बिलासपुर—विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को जब तक समाज की मूल धारा से नहीं जोड़ा जाएगा, समाज को पूर्णता नहीं मिलेगी। संभागायुक्त सोनमणि बोरा ने आज विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के उपकरण आंकलन एवं वितरण शिविर में यह बातें कही।
राजीव गांधी शिक्षा मिशन, सर्वशिक्षा अभियान अंतर्गत आयोजित शिविर में बिल्हा और तखतपुर विकासखण्ड के लगभग 200 निःशक्त बच्चों का पंजीयन एवं निःशक्तों का परीक्षण किया गया। बच्चों को उनके आवश्यकतानुरूप सहायक उपकरण प्रदान किए जायेंगे। आपरेशन के लिए निःशक्त बच्चों के लिए चिन्हांकंन भी किया गया। शिविर में दृष्टिबाधित 36 बच्चे, मानसिक विकलांग 18, श्रवण बाधित 23 और अस्थि बाधित 77 बच्चों का पंजीयन कर उनके निःशक्तों की जांच चिकित्सकों ने की।
संभागायुक्त ने उपस्थित निःशक्त बच्चों एवं उनके पालकों को संबोधित करते हुए कहा कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने का संकल्प लेकर प्रयास किया जा रहा है कि उन्हें अनुकूल माहौल प्रदान किया जाए। स्कूल में ऐसे वातावरण इन बच्चों को मिले जिसमें उनका संपूर्ण विकास हो सके। स्कूल निःशक्त बच्चों के लिए सुविधाजनक हो। स्कूल के मेन गेट पर रैंप निर्माण, शौचालय में उनके अनुरूप अधोसंरचना तैयार किया जाए। शिक्षकों का भरपूर सहयोग तथा सामान्य बच्चों की तरह ही वातावरण स्कूलों में मिले यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
बोरा ने कहा कि निःशक्तों की छिपी प्रतिभा को सामने वाले के लिए शासन व प्रशासन सहयोग करेंगे लेकिन परिजन का सपोर्ट भी सबसे जरूरी है। उन्होंने बच्चों को समझाते हुए कहा कि सबको अपनी पढ़ाई पूरी करनी है । विशेषकर बेटियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से स्कूली पढ़ाई करने के बाद उच्च शिक्षा व कौशल उन्नयन से निःशक्तों को जोड़ने की योजना है। कौशल उन्नयन के बाद मुद्रा बैकिंग योजना से भी इन्हें लोन दिलाया जाएगा ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। उन्होंने बताया कि भविष्य में बिलासपुर संभाग में स्वयं का एक बड़ा केन्द्र बनेगा साथ ही ब्लाक स्तर पर स्वयं सुविधा केन्द्र खोले जायेंगे।
इस मौके पर कलेक्टर अन्बलगन पी. ने शिविर के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोई भी निःशक्त बच्चा बीच में पढ़ाई न छोड़े ऐसा प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जितने भी बच्चे आज शिविर में उपस्थित है, उनकी शिक्षा और इलाज के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।
कार्यक्रम में विभिन्न विकासखण्डों में आयोजित शिविरों में लगभग 700 बच्चें बच्चे चिन्हांकित किए गए है। अब तक 6 शिविर लगाए गए जिनमें 132 आपरेशन के प्रकरण चिन्हांकित किए गए तथा लगभग 500 बच्चों को सहायक उपकरण के लिए चिन्हांकित किया गया।