पैराकटिया व्यापारी ने बिना अनुमति तोड़ दिया ब्रिटिशकालीन गोलघर.. निगम अधिकारियों की मिलीभगत उजाकर ..अब एक दूसरे को दे रहे दोष

BHASKAR MISHRA

बिलासपुर— निगम सरकार सोती रही..और ब्रिटिश कालीन इमारत गोलघर को व्यापारी ने जमीदोज कर दिया। बिलासपुर की खास पहचान में से एक गोलघर का निर्माण करीब सवा सौ साल पहले ब्रिटिशकाल में किया गया था। आजादी के बाद गोलघर पर निगम सरकार का कब्जा हो गया। निगम ने किसी केशरवानी परिवार को गोलघर को किराए पर दे दिया। करीब एक सप्ताह पहले वर्तमान किराएदार स्वरूप केशरवानी ने जर्जर गोलघर को हमेशा के लिए जमीदोज कर दिया। मजेदार बात है कि इस बात की भनक निगम सरकार को भी नहीं है। मामले सामने आने के बाद निगम प्रशासन अब मुंह छिपाते फिर रहा है।सीजीवालडॉटकॉम NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए।

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                 जानकारी हो कि शनिचरी में कांतिकुमार स्कूल के पास एक गोलघर हुआ करता था। हुआ  करता था इसलिए…क्योंकि हाल फिलहाल गोलघर को एक व्यापारी ने गोलघर को जमीदोज कर दिया है। जानकारो की बातें और दस्तावेजों को सच माने तो…गोलघर का निर्माण करीब 125 से 150 साल पहले ब्रिटिशकाल में हुआ था। आजादी के बाद गोलघर पर निगम प्रशासन का मालिकाना हक हो गया। निगम ने इमारत को संरक्षित रखने किसी केशरवानी परिवार को किरायानामा पर दिया। जमीदोज होने से पहले गोलघर में स्वरूप केशरवानी पैराकटिया का दुकान संचालित कर रहे थे। स्वरूप केशरवानी ने निगम प्रशासन को जानकारी दिए बिना एतिहासिक इमारत को जमीदोज कर नया भवन बनाना शुरू कर दिया है। केशरवानी परिवार का कहना है कि मरम्मत के लिेए कई बार निगम का दरवाजा खटखटाया। लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए भवन को तोड़कर नया निर्माण कर रहा हूं। केशरवानी परिवार का दवा है कि निर्माण की जानकारी निगम प्रशासन को है। लेकिन निगम के अधिकारी जानकारी होने से इंकार कर रहे है।

               ब्रिटिशकालीन एतिहासिक इमारत गोलघर जमीदोज होने से पहले यहां स्वरूप केशरवानी का पैराकटिया दुकान हुआ करता था। समय के साथ गोलघर जर्जर होता गया। कई बार कहने के बाद भी निगम प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। खतरे को देखते हुए गोलघर को तोड़कर नया भवन बनाया जा रहा है। 

                            जानकारी के अनुसार करीब एक साल पहले स्वरूप केशरवानी ने तात्कालीन निगम उपायुक्त मिथिलेश अवस्थी से गोलघर तोड़कर नया भवन बनाने की बात कही। मिथिलेश अवस्थी ने प्रस्ताव को एक सिरे से इंकार कर दिया। उन्होने कहा कि मरम्मत के अलावा ढांचे में बदलाव नहीं किया जा सकता है। बावजूद इसके स्वरूप केशरवानी ने ना केवल गोलघर को गुपचुप तरीके से जमीदोज कर दिया। बल्कि निगम को  बिना बताए निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया। जबकि सभी जानते हैं कि सरकारी भवनों में किसी प्रकार की तोड़फोड़ और निर्माण बिना अनुमति नहीं किया जा सकता है।

हमें इस बात की जानकारी नहीं…भवन शाखा प्रभारी

            गोलघर टूटने और नया निर्माण के सवाल पर भवन शाखा प्रभारी जीएस ताम्रकार ने अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होने कहा कि गोलघर के बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं है। यदि निगम के एतिहासिक इमारतों को तोड़ा गया है तो कार्रवाई होगी।

तोड़े जाने की जानकारी नहीं..पता लगाएंगे

                  सहायक भवन शाखा प्रभारी गोपाल ठाकुर ने बताया कि गोलघर निगम की सम्पत्ति है। किसी को इसे तोड़ने का अधिकार नहीं है। हां मरम्मत का कार्य किया जा सकता है। लेकिन इसकी सूचना निगम को दिया जाना जरूरी है। पता लगाएंगे कि आखिर गोलघर को किसकी इजाजत से तोड़ा गया है।

अनुमति देने से किया गया इंकार

          नजूल अधिकारी जुगल किशोर ने बताया कि कुछ समय पहले स्वरूप केशरवनी ने तात्कालीन उपायुक्त को आवेदन दिया था। जर्जर गोलघर भवन को तोड़कर अपने खर्च पर नया भवन बनाए जाने की बात कही थी। लेकिन मिथिलेश अवस्थी ने अनुमति देने से इंकार कर दिया। लेकिन उन्होने यह भी कहा था कि जर्जर भवन की मरम्मत के लिए ही अनुमति दे सकते हैं। गोलघर को कब तोड़ा गया..और किसकी इजाजत से तोड़ा गया..इस बात की उन्हें जानकारी नहीं है।

गोलघर बाजार का हिस्सा नहीं

                  बाजार प्रभारी अनिल सिंह ने बताया कि गोलघर बाजार का हिस्सा नहीं है। इसलिए हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसलिए बता पाना मुश्किल है। 

अवैध निर्माण की जानकारी नहीं

                    जोन 5 के प्रभारी डी के शर्मा ने बताया कि हमने टाइम कीपर को भेजा था। टाइम कीपर को बताया गया कि निगम की अनुमति से निर्माण कार्य किया जा रहा है। इसलिए कार्रवाई नहीं की गयी।केशरवानी को  निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी गयी थी। बावजूद इसके एतिहासिक इमारत को किसकी इजाजत से तोड़ा गया। इसकी जानकारी लेंगे। जरूरत पड़ी तो कार्रवाई भी करेंगे।

                        आश्चर्य की बात है कि गोलघर टूट गया और निगम प्रशासन को इस बात की जानकारी नहीं है। अवैध निर्माण भी शुरू हो गया..इस बात की भी भनक निगम को नहीं हुई। जानकारी नहीं होना समझ से परे है। इसका सीधा अर्थ है कि व्यापारी और निगम अधिकारियों की मिली भगत से ही गोलघर को तोड़ा गया है। सच्चाई तो यह है कि गोलघर को जमीदोज किया जाना और फिर बिना अनुमति  अवैध निर्माण किया जाना…बिना अधिकारियों के संरक्षण के संभव नहीं है। बहरहाल अब निगम अधिकारी अपनी गलतियों को छिपाने एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं। देखना होगा कि क्या पैराकटिया व्यवसायी पर किसी प्रकार की कार्रवाई होगी।

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