प्राकृतिक विपदा पर मुआवजा बढ़ाया केबिनेट ने..

Chief Editor
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raman

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रायपुर । मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में प्राकृतिक विपदा पीड़ितों की मदद के लिए सहायता राशि के वर्तमान प्रावधानों को संशोधित कर मुआवजे में भारी वृद्धि करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री  की अध्यक्षता में आज केबिनेट ने मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाकर राजस्व पुस्तक परिपत्र 6 (4) के वर्तमान प्रावधानों में संशोधन प्रस्तावों का अनुमोदन कर दिया, ताकि संकटग्रस्त और पीड़ित परिवारों को राज्य सरकार द्वारा अधिक से अधिक सहायता दी जा सके। संशोधित प्रावधानों के अनुसार भारी वर्षा, बाढ़, आंधी-तूफान, आकाशीय बिजली (गाज) गिरने जैसी प्राकृतिक विपदाओं में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके आश्रित परिवार को पहले की तुलना में अब दोगुनी से भी ज्यादा तात्कालिक आर्थिक सहायता अनुदान के रूप में मिलेगी।
वर्तमान में ऐसे प्रकरणों में मृतक के परिवार को डेढ़ लाख रूपए की सहायता देने का प्रावधान है, यह प्रावधान वर्ष 2012 से लागू है, जिसे आज बढ़ाकर चार लाख रूपए कर दिया गया है। सर्पदंश, बिच्छु के डंक मारने, मधुमक्खी काटने, रसोई गैस सिलेण्डर फटने, खदान धसकने, लू लगने और गड्ढ़े में डूबने जैसी दुर्घटनाओं में भी मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रूपए की सहायता मिलेगी। किसी बस या अधिकृत पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहन के नदी मेें गिरने या पहाड़ से खाई में गिरने पर मृत्यु के मामले में दी जाने वाली सहायता राशि को 75 हजार रूपए से बढ़ाकर दो लाख रूपए करने का निर्णय लिया गया है।
आपदा प्रबंधन की तैयारी और बचाव तथा राहत कार्य करते हुए किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को मिलने वाली सहायता राशि भी 1.50 लाख के स्थान पर 4.00 लाख रूपए करने का निर्णय लिया गया है। अंग-भंग/आंख की 40 से 80 प्रतिशत तक क्षति होने पर वर्तमान में 43 हजार 500 रूपए की मदद का प्रावधान है, जो बढ़कर 59 हजार 100 रूपए हो जाएगा। इस संबंध में शासकीय चिकित्सालय के सक्षम चिकित्सक का प्रमाण पत्र लगेगा ।  किसी प्राकृतिक आपदा में 80 प्रतिशत से अधिक शारीरिक अक्षमता होने पर वर्तमान में 62 हजार रूपए प्रति व्यक्ति सहायता का प्रावधान है । संशोधित प्रावधानों के अनुसार अब 60 प्रतिशत से अधिक अक्षमता होने पर रूपए 2.00 लाख की मदद दी जाएगी । घरेलू सामान नष्ट होने और भीषण विपत्ति में बेघर व्यक्तियों को मिलने वाली अनुदान सहायता में भी वृद्धि की गई है।
केबिनेट की  बैठक में फसल हानि के मापदण्डों में भी परिवर्तन किया गया है । राज्य में किसानों को प्राकृतिक आपदा से क्षति होने पर अधिक से अधिक तत्कालिक सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है ।  पहले 50 प्रतिशत से अधिक फसल हानि होने पर ही सहायता की पात्रता बनती थी, अब इसे संशोधित कर 33 प्रतिशत से अधिक फसल क्षतिग्रस्त होने पर भी सहायता की पात्रता होगी, तथा 2 हेक्टेयर तक भूमि धारण करने वाले किसानों को असिंचित भूमि के लिए निर्धारित अनुदान की दर 4,500 रूपए प्रति हेक्टेयर को बढ़ाकर 6,800/- तथा सिंचित जमीन के लिए निर्धारित अनुदान की दर 9,000/- रूपए प्रति हेक्टर को बढ़ाकर 13,500/- रूपए प्रति हेक्टर कर दिया गया है। इसके अलावा 2 हेक्टर से अधिक भूमि धारण करने वाले किसानों को भी अधिकतम 10 हेक्टर की सीमा तक 33 प्रतिशत से अधिक फसल का नुकसान होने पर असिंचित भूमि पर 6,800/- रूपए प्रति हेक्टर तथा सिंचित भूमि पर 13,500/- रूपए प्रति हेक्टर की दर से सहायता दी जाएगी। पशुहानि की दरों में भी पर्याप्त वृद्धि की गई है ।
विश्वकर्मा नए पीएससी चेयरमेन

परिषद की बैठक में प्रदेश में आपात कालीन चिकित्सा सेवा 108-संजीवनी एक्सप्रेस के संचालन के लिए पूर्व के समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) का नवीनीकरण करते हुए उसमें छह महीने वृद्धि करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा नायब तहसीलदार से तहसीलदार के पद पर पदोन्नति के लिए न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा अवधि की अनिवार्यता को एक बार के लिए शिथिल करके तीन वर्ष करने का निर्णय लिया गया। बैठक में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष के पद पर आयोग के सदस्य  आर.एस. विश्वकर्मा को नियुक्त करने के प्रस्ताव का भी अनुमोदन किया गया। इस महीने की 21 तारीख को मनाए जाने वाले विश्व योग दिवस की तैयारी के बारे में भी केबिनेट में व्यापक चर्चा की गई। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इसके लिए सभी संबंधित विभागों को युद्धस्तर पर तैयारी करने के निर्देश दिए।
 

 

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