पूर्व मंत्री रमेश बैस ने कहा-रमन को नहीं बांटना था मोबाइल….कर्ज और बोनस से हुआ खजाना खाली…बताया मेरी और मोदी की उम्र लगभग एक

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर— विधानसभा में हार और लोकसभा में जीत के कई कारण हैं। मैं कभी भी मुख्यमंत्री की दौड़ में नही था। ना ही मुख्यमंत्री दौड़ के कारण हार हुई है। हमें उम्मीद भी नही थी कि लोकसभा में 9 सीट जीतेंगे। जीत की असली वजह नरेन्द्र मोदी का चेहरा है। देश में उनसे बड़ा दूसरा नेता इस समय नहीं है। रमन सिंह को मोबाइल नहीं बांटना चाहिए था। निश्चित रूप से बेकार योजना से प्रदेश का खजाना खाली हुआ है। संचार योजना का असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। यह बातें भाजपा के कद्दावर नेताू और पूर्व मंत्री रमेश बैस ने कही। रमेश बैस ने पत्रकारों को बताया कि भूपेश को सोच समझकर खजाना का दरवाजा खोलना चाहिए था। ऐसा लगता है कि उन्होने मजबूरी में किसानों का कर्ज माफ किया है। ठीक उसी समय पांच सौ रूपए का अतिरिक्त बोनस देने का एलान किया। इसके चलते ही खजाना खाली हुआ है।

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                        पूर्व भाजपा सांसद रमेेश बैस निजी प्रवास पर बिलासपुर पहुंचे। छत्तीसगढ़ भवन में विश्राम के बीच उन्होने पत्रकारों से बातचीत की। बैस ने बताया कि चुनाव में हार जीत होती रहती है। विधानसभा चुनाव में करारी हार को लेकर उन्होने कहा कि हमसे कुछ गलतियां हुई है। लोकसभा चुनाव की जीत को लेकर कई कारण भी बताए। पूर्व मंत्री ने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले रमन सिंह को मोबाइल नहीं बांटना चाहिए था। संचार क्रांति योजना के तहत बांटी गयी मोबाइल का कोई मतलब नहीं था। लोकसभा चुनाव में बम्पर जीत पर बताया कि मोदी से बड़ा इस समय कोई नेता नहीं है। हम लोग मान चुके थे कि विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद लोकसभा में लाज बचाना मुश्किल होगा। लेकिन हमने जीत हासिल की। यदि पुराने सांसदों को टिकट दिया जाता तो हम सभी 11 सीटों को जीतते।

                                 भाजपा पर कांग्रेस सरकार का आरोप है कि खजाना खाली कर दिया है। अभी मोबाइल का कर्ज दिया जाना बाकी है। बैस ने बताया कि यह सच है कि रमन सिंह को मोबाइल बांटने की जरूरत नहीं थी। लेकिन उन्होने बांटा…योजना पूरी तरह से बकवास थी। उन्होने इशारों ही इशारों में बताया कि निश्चित रूप से इसका भी असर खजाने पर पड़ा है। साथ ही यह भी दुहराया कि किसानों का एक साथ कर्ज माफ करने की क्या जरूरत थी। थोड़ा रूककर कर्ज माफी किया होता।  उन्हे सोच समझकर बोनस देने का एलान करना था। लेकिन भूपेश की मजबूरी थी…राहुल गांधी ने वादा किया था कि सरकार बनते ही दोनो मांग को दस दिनों में अन्दर पूरा किया जाएगा। जबकि पटवा ने सरकार बनने के डेढ़ साल बाद केवल दस हजार रूपए माफ किये थे। कमलनाथ ने सिर्फ दो लाख रूपए का कर्ज माफी का एलान किया। एलान के बाद भी शायद अभी तक मध्यप्रदेश के किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। जबकि कमलनाथ ने शपथ लेते ही दिखावा कर मौके पर ही कर्ज माफ कर दिया था।

                                                     क्या किसानों का कर्ज माफ नहीं किया जाना चाहिए…सवाल के जवाब में बैस ने कहा कि भूपेश ने जल्दबाजी की है। गोलमोल जवाब में उन्होने कहा कि फिर कांग्रेस सरकार खजाना खाली होने का राग क्यों अलाप रही है। भूपेश को पहले अपनी स्थिति का आंकलन कर लेना चाहिए था।

                        एक सवाल के जवाब में रमेश बैस ने बताया कि विकास कार्य ठप्प पड़ चुके हैं। बीजेपी सरकार ने जिन विकास कार्यों की स्वीकृति दी थी..रूके हुए हैं। जब हम सरकार में थे तो प्रदेश के लोगों को शिकायत थी कि छत्तीसगढ़ियों की नहीं सुनी जाती है। अब वही लोग पछता रहे हैं। प्रदेश में आतंक का माहौल है। अधिकारी डरे हुए हैं। आप कितना भी बुद्धिमान क्यों ना हो लेकिन बिना अधिकारियों के कोई काम नहीं होता है। इसलिए अधिकारियों को डराना धमकाना ठीक नहीं है। रमेश बैस ने बताया कि हो सकता है कि हम कहीं गलत थे… लेकिन आप तो सही हैं…फिर सोच समझकर कदम क्यों नहीं उठाया।

                आपको क्यों लगता है कि अधिकारियों में आतंक है…सरकार बदले के भावना से काम कर रही है। रमेश ने बताया कि एक की जांच शुरू नहीं हुई..दूसरी एसआईटी का गठन..अभी दूसरी एसआईटी काम पर नहीं आयी..तीसरी चौथी और पांचवी छठवी एसआईटी का गठन है। अरे भाई पहले का तो इंतजार करो…फिर दूसरी एसआईटी का गठन कर लेना। हो सकती है कि हमसे गलतियां हुई हो..लेकिन बदले के भावना से काम करना ठीक नहीं।

                   आप अपराजेय योद्धा रहे ….फिर आपकी टिकट क्यों कटी…कहीं मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब ने ही टिकट तो नहीं कटवा दिया। रमेश बैस ने बोला कि मैं मुख्यमंत्री की दौड़ में था ही नहीं। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले ही कहा था कि चुनाव रमन सिंह की अगुवाई में लडेंगे…लेकिन जनता ने हमें नकार दिया। इस दौरान रमेश बैस ने स्वीकार किया कि मेरी और प्रधानमंत्री की उम्र लगभग समान है। लेकिन टिकट देने या नहीं देने का निर्णय चुनाव समिति का होता है। समिति ने जो निर्णय लिया  परिणाम उससे बेहतर आया।

                  क्या प्रत्याशी बदलकर चुनाव लड़ने का फार्मूला अन्य जगहों में भी उपयोग होगा। बैस ने बताया कि इसका फैसला चुनाव समिति को लेना है। बातों ही बातों में रमेश ने कहा लोकसभा में कांग्रेस की हार की कई वजह हैं। इसमें देशद्रोह कानून हटाने का भी एक मामला है। जनता समझ गयी कि आतंकवादी लगातार मारे जा रहे हैं। फिर देशद्रोह कानून का हटाने का फैसला कांग्रेस ने घोषणा पत्र में क्यों किया है।

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