बिजली ठेका कम्पनी की मनमानी…संविदा आपरेटरों का आरोप…नौकरी के बदले कर्मचारी मांग रहे रूपए 10 हजार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—बिजली विभाग में ठेकेदारी पर काम करने वाले कर्मचारियों ने प्राइम ठेका कम्पनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि नयी कम्पनी ने कर्मचारियों की छटनी का एलान किया है। ऐसा करने पर ना केवल बेरोजगारी बढ़ेगी बल्कि कर्मचारियों की संख्या कम होने से काम और दक्षता पर भी प्रभाव पडेगा। कर्मचारियों ने कम्पनी पर नई नियुक्ति में बेरोजगारों से 10 हजार रूपए मांग करने का आरोप लगाया है।

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                    जिला प्रशासन को लिखित गुहार लगाते हुए बिजली विभाग के संविदा कर्मचारियों ने बताया कि 33/11 केवी सब स्टेशन का संचालन ठेकेदारी में किया जाता है। हर तीन साल में सब स्टेशनों के संचालन के लिए टेण्डर बुलाया जाता है। एक दिसम्बर से शहर के सभी बिजली सब-स्टेशनों का संचालन प्राइमवन कम्पनी करेगी।

                     संविदाकर्मियों ने बताया कि शहर में 33/11 केवी के कुल 28 सब स्टेशन है। सभी स्टेशनों में 112 कर्मचारी पिछले दस सालों से कलेक्टर दर पर काम कर रहे हैं। बिजली विभाग के निर्देश पर ज्यादातर संविदाकर्मी बेहतर भविष्य के मद्देनजर आईटीआई भी कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों का इस साल आखिरी सेमेस्टर चल रहा है।

           नाराज संविदाकर्मियों के अनुसार पिछले दस सालों से सभी कर्मचारी दिन रात ठेका कम्पनी के निर्देश पर फीडर आपरेटर का काम कर रहे हैं। एक स्टेशन में कुल 4 संविदाकर्मियों को रखा गया है। अब आने वाले तीन सालों तक भोपाल की प्राइम वन कम्पनी को सब स्टेशनों की संचालन जिम्मेदारी मिली है। प्राइम वन कम्पनी ने ठेका मिलते शोषण करना शुरू कर दिया है।

                      नाराज ठेकेदार कर्मचारियों के अनुसार प्राइम वन कम्पनी कर्मचारी प्रत्येक आपरेटर से 10 हजार रूपए की मांग कर रहे हैं। रूपए नहीं देने पर नौकरी से हटाने की धमकी भी दे रहे हैं। इतना ही नहीं दस हजार लेने के बाद रसीद नहीं देते हुए शपथ भी मांग रहे हैं कि किसी से कोई रूपया नहीं लिया गया है।

               संविदाकर्मियों ने बताया कि प्राइम वन ने प्रत्येक सब स्टेशन में चार की जगह तीन कर्मचारियों को लेने का फैसला किया है। तीन कर्मचारियों से स्टेशन संचालन मुश्किल है। यदि ऐसा किया गया तो ना केवल कर्मचारियों का शोषण होगा। बल्कि उपभोक्ताओं की सुविधाओं पर भी प्रभाव पड़ेगा। कम्पनी का तर्क है कि सब स्टेशनों पर केवल तीन कर्मचारी ही रहेंगे। किसी को भी साप्ताहिक अवकाश भी नहीं दिया जाएगा।

                  कर्मचारियों ने बताया कि कम्पनी ने चुन चुन कर आईटीआई करने वालों को ही बाहर निकालने का फैसला लिया है। जानकारी मिली है कि निजी आईटीआई संस्थानों से मिलकर नए लोगों को मुंहमांगी रकम लेकर कम्पनी ने भर्ती का फैसला किया है। इससे पुराने और निकाले जा रहे लोगों के परिवार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

लिखित शिकायत में ठेकेदार कर्मचारियों ने गुहार लगाई है कि जिला प्रशासन उनकी मदद कर जीवन बरबाद होने से बचाए। अन्यथा उनके सामने भीख मांगने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।

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