फ़िर क्यों पड़ रही लॉकडाउन की ज़रूरत….. ?

Chief Editor
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बिलासपुर।न्यायधानी में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है । पिछले काफी दिनों से रोजाना दो -ढाई सौ से अधिक संक्रमित मामले सामने आ रहे हैं । हालात को देखते हुए एक बार फिर लॉकडाउन का फैसला लिया जा रहा है ।  खबरों की मानें तो आने वाले हफ्ते में एक बार फिर लॉक डाउन लग सकता है जाहिर सी बात है कि  लॉकडाउन  से लोगों को परेशानियां होती है और तालाबंदी के दौर में सभी काम ठप हो जाते हैं  । खासकर इससे रोज कमाने -खाने वालों के सामने गहरा संकट खड़ा होता है  । लेकिन दूसरी तरफ प्रशासन के सामने बेचारगी  ही नजर आती है कि लॉकडाउन के अलावे और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है  । दरअसल कोरोना बीमारी की रोकथाम के लिए लोगों का जागरूक होना अधिक जरूरी है  । किसी को भी मोबाइल कॉल लगाने पर बार – बार आवाज सुनाई देती है कि अनलॉक  की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है अब अधिक जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें …….। लेकिन कोई भी किसी भी समय सड़कों ,चौक – चौराहों और बाजारों का हाल देख सकता है  । जहां हमेशा की तरह भीड़ भाड़ नजर आती है ।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

             
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लोग आपसी बातचीत में कहते हैं कि घर में रहने और टेलीविजन की खबरें देखने से लगता है कि कोरोना का कहर है । लेकिन बाजार को देखकर ऐसा नहीं लगता कि लोग कोरोना  से डर रहे हैं  । जिसके चलते न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और ना ही लोग मास्क पहनकर बाहर निकल रहे हैं । जरूरी सावधानियां नहीं बरती जा रही है ।  जिसके चलते कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं । जिस पर लगाम लगाने के लिए लॉकडाउन जैसा कदम फिर उठाया जा रहा है । इस दहलीज़ पर खड़े होकर सभी लोगों को सोचना चाहिए कि बचाव ही जिस बीमारी का इलाज हो ,उसे लेकर यदि लापरवाही बरती गई तो कोई भी इंतजाम काफी नहीं होगा ।  न्यायधानी में इस तरह की खबरें भी लगातार आती रहीं हैं कि होम आइसोलेशन में रहने वाले लोग भी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं  । उन्हें नियमों का पालन कराने के लिए जिला कलेक्टर को भी निर्देश जारी करना पड़ता है और निगरानी कमेटी  भी  बनानी पड़ती है । यह चिंताजनक स्थिति है और अगर ऐसे हालात में भी हम नहीं सीख़ पा रहे हैं तो आने वाली स्थिति और भी भयावह नजर आती है ।

एल्डरमेन की नियुक्ति पर तक़रार

लंबी इंतजारी के बाद प्रदेश के नगरीय निकायों के लिए एल्डरमैन की नियुक्ति कर दी गई है  ।  इसके साथ ही कांग्रेस के भीतर असंतोष के स्वर भी उठने लगे हैं । वैसे तो पूरे प्रदेश से इस तरह की खबरें आ रही हैं । लेकिन न्यायधानी में इसे लेकर हलचल कुछ अधिक दिखाई दे रही है  । हुआ यह कि एल्डरमैन की सूची जारी होने के बाद बिलासपुर में सोशल मीडिया पर नए तरह का वार शुरू हो गया । प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अटल श्रीवास्तव  की ओर से सोशल मीडिया में शेयर की गई पोस्ट से हलचल शुरू हुई और मामला न्यायधानी से राजधानी तक पहुंच गया  । बताते हैं कि इससे जुड़े मंत्री को सुबह-सुबह टेलीफोन कर सफाई देनी पड़ी । जिसमें उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि किस तरह उन्हें भुलावे में रखकर लिस्ट फाइनल करा दी गई । इस मामले में तरह- तरह की दलीलें सामने आ रही है और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की बात सुनाई दे रही है  । कांग्रेस में इस तरह की लड़ाई सामान्य सी बात है । पार्टी के लोग भी मानते हैं कि सभी को संतुष्ट नहीं किया जा सकता । लेकिन यदि ज्यादातर लोग असंतुष्ट हो जाए तो चिंता स्वाभाविक है । सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है और प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं उससे लगता है कि यह झगड़ा अभी हाल शांत नहीं होगा । भीतर भीतर सुलग रहे इस झगड़े का कोई नया रूप आने वाले समय में दिखाई दे तो हैरत की बात नहीं होगी ।

अरुण साव ने संसद में  उठाया सीपत एनटीपीसी का मुद्दा

न्यायधानी से लगे सीपत में एनटीपीसी का पावर प्लांट चालू हुए कई बरस बीत चुके हैं  । लेकिन अब तक विस्थापितों की समस्या का पूरी तरह से समाधान नहीं हो सका है । एनटीपीसी सीपत के विस्थापित नौकरी की मांग को लेकर काफी समय से जद्दोजहद कर रहे हैं । उनकी जमीन पावर प्लांट में चली गई है  । जिससे उनका पुश्तैनी काम और रोजगार छिन गया है । उनके पास अब कोई विकल्प नहीं है । यह मुद्दा समय-समय पर उठता रहा है । इसका हल निकालने की पहल भी हुई है । लेकिन अब तक कोई नतीजा सामने नहीं आया । जिससे समस्या बरकरार है  । बिलासपुर के सांसद अरुण साव ने यह मामला लोकसभा में उठाया  । उन्होंने स्थापितों  की नौकरी में हो रही लेटलतीफी पर नाराजगी जताई और उन्हें जल्दी से जल्दी नौकरी दिलाने की मांग की ।  उन्होंने विस्तार से बताया कि राज्य सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक परियोजना प्रभावित लोगों को एनटीपीसी संयंत्र में रोजगार देने को लेकर सहमति भी बन चुकी है  । लेकिन कई दौर की त्रीपक्षीय बैठकों के बाद अब तक सभी भू विस्थापितों को नौकरी नहीं मिल सकी है । उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा में यह मामला उठने के बाद अब इस मुद्दे पर नए सिरे से पहल होगी और सीपत प्लांट के भू विस्थापितों को इंसाफ मिल सकेगा  । लेकिन अब तक का तजुर्बा कहता है कि ऐसी पहल सही तरीके से नहीं की गई तो मामला जहां का तहां पड़ा रह सकता है ।

क्या तरक्की का दाँव फ़िर चलेगा मरवाही में……  

पूर्व मुख्यमंत्री  अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट के चुनाव की तारीख अभी तय नहीं है  । कोरोना काल में चुनाव कब तक होंगे यह कह पाना भी कठिन है । लेकिन राजनीतिक दल अपने तरीके से तैयारी में जुट गए हैं । तस्वीर साफ है कि मरवाही का मुकाबला कांग्रेस,  भाजपा और जोगी कांग्रेस के बीच तीन कोने वाला होगा । सभी अपनी तरीके से तैयारी कर रहे हैं  । लेकिन लगता है कि प्रदेश में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी यह मरवाही सीट वापस अपने कब्जे में लेने के लिए इस बार लोगों का भरोसा जीत कर उन्हें एहसास कराने की कोशिश में है कि इलाके की तरक्की कांग्रेस की सरकार ही कर सकती है  । हाल के दिनों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए करोड़ों के काम का शिलान्यास किया और कई विकास कार्यो का ऐलान भी  किया ।  वैसे छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से मरवाही सीट जोगी परिवार के कब्जे में रही है।  जिसमें ज्यादातर समय तक खुद अजीत जोगी यहां के विधायक रहे । इसके बावजूद विकास को लेकर मरवाही इलाके में काफी गुंजाइश बाकी है । यह मुद्दा कितना  कारगर होगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा  । लेकिन कद्दावर नेतृत्व के बावजूद इलाके के पिछड़ेपन  का मुद्दा चुनाव में हावी होता है तो यह सवाल  तो पूछा ही ज़ाना चाहिए कि …. तो फ़िर पब्लिक बड़े नेताओँ को चुनकर भेजती क्यूं हैं….?

कोरोना की चपेट में स्कूल शिक्षाक की मौत से बढ़ी हलचल

कोरोना काल  में असामान्य स्थितियों के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ।  भीड़ भाड़ से बचने के लिए जिस तरह के गाइडलाइन जारी हो रहे हैं उससे सार्वजनिक स्थानों में आने जाने वाले भी रोज रोजाना की तरह काम नहीं कर पा रहे हैं ।  स्कूल भी इसीलिए बंद है  । लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग की अफसरशाही का रवैया लोगों की समझ से परे है  । खबरें आती हैं कि स्कूली बच्चों को तो स्कूल नहीं बुलाया जा रहा है । लेकिन शिक्षकों को रोज हाजिरी देने कहा जा रहा है ।  अलग-अलग जगह अलग-अलग तरीके से जारी हो रहे फ़रमानों  की वजह से उहापोह की स्थिति है और शिक्षकों को ज़ोख़िमे से होकर गुजारना पड़ रहा है । स्कूलों में अनावश्यक बिना काम के भी हाजिर रहने के फरमान की वजह से शिक्षक स्कूल जाने को मजबूर हैं । लेकिन ऐसे में भी कई जगह कोरोना के कहर की शिकायतें मिल रही है ।  एक स्कूल में शिक्षक के कोरोना की चपेट में आने से मौत के बाद शिक्षकों के बीच हलचल मची हुई है  । शिक्षक संगठन भी यह बात उठा रहे हैं कि बेवजह शिक्षकों से ड्यूटी कराई जा रही है । उन्हें अनावश्यक जोखिम में डाला जा रहा है संगठनों ने  पचास लाख़ रुपए  बीमा सुविधा मुहैया कराने की मांग भी की है । आज के हालात में इस तरह की शिकायत चिंताजनक है कि केवल अफसरशाही को पालने – पोसने  के लिए कुछ लोग दूसरों को जोखिम में डालने से भी गुरेज़ नहीं कर  रहे हैं  । व्यवस्था के जिम्मेदार लोगों को इस पर जरूर गौर करना चाहिए ।

स्वास्थ विभाग में लापरवाही के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

कोरोना  के दौर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और मरीजों की समस्याओं को लेकर भी खबरें आ रही हैं ।  ऐसे ही मामलों को लेकर बिलासपुर में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा ने इस हफ्ते प्रदर्शन किया और ज्ञापन भी सौंपा । जिसमें पुरजोर तरीके से यह बात उठाई गई है कि स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है । डॉक्टर ,मेडिकल स्टाफ और जिला प्रशासन के बीच तालमेल नहीं होने से मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है  । स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से बेलगाम हो चुका है । उन्होंने जिले के कई उदाहरण पेश करते हुए ब्यौरा भी दिया कि किस तरह मेडिकल विभाग की लापरवाही के चलते लोगों की जान गई है । उधर प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के इलाज को लेकर लूट मची हुई है ।  इस पर भी रोक लगाई जानी चाहिए । यकीनन महामारी के इस दौर में इस तरह की लापरवाही माफ़ी के क़ाब़िल नहीं  कही जा सकती । विरोधी दल ऐसे मुद्दों को लेकर विरोध तो करेंगे  । लेकिन व्यवस्था के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे ऐसी नौबत ही नहीं आने दे तो आने वाला कल भी बेहतर हो सकता है ।

जनघोषणा पत्र में शिक्षकों को किया वादा भूल गए सरकार…

सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार के बड़े-बड़े दावे करती है ।  इस सिलसिले में किए जा रहे उपायों की चर्चा भी खूब होती है  । लेकिन जिस तरह अपनी क्रमोन्नति – पदोन्नति जैसी मांगों को लेकर शिक्षक परेशान हैं ,उसे देख कर कई सवाल खड़े होते हैं  । हाल ही में छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन की ओर से प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा से मिलकर ज्ञापन सौंपा गया  । जिसमें इस बात का जिक्र किया गया कि जन घोषणा पत्र में क्रमोन्नति सहित एल बी शिक्षक संवर्ग की मांगों के निराकरण का भरोसा दिलाया गया था  । लेकिन अब तक इस मामले में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है  । उन्होंने क्रमोन्नति ,पदोन्नति ,पुरानी पेंशन बहाली, अनुकंपा नियुक्ति सहित शिक्षक व सहायक शिक्षक के वेतन में सुधार जैसी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा  । लोग देख रहे हैं कि सरकार में आने से पहले कांग्रेस की ओर से शिक्षकों और शिक्षा कर्मियों के मुद्दों पर बहुत सी बातें कही गई थी  । समय रहते यदि इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो भरोसा टूटना लाजिमी है ।  वक्त रहते इस पर गौर करने की जरूरत है।

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