बिलासपुर का “पानी उतारने” की साजिश (भाग-2)

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160415_121147      बिलासपुर— तखतपुर विधानसभा में करीब 29 कोल प्लांट है। अकेले लोखड़ी में मात्र सात किलोमीटर के दायरे में एक के बाद एक कुल सात कोलक्रशिंग और कोल डिपो है। कोल प्लांट के अधिकारियों के अनुसार वे लोग पर्यावरण नियम और आम जनता के दुख सुख का बराबर ख्याल रखते हैं। प्लांट से किसी को परेशानी नहीं है। अनुमति के बाद ही लोखड़ी में कोल डिपो और क्रशिंग प्लांट लगाया गया है। ग्रामीणों की माने तो सरपंच अंधेरे में रखकर  लोखड़ी में कोल प्लांट खुलवाया है। गांव ने कोल प्लांट का हमेशा से विरोध किया है। शासन ने भी विरोध के आगे घुटना टेका था। बावजूद इसके कोल प्लांट स्थापित कर दिया।

                               बिलासपुर से लगे तखतपुर विधानसभा का लोखडी और उसके आस पास के गांव एक समय बिलासपुर शहर को ताजी सब्जियां खिलाता था।  आधा दर्जन कोल प्लांट स्थापना के बाद बिलासपुर शहरवासियों की थाली में कैंसर परोस रहा है। बारह मासी सब्जी पैदा करने वाला लोखण्डी गांंव की जमीन को लाइलाज कैंसर हो गया है । कोल डिपो और क्रशिंग प्लांट स्थापना के बाद..पानी का स्तर दो सौ फिट नीचे चला गया है। जमीन कोयले के डस्ट से बांझ हो गयी है। ग्रामीणों की पीड़ा को कोई महसूस करने वाला भी नहीं है। ऊपर से कोल कारोबारियों की धमकी ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है।

                     IMG_20160415_125021  अरपा तट पर बसा लोखड़ी गांव का पानी पूरी तरह से उतर चुका है। पानी उतारने का काम कोल माफियों ने किया है। कभी यहां बारहों महीने हरी भरी सब्जियों का व्यवसाय हुआ करता था। अब जमीन पर कोयले के कई परत बिछ गये हैं। आसमान में बारहो महीना काला बादल उड़ता है। पर्यावरण विभाग ने भी माना है कि लोखड़ी की हवा बिगड़ चुकी है। लोगों के खाने में कोयला मुफ्त मिल रहा है। लोखड़ी रेल फाटक के पास फिल मिनरल्स बेनिफिकेशन एण्ड एनर्जी प्रायवेट लिमिटेड का कोल वाशरी की स्थापना आज से दो साल पहले हुई। फिल कोल वाशरी में रोजाना सैकड़ों गैलन पानी का प्रयोग किया जाता है। आस पास की सड़कें चलने लायक नहीं हैं। लेकिन हाइवा धूल उडाते मदमस्त चल रहे हैं।

                                  ग्रामीणों ने बताया कि आमसभा में वाशरी का विरोध किया था। बाद में तात्कालीन सरपंच विश्वनाथ पटेल को कोलवाशरी के मालिक ने खरीद लिया। यदि ऐसा नहीं होता तो कोल प्लांट लोखड़ी में नहीं होता। हम लोगों नेे जिला प्रशासन से क्षेत्र में कोलवाशरी का विरोध किया था। बावजूद इसके कोलवाशरी स्थापित किया गया ।

                                  गांव के ही वरिष्ठ नागरिक और रिटायर्ड शिक्षक जागेश्वर छात्रे ने बताया कि रिटायर्ड होने के बाद दुकान चलाता हूं। बहू सावित्री छात्रे लोखड़ी की सरपंच है। हम लोग मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह यहां से सभी क्रशिंग प्लांट को बाहर किया जाए। क्रशिंग प्लांट कैसे खुला और किसने खुलवाया उन्हें जानकारी नहीं है। बचपन से बुढ़ापा आ गया लेकिन प्लांट को लेकर कभी आमसभा का आयोजन या ग्रामीणों से रायशुमारी नहीं की गयी।

            IMG_20160418_092324                    जागेश्वर छात्रे ने बताया कि फिल वाशरी को पुराने सरपंंच ने एनओसी दिया है। इसके लिए गांववालों से परामर्श भी नहीं लिया गया। पुराने सरपंच ने लोखड़ी वालों के साथ विश्वासघात किया है। ग्रामीणों के नहीं चाहने के बाद भी कोलवाशरी हमारे सिर पर थोप दिया गया। जागेश्वर ने बताया कि फिल कोलवाशरी का मालिक ग्रामीणों पर जमीन बेचने का दबाव बना रहा है। फिल वाशरी के पास ही उसका आठ एकड़ जमीन है। पहले तो वाशरी के कर्मचारियों ने जमीन बेचने के लिए दबाव बनाया। अब वाशरी का डस्ट जमीन पर फेंककर उसे परेशान कर रहाे हैं।

                   जागेश्वर ने गांव की आपबीती सुनाते हुए कहा कि खेत खलिहान क्या पूरा का पूरा लोखंडी कोयले के डस्ट से बरबाद हो गया है। जमीन की उर्वराशक्ति खत्म हो गयी है। कई खेत बंजर हो गये हैं। पानी का स्तर 100 फिट नीचे चला गया है। नालियों से काला पानी निकलता है। जागेश्वर ने बताया कि उसकी जमीन पर कोलवाशरी का मालिक डीजल और पानी वाला कोयला बहाता है। जिसके चलते जमीन बरबाद हो गयी है। विरोध करने पर कहता है कि जो करना है कर लो…या तो फिर हमें जमीन बेच दो। जागेश्वर ने बताया कि जमीन के अलावा उनके पास जीविको पार्जन का कोई साधन भी नहीं है। ऊपर से जमीन का बंजर होना चिंता का विषय है। अन्य ग्रामीणों ने सीजी वाल को बताया कि हम लोग कोलवाशरी से परेशान हैं। यहां की सब्जियां भी अब कम बिकती है। कोयले के चलते ऊपज भी प्रभावित हुआ है।

                                                 IMG_20160418_094453   लोखड़ी का पुराना सरपंच विश्वनाथ पटेल ने बताया कि कोलवाशरी खुलने से पहले लोगों से चर्चा हुई थी। रायशुमारी के बादी ही एनओसी दिया…अब लगता है कि मैने गलत किया। कोलवाशरी से गांव को नुकसान हुआ है। किसान और जनता परेशान है। फिल कोलवाशरी के मालिक प्रवीण झा ने आश्वासन दिया था कि वाशरी में स्थानीय लोगों को नौकरी पर रखेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सारी नौकरी बिहार के लोगों को दे दिया।  विश्वनाथ ने बताया कि सड़कें कोलवाशरी से पहले ठीक थी। अब तो सड़क ही नहीं है। हाइवा किसी के भी खेत से अस्थायी सड़क बनाकर निकाल दिया जाता है। किसान और जनता परेशान है।

                         IMG_20160415_120958कोलवाशरी कर्मचारी एस.एन झा ने बताया कि वाशरी से किसी को परेशानी नहीं है। प्रशासन से हमको अनुमति मिली है। इसलिए कोलवाशरी चला रहे हैं। यह तो प्रशासन को सोचना चाहिए कि कोलवाशरी से क्या क्या नुकसान हो सकते हैं। क्या अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी। हम सड़क नहीं बनवाएंगे। सड़क बनाने का काम प्रशासन का है..हमारा नहीं। गांव वालों का काम चिल्लाना है..ऐसे ही चिल्लाते रहेंगे। पर्यावरण का ध्यान रखा गया है। इससे ज्यादा हम कर भी नहीं सकते हैं। हमें ऊपर से लेकर नीचे तक बहुत लोगों का ख्याल रखना होता है। यदि ग्रामीणों को देखेंगे तो कोलवाशरी चला चुके। पर्यावरण विभाग को जब हमसे शिकायत नहीं है तो ग्रामीणों को क्यों हो रही है। नौकरी होगी तो देंगे…

                                                                                           एस.एन.झा…फिल मिनरल्स बेनिफिेकेशन लोखड़ी…प्रबंधक

                      मालूम हो कि फिल मिनरल्स बेनिफिकेशन की एक कोल वाशरी बेलतरा में भी है। स्थानीय लोगों ने कुछ साल पहले कोलवाशरी का विरोध किया था। पंच से लेकर जनपद और जिला प्रतिनिधियों ने तात्कालीन समय कोलवाशरी का विरोध किया था। रातों रात कई धरती पकड़ नेता आसमान छूने लगे। इसके साथ ही कोलवाशरी का विरोध भी खत्म हो गया। आज बेलतरा के आस-पास की जमीन बंजर हो गयी है। ग्रामीण किसान पलायन को मजबूर हैं। प्रवीण झा की मनमानी से जनता परेशान हैं। स्थानीय जमीन मालिकों पर जमीन बेचने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसा ही लोखड़ी के किसानों के साथ हो रहा है।

                                            लोखड़ी और घुटकू के बीच प्रवीण झा की साइडिंग का काम चल रहा है। साईडिंग में कुछ जमीन किसानों से जबरदस्ती दवाब डालकर खरीदा गया है। कुछ लोगों ने डरकर अपनी जमीन को औने पौन दाम में प्रवीण झा को बेच दिया है। साइडिगं में रेलवे की भी जमीन शामिल है।

                      सीजी वाल ने पड़ताल के दौरान पाया कि  फिल मिनरल्स ने पर्यावरण संरक्षण के नाम पर फूल की क्यारियां तैयार किया है। आफिस की शोभा बढ़ाने वाले प्लांट भी लगा लिये हैं।  वाशरी से पहले यहां प्राकृतिक पेड़ पौधे हुआ करते थे। निर्माणाधीन फिल की रेलवे साइडिंग से पेड़  गायब हो चुके हैं।  तेंदू,बीजा और नेचुरल पेड़ों को काट दिया गया है।

                               पर्यावरण विभाग के रसायनज्ञ एस.के दिवान ने बताया कि हमारा काम पर्यावरण की सुरक्षा करना है। सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की होती है। एनओसी समेत वाशरी के दस्तावेज जब पूर्ण होतेे हैं तो हमें वाशरी खोलने की अनुमति देना ही पडता है। यह सच  है कि कोल वाशरी,क्रशिंग प्लांट और डिपो से निकलने वाला कोल डस्ट जन जीवन के लिए घातक होता है। जमीन बंजर हो जाती है। कई प्रकार की रोग की शिकायत भी आती है। हमने फिल बेनिफिकेशन को नोटिस दिया है। लोखड़ी का पर्यावरण काफी प्रदूषित हो गया है। जवाब मिलने पर मानकों के पूरा नहीं होने पर कार्रवाई होगी। लोखड़ी और आस पास का जल स्तर गिरा है। इसमें कोई शक नहीं है। लोगों का आस पास के प्लांट को हटाने की मांग लगातार हो रही है। लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते हैं।

शिकायत की करेंगे जांच

                         कोल डस्ट की परेशानी से लोखंडी और आस पास के गाव वाले परेशान हैं। इसकी जानकारी आप लोगों से मिली है। हम प्लांट की जांच करेंगे। लोगों की समस्याओं को सुनेंगे। शिकायत सही पायी गयी तो कार्रवाई भी होगी। पानी का दुरूपयोग बर्दास्त नहीं किया जाएगा। जल स्तर काफी नीचे चला गया है। रवि की फसलों पर हम लगाम लगा रहे हैं। यदि कोल प्लांट में पानी का बेजा इस्तेमाल और जरूरत से ज्यादा बोर किया गया है तो प्लांट के खिलाफ न्यायसंगत कार्रवाई करेंगे।

                                                                                                               अन्बलगन पी.कलेक्टर बिलासपुर

                                               यह तो रही लोखंडी की व्यथा। लोखंडी के आस पास के गांंव कोल प्लांट के सौगात से परेशान है। बावजूद इसके उद्योगपति नियम कानून और जनभावनाओं को दरकिनार कर बिलासपुर का पानी उतारने से बाज नही आ रहे है। बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश भाग तीन में पढेंगे  छत्तीसगढ़ पावर एवं कोल बेनिफिकेशन प्रायवेट लिमिटेड की कथा..

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