बिलासपुर– कांग्रेस पार्षद दल प्रवक्ता शैलेन्द्र जायसवाल ने निगम पर ठुलमुल रवैया और गरीब जनता को लूटने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता ने बताया कि निगम प्रशासन किसी भी काम को लेकर गंभीर नहींं है। एक अप्रैल से आरएमके का सफाई मीटर चालू हो जाएगा। लेकिन निगम ने अभी तक डस्टबिन का इंतजाम नहीं किया है। कंपनी शहर का कचरा उठाए या ना उठाए लेकिन जनता को सफाई शुल्क देना ही होगा।
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शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि निगम प्रशासन मानसिक रूप से बीमार है। लगता है सोचने समझने की क्षमता भी नहीं रह गयी है। अभी तक डस्टबिन का इंतजाम नहीं किया गया है। शर्तों के अनुसार एक अप्रैल से आरएमके का सफाई मीटर चालू हो जाएगा। पिछला टेन्डर रद्द होने के बाद 12 अप्रैल को दुबारा टेन्डर बुलाया गया है। एक अनुमान के अनुसार शहर को करीब सवा लाख डस्टबिन की जरूरत है। इस पर करीब साढ़े तीन करोड़ रूपए खर्च होंगे।
शैलेन्द्र ने बताया कि शर्तों के अनुसार एक अप्रैल से सफाई मीटर चालू हो जाएगा। यह जानते हुए भी निगम ने अभी तक डस्टबिन का इंतजाम नहीं किया है। टेन्डर प्रक्रिया पूरी होने में करीब एक से दो महीने लग जाएंगे। इससे जाहिर होता है कि निगम प्रशासन ने बिना सोचे समझे और तैयारी के कंपनी के साथ अनुबन्ध कर लिया है। निगम की लापरवाही का भुगतान आम जनता को करोड़ों रूपए चुकाकर करना होगा। वह भी बिना कचरा उठाए।
शर्तों के अनुसार कम्पनी को प्रतिदिन शहर से करीब 170 टन कचरा उठाना है। प्रत्येक टन पर कंपनी को 2115 रूपए मिलेंगे। एक दिन में कचरा उठाने पर तीन लाख 60 हजार रूपए खर्च होंगे। महीने में कचरा उठाने के एवज में निगम प्रशासन एक करोड़ दस लाख रूपए खर्च करेगा। सालाना खर्च 13 लाख रूपए होगा। यह राशि आम जनता से अलग अलग दर पर वसूल किए जाएंगे। सामान्य घर से 20 से 100 रूपए, नर्सिंग और शादी घर से दस हजार रूपए निगम वसूला जाएगा। इसी तरह 500 से 1000 की सालाना वसूली दुकानों और हाटलों से होगी।
शैलेन्द्र के अनुसार टेन्डर की प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम एक से दो महीने का समय लगेगा। टेन्डर के बाद कोई भी फर्म सवा लाख डस्टबिन का भुगतान दस पांच दिन में कर पाएगा…संभव नहीं है। यह जानते हुए भी कि सफाई ठेका लेने वाली कंपनी के शर्त में डस्टबिन शामिल नहीं है। समझा जा सकता है कि बिना डस्टबिन दो महीने तक शहर का कचरा नहीं उठेगा। बावजूद इसके निमग प्रशासन को रोजाना एक अप्रैल से प्रति दिन 3 लाख 60 हजार का भुगतान कंपनी को करना होगा। कंपनी को दो महीने में बिना कचरा उठाए दो करोड़ बीस लाख रूपए मिल जाएंगे।
शैलेन्द्र ने बताया कि यह निगम की तानाशाही नहीं तो और क्या है। एक डिफाल्टर कंपनी पर जनता की गा़ढ़ी कमाई को लुटाया जाएगा। कांग्रेस पार्टी इसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं करेगी। तानाशाही का विरोध किया जाएगा। निगम की जिम्मेदारी बनती है कि पहले डस्टबिन का इंतजाम करे इसके बाद कंपनी का मीटर चालू करने को कहे।