बिलासपुर—कार्यकर्ताओं के साथ रायशुमारी के बाद आज कांग्रेस कार्यालय में बिलासपुर विधानसभा समन्वयक ने जिला शहर कांग्रेस कार्यकारिणी पदाधिकारियों के साथ रायशुमारी की। बिलासपुर विधानसभा समन्वयक मंजू सिंह ने पदाधिकारियों से वन-टू-वन बातचीत करने को कहा। वन-टू-वन बातचीत के दौरान समन्यवक के अलावा जिला कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यालय सचिव की उपस्थिति को लेकर कमरे के बाहर दावेदार और कार्यकर्ताओं ने जमकर नाराजगी जाहिर की।
बिलासपुर विधानसभा समन्वयक मंजू सिंह ने बारी बारी से चार बैठकें की। तीन चार दिन पहले बूथ पदाधिकारियों से परामर्श के बाद मंजू सिंंह ने जिला शहर कांग्रेस पदाधिकारियों को बंद कमरे में रायशुमारी के लिए बुलाया। इधर बंद कमरे में शहर कांग्रेस पदाधिकारियों से वन टू वन बातचीत शुरू हुई। तो बंद कमरे के बाद पार्षदों में कानाफूसी शुरू हो गयी।
कानाफूशी के दौरान कई पार्षदों ने बताया कि पूरे पांच साल झण्डा उठाया। रायशुमारी के समय हम लोगों को अलग किया जाना ठीक नहीं है। चुनाव आते ही लोग दावेदारी करने चले आए। पार्षदो ने बताया कि सिवरेज, सड़क,बिजली पानी समस्या को लेकर हम लोगों ने कांग्रेस का झण्डा उठाया। 52 दिनों तक संविदा सफाई कर्मचारियों को लेकर अनशन किया। उजड़ रही बस्तियों के खिलाफ आंदोलन किया। जेल गए….। कुछ एक दो बड़े नेताओं को छोड़कर ज्यादातर दावेदार झण्डा उठाना तो दूर सूरत दिखाना भी उचित नहीं समझा।
पार्षदों ने बताया कि यदि हम लोगों को रायशुमारी के लिए नहीं बुलाया तो ऊपर तक शिकायत करेंगे। क्योंकि हम चाहते हैं कि हमें भी प्रत्याशी चयन में भागीदार बनाया जाए।
मामले की जानकारी मिलती ही बिलासपुर विधानसभा समन्वक मंजू सिंह ने बताया कि पीसीसी के आदेश के अनुसार पार्षदों से अहम बातचीत होगी। तब कहीं जाकर पार्षदों को नाराजगी दूर हुई। शहर कांग्रेस कार्यकारिणी, दोनों ब्लाक पदाधिकारियों से बंद कमरे में राय-मशविरा के बाद मंजू सिंह ने देर शामा पार्षदों से बातचीत की। यद्यपि कई पार्षद इस दौरान मौजूद नहीं थे।
अन्दर रायशुमारी बाहर धमाचौकड़ी
जिला ग्रामीण कांग्रेस कार्यालय में जब मंजू सिंह शहर कार्यकारिणी के साथ वन टू वन बातचीत कर रही थी। उसी समय बंद कमरे के बाद नेताओं में धमाचौकड़ी देखने को मिली। कोई बंद कमरे में कार्यालय सचिव को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहा था तो कोई जिला शहर अध्यक्ष की उपस्थिति को लेकर नाराज था। बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों ने बताया कि दोनों का रायशुमारी का दौरान मंजू सिंह के साथ रहना उचित नहीं है। क्योंकि लोग अपनी बात को रखने में संकोच करेंगे। कई लोग तो इस बात को लेकर बेचैन नजर आए कि उन्हें बातचती के लिए बुलाया नहीं जाएगा। विशेषकर पार्षदों को जैसे ही जानकारी मिली कि मंजू सिंह उन लोगों से वन-टू-वन होंगी तो पार्षदों के साथ सभी लोगों की धमाचौकड़ी बंद हुई।