रायपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने शनिवार को माना मे बालकों के सुरक्षित गृह (प्लेस ऑफ सेफ्टी) और बाल सम्प्रेक्षण गृह बच्चों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं और जरूरतों के बारे में चर्चा की। श्री बोरा ने बच्चों को आपस में मिलजुल कर रहने की समझाईश भी दी। उन्होंने कहा कि यहां आप सभी बच्चों में कोई न कोई प्रतिभा छिपी है, जिसे निखारने के लिए मेहनत करने की जरूरत हैं। इससे भविष्य में आपके जीवन को सही दिशा मिलेगी और माता-पिता को खुशी मिलेगी। हर रोज पढ़ाई को भी अपने दैनिक जीवन का आवश्यक हिस्सा बनाएं। इससे ज्ञान बढ़ने के साथ मन में उठने वाले बहुत सारे सवालों के जवाब भी हमें मिल जाते हैं। किशोर न्याय अधिनियम (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) के तहत अभी प्लेस ऑफ सेफ्टी में गंभीर अपराधों में निरूद्ध 94 बच्चे तथा बाल सम्प्रेक्षण गृह में सामान्य अपराधों में निरूद्ध 34 बच्चें रखे गए हैं।
श्री बोरा ने सम्प्रेक्षण गृह के बच्चों के कौशल उन्नयन के लिए उन्हें आटोमोबाईल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर और पेंटिग जैसे आयमूलक कार्यों का प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश भी दिए। उनहोने बच्चों के कहने पर फुटबाल, व्हालीबाल, क्रिकेट और बास्केटबाल जैसे खेलों के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश दिए। और छोटे-छोटे प्रकरणों और गंभीर अपराधों में निरूद्ध बच्चों की अलग-अलग सूची बनाने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि जिन कक्षों में मच्छर जालियां नहीं लगी हैं वहां जालियां लगाने, सुरक्षा की दृष्टि से बिजली के तारों को सुव्यवस्थित तरीके से लगाने और बाथरूम की साफ-सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने साफ-सफाई की नई तकनीक के बारे में भी बताया। पुस्तकालय में सामान्य ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें रखने के लिए भी कहा। इसके बाद श्री बोरा ने बहुविकलांग गृह और बाल कल्याण समिति के अन्तर्गत रहने वाले बच्चों (सुरक्षा की जरूरत वाले बच्चे) से भी मुलाकात की और वहां भी विभिन्न कक्षों का निरीक्षण कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस मौके पर संचालक महिला एवं बाल विकास श्री संजय अलंग और छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सिमी श्रीवास्तव सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।