प्राथमिक शालाओं में एनजीओ के अत्यधिक दखल से सरकारी स्कूल बना प्रयोशाला,शासकीय स्कुलो में स्वयम सेवी संस्थाओं का हस्तक्षेप, तत्काल प्रभाव से बन्द हो,”छत्तीसगढ़ प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन”

Shri Mi
7 Min Read

रायपुर-छत्तीसगढ़ प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन ने राज्य शासन से मांग की है कि प्रदेश के सभी प्राथमिक शालाओ में एनजीओ का अत्याधिक दखल अविलम्ब बन्द की जानी चाहिए। संघ के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू एवँ प्रदेश संयोजक इदरीस खान ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी शासकीय प्राथमिक स्कूलों में पांच कक्षाओ के बच्चों के अध्ययन अध्यापन के लिए न्यूनतम कम से कम दो-दो शिक्षक पदस्थ है, जो शिक्षा सत्र के दौरान, पूरे सालभर तक प्रतिदिन शाला समय मे, अर्थात सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक, दिनभर तन, मन और धन से पांच कक्षाओ के बच्चों की पढ़ाई लिखाई का कार्य करते है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने यहां क्लिक करे

Join Our WhatsApp Group Join Now

शासकीय स्कुलो में शिक्षको द्वारा सालभर पढ़ाई लिखाई के अलावा समय-समय पर लोकसभा, विधानसभा एवँ पंचायत चुनावों के समय मतदान, मतगणना एवँ जनगणना जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य किए जाते है। इसके अलावा प्राथमिक शाला के शिक्षको के द्वारा गैर शिक्षकिय कार्यो के रूप में राशन कार्ड सत्यापन, मतदाता पुनरीक्षण एवँ पशुगणना, विभिन्न प्रकार के सर्वे, खेलकुद, अन्य प्रतियोगिताए सहित नाना प्रकार के कार्य किए जाते है।
शासकीय प्राथमिक शालाओ के शिक्षको को कक्षा पहेली से पांचवी तक के बच्चों को अध्ययन-अध्यापन कराना होता है। चूंकि प्राथमिक शाला के शिक्षको की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12 वीं उत्तीर्ण रहता है। साथ ही प्राथमिक शालाओ के लगभग 80 ℅ शिक्षक आज स्नातक एवँ स्नातकोत्तर के साथ साथ पूर्णतः प्रशिक्षित है। ऐसे में एक बारहवीं कक्षा तक की योग्यता वाला शिक्षक कक्षा पहेली से लेकर पांचवी तक को पढ़ाने में किसी भी स्थिति में पूरी तरह योग्य व काबिल है। ऐसे में उसे प्रत्येक वर्ष बार बार एनजीओ व अन्य प्रशिक्षण के नाम पर वेवजह परेशान करना कतई उचित नहीं है।

➡ स्कुलो में जबर्दस्ती एनजीओ को थोपना मतलब शिक्षको के काबिलियत व प्रतिभा पर सवालिया निशान:-
फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू, प्रांतीय संयोजक इदरीस खान, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष शिवकुमार साहू, उप प्रांताध्यक्ष ऋषि राजपूत, प्रदेश उपाध्यक्ष लेखपाल सिंह चौहान, भोजकुमार साहू, प्रदेश महासचिव धरमदास बंजारे, यशवंत कुमार देवांगन, रामकृष्ण साहू एवँ शंकर नेताम सहित समस्त प्रदेश पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि प्राथमिक शालाओ में पदस्थ शिक्षक जो स्वयम कम से कम 12 वीं उत्तीर्ण है वह कक्षा पहेली से लेकर 5 वीं तक के बच्चों को हर प्रकार से पढ़ाने-लिखाने में समर्थ व सक्षम है। इसके बाद भी प्राथमिक शालाओ में रूम टू रीड, सम्पर्क फाउंडेशन सहित और अनेक एनजीओ संस्थाओं द्वारा समय समय पर ट्रेनिंग दी जाती है तथा सभी एनजीओ संस्थाओं के द्वारा स्कुलो को अपने संस्थाओं के तरफ से पुस्तक बच्चो को वितरित की जाती है।

सभी एनजीओ स्कूली बच्चों को अपने तरीके से पढ़ाने के लिए कहते है। सभी एनजीओ द्वारा बच्चो को पढ़ाने के अलग-अलग तरीके बताए जाते है। सम्पर्क फाउंडेशन अपना अलग तरीके से पढ़ाने के लिए कहते है। इन्ही बच्चो को रूम टू रीड वाला अपने तरीके से अलग ढंग से पढ़ाने कहता है। इधर शासकीय पुस्तके स्कूल में अलग से उपलब्ध रहती है जिन कोर्स को समय पर पूरा करना व उसी के हिसाब से बच्चों का टेस्ट व परीक्षा लेना पड़ता है।
आज प्राथमिक शालाओ में पहली एवँ दूसरी कक्षा के बच्चों को छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अंतर्गत कोर्स की पुस्तकों के अलावा रूम टू रीड एवँ सम्पर्क फाउंडेशन आदि की पुस्तकें पढ़ाना पढ़ रहा है जिससे दिक्कत यह होता है स्कुलो में उपलब्ध दो शिक्षक आखिर कौन सा कोर्स पढ़ाए और कौन सा कोर्स छोड़े यह समझ से परे है।

एनजीओ को अत्याधिक बढ़ावा देना बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ तथा शिक्षको का मानशिक शोषण :-
प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा है कि एनजीओ को अत्यधिक बढ़ावा देने से स्कूली बच्चों का सबसे ज्यादा नुकशान हो रहा है क्योंकि बच्चो को शासकीय पाठ्यक्रम के सिलेबस के अलावा अन्य पाठ्यक्रमों पर ज्यादा ध्यान देना पड़ रहा है जिनका कि कोई ओचित्य ही नहीं है। साथ ही साथ स्कूली शिक्षको का मानशिक शोषण हो रहा है क्योंकि उन्हें एक साथ तीन तीन, चार चार प्रकार के कोर्स पढ़ाने पढ़ रहे है साथ ही एनजीओ के अनावश्यक दबाव एवँ जरूरत से ज्यादा व्यर्थ के ट्रेनिंग हो रहे है जिससे शिक्षक बार बार स्कूल छोड़कर ट्रेनिंग में जा रहे है जिससे स्कुलो का पढ़ाई बुरी तरह चौपट हो रहा है।
सीधी और साफ बात यह है कि या तो राज्य सरकार प्राथमिक शालाओ के शिक्षको को स्कुलो में स्वतंत्र छोड़ दे जिससे कि वे शासकीय पुस्तके अर्थात पाठ्य पुस्तक निगम के बुक को सिलेबस के आधार पर अपने अनुसार से स्वतंत्र रूप से पढाएगे या फिर सारे स्कुलो में शासन प्रशासन द्वारा शासकीय बुक से पढ़ाई न करवाकर एनजीओ का ही पुस्तक चलाए….

➡ अब तक केवल प्रयोशाला बना शासकीय प्राथमिक विद्यालय:-
शासकीय प्राथमिक शालाओ को एनजीओ द्वारा बेवजह प्रयोग शाला बनाकर रखा गया है जो कतई उचित नहीं है। पूर्व में भी एमजीएमएल नामक प्रशिक्षण कराया गया था जिस पर स्कुलो में सामग्रियां एवँ पुस्तके उपलब्ध कराने के नाम पर बेवजह अरबो रुपये का फिजूलखर्ची किया गया जिसका कोई औचित्य नहीं हुआ क्योकि यह योजना कुछ वर्षों में ही बन्द कर दी गई। इस प्रकार जबर्दस्ती बेवजह प्राथमिक शालाओ में बिना सोचे समझे नई-नई योजनाएं एनजीओ के द्वारा लाया जाता है जिसे कुछ समय बाद बन्द कर दी जाती है जो कतई उचित नहीं है।
अतः राज्य सरकार से मांग की जाती है कि स्कुलो से सभी प्रकार के एनजीओ का बेवजह दखल अविलम्ब बन्द किया जाए।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close