। या फिर सरकार पुलिस जवानों की मांगो को गंभीरता से नहीं लेकर बड़ी भूल कर रही है। संभव है कि अलग अलग मोर्चा पर सभी बातें सही हों। लेकिन विद्रोह के बीच से जानकारी मिल रही है कि बर्खास्त आरक्षकों ने टीम खड़ा कर सरकार और आईपीएस के खिलाफ मजबूत संगठन बना लिया है। घुटनों पर खड़ा करने की रणनीति भी तैयार कर ली गयी है। यही कारण है कि पुलिस परिजनों का तेवर जस के तस बरकरार है। सूत्रों की मानें तो यदि पुलिस जवानों के तेवर कमान से बाहर हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

             
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                   बिलासपुर में पुलिस परिजनों की हड़ताल को प्रशासन ने नियंत्रित कर लिया है। पुलिस प्रशासन ने लोगों को एकजुट होने से पहले ही तितर बितर कर दिया है। परिजनों गए कुछ परिजनों को पुलिस ने समझा बुझाकर घर लौटा दिया तो कुछ लोगों को थोड़ी देर थाना में पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। लेकिन सूत्रों से जानकारी मिली है कि परिजनों ने अभी हौसला नहीं हारा है।

                       बिलासपुर पुलिस प्रशासन ने हड़ताल में पहुंचे दस ग्यारह पुलिस परिजनों को पकड़ने के बाद समझा बुझाकर कर छोड दिया है। शाम को पुलिस अधिकारियों ने जानकारी दी कि परिजन हड़ताल में पहुंचे ही नहीं। यदि ऐसा मान भी लिया जाए तो गलत होगा। क्योंकि पुख्ता जानकारी के अनुसार हड़ताल की आग अभी बुझी नहीं है। हड़ताल समर्थक पुलिस विभाग के छिपे कर्णधार अभी भीड़ बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। भविष्य में यदि पुलिस परिजन पूरी ताकत के साथ विद्रोह करें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

            सूत्रों ने बताया कि सूरजपुर स्थित एक फार्म हाउस में पुलिस जवान राकेश यादव की गिऱफ्तारी के बाद पूछताछ में जो मामला सामने आया है उससे  पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। पुलिस को जानकारी मिली है कि राकेश यादव बर्खास्त पुलिस जवानों की एक बड़ी टीम तैयार हो जाए। टीम की सदस्य संख्या बढ़ाने के लिए आरक्षकों को नियम तोड़ने और कानून को हाथ में लेने के लिए उकसा रहा है। उसने फैसला किया है कि प्रशासन के आलाधिकारियों और सरकार को औकात दिखाना है।

                        ह़डताल के खिलाफ सुरक्षा व्यवस्था में तैनात कुछ पुलिस कर्मचारियों में भी कमोबेश इसी बात को लेकर चर्चा थी। सीजी वाल को सूत्रों से जानकारी मिली है कि बर्खास्त आरक्षक राकेश यादव पुलिस प्रशासन से बदला लेना चाहता है। विभाग की ऐसी तैसी कर अपना सिक्का चलाना चाहता है। राकेश यादव की पूरी कोशिश है कि पुलिस विभाग में अराजकता फैले इसके बाद मौके का फायदा उठाकर खुद को बड़ा नेता के रूप में स्थापित करे। भीड़ के साथ दबाव बनाए । सरकार और आईपीएस अधिकारियों को घुटने पर खड़े होने को मजबूर कर दे।

                                           राकेश यादव ना केवल बिलासपुर पुलिस बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों के जवानों और उनके परिजनों के भी संपर्क में है। सभी को नियम और कानून के खिलाफ जाने के लिए भडका रहा है। परिजनों के सहारे सोशल मीडिया में सरकार और अधिकारियों के खिलाफ अभियान चला रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी बर्खास्त किए जाए। इसके बाद वह सबको कोर्ट कचहरी में घसीटकर अपनी ताकत दिखाना चाहता है। जानकारी के अनुसार वह काफी हद तक वह बर्खास्त कर्मचारियों और विभाग के अन्दर बैठे साथियों के साथ अपने मंसूबों को देने में कामयाब भी हो रहा है। क्योंकि वह नेता बनकर राजनीति में हाथ आजमाना चाहता है। यही कारण है कि सोशल मीडिया में उसके समर्थकों की संख्या दिनो दिन बढ़ भी रही है।

                          जानकारी के अनुसार बिलासपुर पुलिस प्रशासन को जानकारी मिली है कि परिजनों के हड़ताल में जमकर चंदाखोरी हुई है। अब तक लाखों रूपए इकठ्ठा हो चुके हैं। कुछ लोगों ने बताया कि करोड़ रूपए में चंदा की जानकारी है। मजेदार बात है कि चंदा पर नियंत्रण या तो राकेश यादव का है या फिर बर्खास्त कर्मचारी और विभाग में बैठे विश्वनीय लोग ही हैं।

                        सूत्रों ने बताया कि पुलिस प्रशासन परिजनों की रणनीति को लेकर काफी चिंतित है। क्योंकि मामला जवानों के परिजनों की चिंता में नेतागिरी का मामला भी शामिल हो गया है। अब देखने वाली बात होगी कि व्यवस्था चौपट होने से पहले सरकार बर्खास्त जवानों की राजनीतिक मंसूबों और पुलिस परिजनों की चिंता वाली कॉकटेल को कैसे हजम करती है। जबकि अधिकारियों को पता है कि यदि शासन में बैठे आलाधिकारियों ने मामले को यदि गंभीरता से नहीं लिया गया तो व्यवस्था को अराजक होने से कोई नहीं रोक सकता है।

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