फिर दुहराई गयी कहानी..बालकों के बाद नगरनगार स्टील प्लांट को केन्द्र ने बेचा ..बेनकाब हुआ आदिवासी विरोधी चेहरा ..सामने आ गयी पूंजीपतियों की दोस्ती

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस विधि विभाग प्रदेश प्रमुख और प्रदेश प्रवक्ता ने संयुक्त प्रेस नोट जारी कर नगरनार स्टील प्लान्ट मामले में भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। संदीप दुबे और सुशोभित सिंह ने  बताया कि नगर नार स्टील प्लान्ट में विनिवेश के हवाले केन्द्र सरकार ने चहेते पूंजीपतियों को लूटने खाने का मौका दिया है। इससे जनता और खासकर आदिवासी समाज के हितों को करारी चोट पहुंची है।
 
                 कांग्रेस विधि विभाग प्रमुख संदीप दुबे और प्रवक्ता सुशोभित सिंह ने केन्द्र सरकार के नगरनार स्टील प्लान्ट पर उठाए गए कदम को त्रासदी बताया है। दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस नोट जारी कर बताया कि बीजेपी सरकार ने NMDC के नगरनार स्टील प्लांट बस्तर बेचे जाने के एलान से जाहिर हो गया है कि भाजपा की केन्द्र सरकार पूुंजीपतियों के साथ गलबहियां कर रही है। जनता के हितों को दरकिनार कर सरकार ने देश के हितों पर चोट किया है। स्टील पलान्ट को बेचे जाने का निर्णय निंदनीय है।
 
                   संदीप और सुशोभित ने बताया कि चंद उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की नियत से केन्द्र सरकार ने जनहित के खिलाफ निर्णय लिया है। नगरनार स्टील  संयंत्र की स्थापना भारत  सरकार इस्पात मंत्रालय के अधीन एनएमडीसी की सरकारी उपक्रम है। परियोजना की परिकल्पना सर्वप्रथम 2009-10  हुई थी। परियोजना का मुख्य उद्देश्य देश की इस्पात जरूरतों की पूर्ति करना है। साथ ही नक्सल प्रभावित पिछड़े इलाके बस्तर के आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार भी करना था। उद्योग के माध्यम से लोगो को स्थायी रोजगार प्रदान करना.नगरनार स्टील संयंत्र की स्थापना का लक्ष्य था। प्लान्ट की स्थापना में लगभग 20000 करोड़ व्यय किया गया है। प्लान्ट से वार्षिक स्टील उत्पादन क्षमता लगभग 30 लाख टन प्रतिवर्ष होता है।
 
              कांग्रेस नेताओं ने बताया कि परियोजना के लिए वन भूमि समेत आदिवासियों की लगभग 1800 एकड़ भूमि को अर्जित किया गया था। स्थानीय निवासियों को आश्वासन दिया गया था कि सभी लोगों का समुचित पुनर्वास और पुनर्व्यस्थापन किया जाएगा । सभी को स्थायी रोजगार का प्रबंध किया जाएगा। तात्कालीन समय सरकार ने भी पूर्ण सहयोग किया। परियोजना के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराया गया। 
 
             कांग्रेस नेताओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नगरनार स्टील संयंत्र का विनिवेश के माध्यम से निजीकरण होने के बाद स्थानीय निवासियों के अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर जबरदस्त आघात पंहुचेगा। केन्द्र सरकार के फैसले से दिवासी समाज एक बार फिर स्वयं को छाला हुआ महसूस कर रहा है। सघन वन और आदिवासी इलाके में लोगो ने अपनी भूमि इसी आश्वासन पर दिया कि उनका समुचित पुनर्वास और पुनर्व्यस्थापन किया जाएगा। लेकिन  निजीकरण के बाद यह संभव नहीं होगा।
 
             संदीप ने बताया कि निजीकरण के निर्णय के पीछे सरकार नियत ठीक नहीं है। इस बात से प्रमाणित होता है की जिस परियोजना के लिए भारत सरकार ने बीस हज़ार करोड़ व्यय किया था । उसी परियोजना को ठीक उत्पादन के  समय निजी हाथो में सौपा जा रहा है। ऐसा ही निर्णय  2001 में बालको के  लिए लिया गया था। बालको का 51 % शेयर मात्र 501 करोड़ रूपए में स्टरलाइन कम्पनी को बेच दिया गया।  बालको को क्रय करते ही स्टरलाइट इंडस्ट्रीस को बाद में कई हज़ार करोड़ का लाभ हुआ। लाभ कमाने वाली सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करना केंद्र सरकार की जन विरोधी निति को दर्शाता है।

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