♦सीवीआरयू में आज से वृहद पौधारोपण अभियान का आगाज
बिलासपुर(करगीरोड)।डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में वृहद पौधारोपण अभियान की शुरूआत की गई है। इस अभियान के दौरान बारिश के 4 महिनों तक सीवीआरयू कैपस और अंचल में पौधारोपण किया जाएगा। इसके पहले दिन मंगलवार को सीवीआरयू के कुलपति,कुलसचिव और प्राध्यापकों ने कैंपस में पौधे लगाकर इसकी शुरूआत की। अंचल में लगातार पेड़ों के कटाई कारण क्षेत्र को को पुनः हरा-भरा करने के लिए अभियान के दौरान लोगों को बारिश में अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए जागरूक किया जाएगा।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेष पाण्डेय ने बताया कि सरकार के पेड़ों को कटाने के लिए नियम बनाए गए हैं, जिसके आधार पर वन विभाग द्वारा पेड़ों को काटा जाता है। जिसे डी.डी.डी. कहा जाता है। पहले डी का अर्थ है कि डेड पौधा, दूसरे डी का अर्थ है डाईंग जो मरने की कगार पर है और तीसरा डी का अर्थ है डीजिस यानी की किसी पेड़ को कोई बीमारी या कीट लग गए हैं यदि समय रहते उसे नहीं काटा गया तो व आसपास के दूसरे पेड़ों को भी खराब कर सकता है, इस तरह सर्वे करके तीनों प्रकार के पेड़ों को शासन की अनुमति की बाद काट दिया जाता है। इसी तरह विकास के नाम पर हजारों पेड़ काट दिए जाते है, जिसकी लिए कोई सदभावना पूर्वक विचार किया जाता है। यही कारण है कि पूरे शहर का तापमान तेजी से बढ़ता जा रहा है। कुछ दिन पहले ही हमारे बिलासपुर शहर का तापमान 49.3 तक पहंुच गया था। इसलिए हम शिक्षण संस्थानों के पहली जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए काम करें।
टाल ट्री लगाने और ड्रील मशीन से शिफ्ट करने की जरूरत-कुलसचिव
शैलेष पाण्डेय ने बताया कि जिन स्थानों में विकास के लिए पौधे काटा जाना बेहद अनिवार्य है। वहां जल्द की पौधे रोपने के लिए टाल ट्री लगाया जाने की जरूरत है। यह पौधे बड़े और लंबे होते हैं इनकी आयु लगभग 1 वर्ष या इससे अधिक की होती है। एैसे में इनके पोषण की जरूरत कम होती है। सड़क के किनारे जितने पेड़ों को काटा जाता है उसके बदले ऐसे टाल ट्री को लगाया जाना चाहिए। इसी तरह यू-ट्यब में आप देख पाएंगें कि ड्रील मशीन से पेड़ों को शिफ्ट किया जा सकता है। आज जिले में यह स्थिति बन चुकी है कि हमें टाल ट्री लगाया चाहिए और ज्यादा बेहतर है कि पेड़ों को मशीनों से श््िफ्ट किया जाए।
1 लाख सिगांपुर के सेमल के पौधे लगाए जाएंगे-कुलपति
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आर.पी.दुबे ने बताया कि विश्वविद्यालय में 1 लाख सिंगापुर के सेमल के बीज को रोपा गया है। जिससे पौधे निकल गए है। इन 4 महीनों तक सेमल के पौधे लगाए जाएंगे। यह बेहद जल्दी बढ़ने वाला पौधा है और एक वर्ष में 15 फीट तक बढ़ जाता है। इन पेड़ों को पशु नहीं खाते। इस पौधे की खासबात यह भी है कि सेमल की रूई काफी मंहगी होती है, यदि इसे बड़े पैमाने में लगाया जाए तो किसानों की अधिक कमाई भी होगी। इन 1 लाख पौधों को आसपास के ग्रामीण अंचल के लोगों दिया जाएगा और इसके फायदे भी बताए जाएंगे। जिससे अधिक से अधिक लोग इन पौधों को लगाएं और पर्यावरण को संतुलित करने के साथ अपने इससे व्यापार के विषय में भी विचार करें।
आयुर्वेद ग्राम का अस्तित्व खतरे में
कुलसचिव शैलेष पाण्डेयने कहा कि कोटा रोड़ में आयुर्वेद ग्राम भरनी है। इस गांव का महत्व यह है कि यहां आयुर्वेदिक औषधीय के पौधे है। पूरे इलाके में ऐसे पेड़ों की बहुतायत है। सकरी से कोटा मोड के 4 हजार पेड़ काटे जाने के कारण ये दुलर्भ पेड़ भी काट दिए जाएंगे। ऐसे में इस आयुर्वेद ग्राम का अस्तित्व ही खतरे में है। समय रहते ही हम इसे न रोंके तो अंचल को बड़ी क्षति होगी।