बिन पानी सब सून,नाग नागिन तालाब की मौत..जिम्मेदार कौन?

BHASKAR MISHRA
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IMG20170411142008बिलासपुर(सीजीवाल)।रहीम IMG20170411141953खान-ए-खाना ने लिखा है कि रहिमन पानी राखिए..बिन पानी सब सून…।  कमोबेश सभी लोगों ने दोहा को कई बार पढ़ा और सुना होगा..लेकिन बहुत कम लोगों ने ही इसे समझा और लढ़ा होगा। जिन्हें रुपयों की भूख थी उन्होने केवल पढ़ा- लेकिन लढ़ा नहीं…। पानी का मोल समझा नहीं..। क्योंकि तालाब लढ़े लोगों ने बनवाया लेकिन बेच खाया पढ़े लोगों ने..।

             
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                                                               रतनपुर ही नहीं बिलासपुर को भी तालाबों का शहर कहा जाता रहा था। बिलासपुर तालाब अब कुछ गिनती के रह गये हैं। इसकी कद्र कद्र सरकार को होकर भी नहीं है। ऐसे में तालाबों को बचाने के लिए पढ़े लिखों से उम्मीद रखना आसमान में थूकना जैसा है।सीजीवाल,यही कारण है कि बिलासपुर की जमीन से तालाब लगभग खत्म हो चुके हैं। जो बचे हैं..उन्हें तेजी से पाटा जा रहा है।  भविष्य में वहांं फ्लैट या फिर बड़े बड़े काम्पलेक्स बन जाएंगे। एक दिन ऐसा भी होगा कि तालाब का भूत लोगों के सिर से उतर जाएगा।

                                       बहतराई स्थित तथाकथित नाग नागिन तालाब का अस्तित्व चंद दिनों या महीनों में खत्म हो जाएगा। दो एक साल के भीतर आईवीएफ की तरह तालाब के गर्भ से माल और प्लैट पैदा हो जाएंगे।

               बिलासपुर और राजस्व विभाग  बहतराई तालाब को नाम नाग नागिन के नाम से जानता है। सड़क के एक तरफ नाग तो दूसरी तरफ नागिन तालाब है।  मतलब जुड़वा तालाब है। दोनों तालाब के मालिकाना हक पर लोगों के अलग-अलग दावे हैं। पीएचई कार्यालय की तरफ करीब तीन एकड़ में फैले तालाब में चार लोगों का हिस्सा है।सीजीवाल,चौथा हिस्सा सरकार का है। फिलहाल तालाब को प्रायोजित तरीके से सूखा दिया गया है। स्थानीय लोगों की मानें तो तालाबसत्तर से अस्सी साल पुराना है। तालाब के बीच में सरई खम्बा भी कुछ यही कहता है।

                       IMG20170411142024            नाग नागिन  तालाब के दोनो तरफ मंदिर है। एक छोर पर भगवान शनिदेव की तो दूसरे छोर पर महादेव की पूजा होती है। बीच में अभागा सूखा तालाब है। दोनों मंदिरों के बीच विशाल तालाब को समतल करने सैकड़ों हाइवा मिट्टी डंप किया जा रहा है।सीजीवाल,कुछ लोगों ने बताया कि रात्रि में मिट्टी डंप किया जाता है तो कुछ ने दिन दहाड़े तालाब पाटे जाने की बात कहते हैं।

                            मजेदार बात है कि तहसील कार्यालय में तालाब पाटे जाने की जानकारी पटवारी से लेकर तहसीलदार तक को है। बावजूद इसके तहसीलदार महोदय इससे अंजान बने हुए हैं। सवाल पूछने पर ना केवल लापरवाही से जवाब देते हैं। बल्कि तालाब की जानकारी होने से ही इंकार करते हैं।

                                   स्थानीय लोगों की मानें तो बहतराई स्थित नाग नागिन तालाब का नाम दूर दूर तक है। लेकिन  अब यह खतरे में है। तालाब में राइस मिलर आनंद अग्रवाल और गौरव अग्रवाल 63 डिसीमल जमीन होने का दावा करते हैं। गौरव अग्रवाल ने बताया कि तालाब की जमीन उनके पिता ने दोस्त से खरीदा था।सीजीवाल,तालाब कब से है और किसने बनवाया इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए अपनी 63 डिसिमिल जमीन में मिट्टी डालकर समतल कर रहे हैं। इसके बाद अच्छे दाम पर बेंच दूंगा।

विवादास्पद बनाने की कोशिश

                      आनंद और गौरव अग्रवाल ने बताया कि तालाब की 63 डिसिमिल जमीन मेरी है,,,मुझे बेचने से कोई नहीं रोक सकता है। किसी को एतराज भी नहीं होना चाहिए।कुछ लोग इसे विवादास्पद बना रहे हैं। पटवारी और तहसीलदार ने भौतिक सत्यापन किया है। जमीन नापकर हिस्सा दिया है। कुछ लोग कमीशन के लिए धमकी दे रहे हैं। कहते हैंं कि कमीशन नहीं मिलने पर तालाब की जमीन बिकने नहीं देंगे। जबकि रिकार्ड में तालाब का कहींं भी जिक्र नहीं है।

रिकार्ड में अलग अलग जानकारी

                          आनंद और गौरव ने सीजी वाल को आधा अधूरा रिकार्ड बहुत मुश्किल में दिखाया। वर्तमान रिकार्ड में तालाब का जिक्र नहीं है। राजस्व अमला ने नाग नागिन तालाब का जिक्र किसी दूसरे स्थान के खसरे में किया है। आनंद और अग्रवाल ने 1954 का भी भू अधिकार अभिलेख दिखाया।सीजीवाल,जिसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि तालाब से लगकर बहतराई की सड़क है। मौके पर पाया गया कि तालाब और सड़क बीच बहुत दूरी है। इन दूरियों में लोगों ने घर बना लिया है। जाहिर सी बात है कि तालाब और सड़के बीच बहुत दूरी है। आनंद का दावा है कि सड़क जानबूझकर दूर बनाया गया है। IMG20170411141942

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

                      सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार निजी या सरकारी जमीन पर बनाये या प्राकृतिक तालाब को किसी भी सूरत में दफन नहीं किया जा सकता है। ना ही तालाब के स्रोत को बंद किया जा सकता है। जबकि यहां वही हो रहा है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मना किया है। पहली बात तो तालाब को प्रायोजित तरीके से ना केवल सुखाया गया बल्कि सैकड़ों हाइवा मिट्टी डालकर पाटा जा रहा है।

                                     सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि यदि मिशल में तालाब का जिक्र भी नही है बावजूद इसके तालाब को जिंदा रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। लेकिन बिलासपुर प्रशासन हाथ पर हाथ रखकर तालाब के मौत का इंतजार कर रहा है। सवाल उठना लाजिम है कि जब बिलासपुर के लोग ही पानी उतारना चाहते हैं तो उन्हें कौन रोकेगा कौन..जिसे रोकना है वह हाथ पर हाथ रखकर बैठा है।सीजीवाल,यह जानते हुए भी इंसान का पानी उतरे या ना उतरे लेकिन शहर का पानी तो बचाया ही जा सकता है। जबकि इस समय शहर को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत है। जलस्तर बहुत नीचे चला गया है। सरकार खूंटाघाट से पानी लाकर जलस्तर बढ़ाना चाहती है। लेकिन सरकारी अमला तालाब को दफन होने का इंतजार कर रहा है।

संस्कृति और समाज की मौत

                     कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जसबीर गुम्बर ने नाग नागिन तालाब को पाटने की कड़ी निंदा की है। उन्होने बताया कि तालाब पाटने का अर्थ भारतीय संस्कृति और समाज की हत्या जैसे है। तालाब को किसी भी सूरत में नहीं पाटा जा सकता है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।सीजीवाल,जरूरत के अनुसार नाग नागिन तालाब को बचाने का प्रयास किया जाएगा। शासन पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश को मानने के लिए बाध्य किया जाएगा। गुम्बर ने बताया कि सचमुच बिलासपुर की पानी उतारने की साजिश हो रही है।

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