बाहरी इंजीनियरों ने छीना स्थानीय अभियंताओं का हक

BHASKAR MISHRA
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IMG-20160713-WA0026बिलासपुर— नोबेल से सम्मानित अमर्त्य सेन के अनुसार अव्यवस्था के लिए केवल और केवल व्यवस्था ही जिम्मेदार होता है…। यह सिद्धान्त कहीं फिट बैठे या ना बैठे लेकिन बिलासपुर लोक निर्माण विभाग पर सटीक बैठता है। मुख्य अभियंता कार्यालय की मेहरबानी से पीडब्लूडी विभाग डीविजन एक में इंजीनियरों की भरमार है…। स्थानीय स्तर के अलावा यहां बाहर के 9 इंजीनयर प्रतिनियुक्ति पर सेवाएं दे रहे हैं। स्थानीय इंजीनियरों में भारी आक्रोश है…आजकल वे केवल कुर्सी तोड़ने के अलावा टिफिन खोलने और बंद करने का काम कर रहे हैं।

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                                           जहां तक जानकारी है कि शासन ने प्रतिनियुक्ति को बंद कर दिया है। लेकिन बिलासपुर पीडब्लूडी विभाग के साथ ऐसा नहीं है। पर्याप्त  इंंजीनियर होने के बाद भी दूसरे जिलों के इम्पोर्ट इंंजीनियरों से काम लिया जा रहा है।  डीविजन एक में इन्जीनियर के कुल 24 पद हैं…लेकिन यहां तैनात इंजीनियरों की कुल संख्या 32 है…। 24 में से एक पद खाली है…जाहिर सी बात है..यहां बाहरी जिले के विभागीय इंजीनियरों की संख्या 9 है…। मुख्यअभियंता की कृपा से इम्पोर्ट इंजीनियरों को अच्छा सेक्शन भी मिल गया है। स्थानीय इंजीनियरों में व्यवस्था को लेकर काफी आक्रोश है।

                जानकारी के अनुसार डीविजन एक के तीनो सब डीविजन में प्रतिनियुक्त इंजीनियरों को स्थानीय इंजीनियरो पर प्राथमिकता दी गयी है। प्रतिनियुक्त इंजीनियर महीनों और सालों से बिलासपुर लोकनिर्माण विभाग को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कुछ तो यहीं से रिटायर्ड होने का सपना पाल लिया है। यह वह इंंजीनियर हैं जिनका स्थानांतरण दूसरे जिले में हो गया है..या फिर जुगाड़ से प्रतिनियुक्त पर बिलासपुर में है।  ज्वाइनिंग देने के बाद सभी 9 इंजीनियर अपने मूल विभाग में आज तक झांका नहीं है। जबकि वहां इंजीनियरों का भारी टोटा है..

                                                  बिलासपुर को कुल 24 इंजीनियर की जरूरत है…वर्तमान में यहा 23 पद पर ही बिलासपुर के इंजीनियर हैं…। बाकी 9 इंजीनियर चांपा, कोरबा, मनेद्रगंढ़,रायगढ़ और पेन्ड्रा से हैं। इनका या तो यहां घर है या फिर इन्हें बिलासपुर फोबिया हो गया है। ये लोग बिलासपुर छोड़ना नहीं चाहते हैं। सब डीविजन दो में मुख्य अभियंता की कृपा से तैनात सरला राव का मूल विभाग चांपा पीडब्लूडी है…। वेतन भी चांपा से निकलता है। लेकिन उन्होने आज तक बिलासपुर का मोह नहीं छोड़ा है। उन्हें मालदार सेक्शन भी मिल गया है। अधिकारियों की कृपा से उन्हें दोहरा फायदा मिल रहा है। पायल पाण्डेय की पोस्टिंग कोरबा में है…। वेतन भी कोरबा से निकलता है…अप्रोच के दम पर वे एसी कार्यालय में जिम्मेदारी का काम कर रही है। पायल यहां क्यों है…इसकी मूल वजह उनके पति को बताया जा रहा है। वह जहां से आयी हैं वहां पर इंजीनियरों का भयंकर टोंटा है। लेकिन उन्हें इसकी परवाह भी नहीं है।

               बिन्द्रा की मूल स्थापना दूसरे जिले में है…वहींं से उनका वेतन निकलता है…वर्तमान में बिल्हा क्षेत्र  की जिम्मेदारी दी गयी है। उनका कामकाज काफी विवादास्पद है…। लेकिन अधिकारियों की कृपा से सारे काम आसान हो जाते हैं….। राघवेन्द्र सूर्यवंशी के साथ भी ऐसा ही है….। सूर्यवंशी दूसरे जिले के इंजीनियर हैं…यहां प्रतिनियुक्त पर हैं…वेतन मूल विभाग से अकाउंंट में आ जाता है। यहां की जिम्मेदारी उनके पास अलग से हैं। जाहिर सी बात है दोहरे लाभ को देखकर बिलासपुर इंजीनियरों में आक्रोश का होना वाजिब है।

                                 सूत्रों के अनुसार  नाम नहीं छापने की शर्त पर एक इंजीनियर ने बताया कि सारा खेल मुख्यअभियंता कार्यालय से खेला जाता है। अप्रोच और लाभ की स्थिति में नियम और कायदों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है। पीडबल्डी विभाग में कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर टेंडर तक जुगाड़ का होना बहुत जरूरी है। जिनका जुगाड़ नहीं ..वे ही लोग कुर्सी तोड़ने का काम कर रहे हैं…। अन्यथा बाहर के इंजीनियर मलाई नहीं काटते।

             कोरबा के भैसमा में कांगज में इंजीनियरों की कुल संख्या आठ है…लेकिन इस समय वहांं मात्र दो ही इंंजीनियर हैं…6 इंजीनियरों में कुछ बिलासपुर आ गए है तो कुछ कटघोरा में है…कुछ चांपा में है..तो कुछ अंबिकापुर में…। सभी लोग जुगाड़ से अपनी गोटी बैठा लिए हैं। खासतौर पर बिलासपुर पीडब्लूडी जुगाड़ से ही चल रहा है।  चाहे पायल पाण्डेय हो या सरला राव…राघवेन्द्र सूर्यवंशी हो या बिन्द्रा … उनका जुगाड़ जबरदस्त है…ज्वाइनिंग के बाद उन्होने अपने मूल कार्यालय का कभी मुंह नहीं देखा..वेतन अकाउंंट में आ जाता है….सेक्शन का भी लाभ अधिकारियों की कृपा से मिल ही रहा है।

                           मालूम हो कि अभी कुछ महीने पहले डीविजन एक के सब डीविजन दो के एसडीओ को हाइकोर्ट ने हटाया था। बावजूद इसके पीडब्लूडी के अधिकारी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। शायद इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए अमर्त्य सेन ने कहा है कि अव्यवस्था के लिए केवल और केवल व्यवस्थापक ही जिम्मेदार होता है।

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