बिलासपुर का “पानी उतारने” की साजिश (भाग तीन)

BHASKAR MISHRA
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IMG-20160430-WA0034बिसासपुर— बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश में आपने पढ़ा कि किस तरह एक खुशहाल गांव तिल-तिल कर घुटने को मजबूर है। कोयला को सोना बनाने के चक्कर में उद्योगपति लोग…बेगुनाहों की खुशियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। लोखण्डी ही नहीं बल्कि आस पास के चार पांच गांव हांपा,उस्लापुर,जोंकी,घुटकू,तुर्काडीह जैसे कई गांव प्रशासन की उदासीनता और कोल व्यवसायियों की अतिमहत्वाकांक्षा का शिकार हो रहे हैं।

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               लोखण्डी और हांपा गांव घुट-घुटकर मर रहा है। कोल डिपो ने बच्चों से मासूमियत,जवानों से जवानी और बुढ़ापे की लाठी को छीन लिया है। कल तक जो लोग खुली हवा में सांस लेते थे आज उनकी तकदीर काले पत्थरों से लिखी जा रही है। कई ग्रामीणों को पता ही नहीं है कि विरोध के बाद बावजूद आखिर कोल डिपो को किसने खुलने दिया। वर्तमान में लोखण्डी,हांपा,उस्लापुर और तुर्काडीह के सरपंच बदल गये हैं। उन्हें भी नहीं मालूम कि कोल डिपो खुला कैसे। सरपंचो और ग्रामीणों को चिंता सता रही है कि अपनी टूटती सांसो और बंजर होती जमीन को बचाएं कैसे। क्योंकि बंजर बनाने के बाद भी कोल व्यावसायियों की नज़र गिद्ध दृष्टि उनकी जमीन पर है।

                             IMG-20160430-WA0037बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश की दूसरी कड़ी में आपने सीजी वाल के विशेष रपट में पढ़ा कि फिल मिनरल्स और उसके मालिक प्रवीण झा ने किस तरह आस पास के गांव के सुख चैन को छीन लिया है। आज की कड़ी में आपको मालूम हो जाएगा कि लोखण्डी में सबसे बड़े कोलडिपो छत्तीसगढ़ पावर एण्ड कोल बेनिफिकेशन लिमिटेड के कोयले ने लोगों की सुख समृद्धि और सपनों पर कालिख पोत दिया है।

                          छत्तीसगढ़ पावर एण्ड कोल बेनिफिकेशन लिमिटेड जिसे लोग शार्टकट में सीपीसीबीएल भी कहते हैं। बहुत ही नामचीन व्यक्ति का है। बताया जाता है कि कोलडिपो खुलने से पहले मालिक ने ग्रामीणों को सुविधाओं का सब्जबाग दिखाया था। शासन को पर्यावरण संरक्षण के लिए शपथ पत्र भरा था। कोलडिपों खुलने के बाद सीजी वाल को…ग्रामीणों के चेहरे पर ना तो खुशियां दिखायी दीं और ना ही पर्यावरण संरक्षण का कोई प्रयास ही नजर आया। दिखायी दिया तो सिर्फ और सिर्फ ग्रामीणों के धूल धुसरित सपने और एक साथ बरबाद होता बचपन,जवानी और बुढ़ापा। कोलमाफियों ने एक साथ तीन पीढ़ियों को दर्द की भठ्ठी में झोंक दिया है। अब इनमें इतनी ताकत भी नहीं कि अपनी टूटती सांस और खिसकते जमीन को बचा सकें। जमीर तो तंत्र की मार से पूरी तरह से लहु लुहान हो गया है।

              IMG-20160430-WA0039सीजी वाल की टीम लोखण्डी और हांपा के बीच स्थापित सीपीसीबीएल कोल डिपो पहुंची तो सब कुछ आईने की तरह साफ नजर आया। डिपो में कुछ कर्मचारी मिले…जो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ या मध्यप्रदेश के नहीं थे। उन्होने पहले तो कुछ बी बताने से इंकार किया। काफी मान मनौव्वल के बाद मुंह खोला तो जहर ही उगाल। उसने बताया कि जिस आदमी का कोल डिपो है उसके खिलाफ लिखने पढ़ने से कुछ नहीं होने वाला है। ग्रामीणों की सभी शिकायतें निराधार हैं। यदि हैं भी तो अब वे कर भी क्या सकते हैं। कोलडिपो में कोयला कितना है उन्हें नहीं मालूम लेकिन इतना सच है कि कंपनी को जमीन की जरूरत है। कोयला अधिक होने के कारण परेशानी हो रही है।

                  सीपीसीबीसीएल के जिम्मेदार कर्मचारी पी.के चौधरी ने सीजी वाल को बताया कि कोलडिपो के बारे में हमें कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है। मै अकाउन्ट सेक्शन का कर्मचारी हूं। ज्यादा जानकारी के लिए मैनेजर बीएम गुप्ता और,एन.के मालपानी से सम्पर्क करना होगा। काफी कुरेदने के बाद चौधरी ने दो चार पौधों की ओर इशारा करते हुए बताया कि पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा गया है। इससे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत भी नहीं है। काफी ना नुकुर के बाद चौधरी ने बताया कि कोल डिपो की क्षमता दो हजार मिट्रिक टन की है। लेकिन माल इससे ज्यादा ही रहता है। कोयले की हमेशा जरूरत रहती है। यहां से कोयला सिरगिट्टी स्थित कोलवाशरी( भाग चार में पढ़ें) को भेजा जाता है।

                              IMG-20160430-WA0036चौधरी ने बताया कि गावों में पर्यावरण की जरूरत नहीं है। आस पास पर्याप्त पेड़ पौधें है। सड़क की खस्ता हालत पर चौधरी ने बताया कि ओव्हर लोड हाइवा चलेगी तो सड़क का कबाड़ा होना लाजिम ही है। सड़क की क्षमता ही कितनी है। सड़क निर्माण में अधिकारी भ्रष्टाचार करते हैं इसलिए सड़क बरबाद हो गयी है। सीजी वाल को चौधरी ने बताया कि सड़क हम क्यों बनावाएं। यह आमरास्ता है। यहां सात कोलडिपो हैं उनकी भी गाड़ियां चलती हैं। इसलिए कंपनी समय और पैसा नहीं करेगी। हां कभी कभी अधिकारी आते तो हैं लेकिन निर्देश देकर चले जाते हैं। हम पर ना तो पर्यावरण विभाग का दबाव है और ना ही माइन विभाग का। जिला प्रशासन सड़क बनवाना चाहे तो बनवाए हमें कुछ नहीं करना है।

                पर्यावरण विभाग के रसायनज्ञ एस.के.दीवान ने बताया कि सड़क और पर्यावरण की शिकायत लगातार मिल रही है। शिकायत और जांच के बाद सभी कोल प्लांट के मालिकों को नोटिस जारी किया गया है। जल्द से जल्द सड़क बनाने और पर्यावरण को संतुलित करने का निर्देश दिया गया है। निर्देशों का पालन नहीं होने पर कार्रवाई की जाएगी।

             सीजी वाल को दीवान ने बताया कि पर्यावरण के शर्तों का पालन करना किसी के लिए संभव नहीं है। जो कंपनी थोड़ा बहुत पालन करती है विभाग उसके साथ सहयोगात्मक रूख रखता है।

          IMG-20160430-WA0035सीजी वाल के ओव्हर स्टोरेज की शिकायत पर माइनिंग अधिकारी ने बताया कि सीपीसीबीएल को शासन से भण्डारण अनुज्ञा पत्र हासिल है। एनओसी के बाद ही उन्हें लोखण्डी में निश्चित जमीन पर भण्डारण की अनुमति दी गयी है। माइनिंग अधिकारी के.के.बंजारे के अनुसार सीपीसीबीएल को दो साल के लिए भण्डारण की अनुमति दी गयी है। कोलडिपो में दो हजार मीट्रिक टन का भण्डारण कर सकते हैं। हम लोग समय समय पर कोल डिपों की मानिटरिंग करते हैं। अधिक भण्डारण होने पर कार्रवाई का प्रावधान है। वास्तविकता तो यह है कि सीपीसीबीएल कोल डिपो में कोयले का कृत्रिम पहाड़ दूर से ही दिखाई देता है। पहाड़ की सिंचाई अठारह घंटे की जाती है। डिपो में कलेक्टर आदेश की धज्जियां उड़ाते कई मोटर पंप व्यवस्था की पोल खोलती हैं। जलस्तर 150 से 200 फिट नीचे पहुंच का है। अरपा के तट पर बसे कई कुएं सूख गए हैं। बावजूद इसके सीपीसीपीएल में पानी दुरूपयोग किया जा रहा है।

                    बहरहाल यह तो अधिकारियों के अपने अपने दावे हैं। कोल प्लांट कर्मचारी के अपने तर्क हैं। सच्चाई यह है कि सीपीसीबीएल ने ना तो पर्यावरण के शर्तों का पालन किया है..और ना ही माइनिंग के नियमों की परवाह। फिल मिनरल्स से चंद कदम दूर सकरी बायपास के पास सीपीसीबीएल क्षमता से अधिक कोयले का संग्रहण कर नियमों की सरे आम धज्जियां उडा रहा है। कोई इसे देखने वाला भी नहीं है। सीजी वाल की टीम ने पाया कि हाइवा में क्षमता से टनों अधिक कोयला लोड कर सिरगिट्टी स्थित कोलवाशरी और साइडिंग में भेजा जा रहा है। ऊपर से कंपनी कर्मचारी चौधरी का दावा है कि इस लाइन में इतना हेर फेर चलता है। कितने नियमों का ध्यान रखा जाएगा।

                   IMG_20160420_113712हांपा के सरपंच छालीवुड कलाकार विजय भौमिक ने बताया कि हम लोग डिपो से उड़ने वाले कोयले से परेशान हैं। खेत पूरी तरह से बरबाद हो चुके हैं। पुराने सरपंच ने ग्राम वासियों के विरोध के बाद भी कोल डिपो लगाने की अनुमति दी है। हम लोग शासन से कोल डिपो हटाने की लगातार मांग कर रहे हैं। अधिकारियों के सामने नाक रगड़ते रगड़ते परेशान हो चुके हैं। बावजूद इसके हमारी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। लोखण्डी सरपंच सावित्री छात्रे ने बताया कि अब हम लोग घुट घुट कर जिन्दगी जीने की आदत डाल रहे हैं। हमारी आवाज नक्कार खाने में तूती साबित हो रही है।

                  हांपा और लोखण्डी के ग्रामीणों ने बताया कि फिल और सीपीसीबीएल को जितनी जमीन में डिपो खोलने का अधिकार दिया गया था। कोल डिपो और वाशरी को उससे कहीं ज्यादा स्थान पर स्थापित किया गया है। भण्डारण भी शर्तों से ज्यादा किया गया है। कोल व्यावसायी उनकी जमीन को हड़पना चाहते हैं। पहले तो इन्होने खेती करने के बहाने जमीन खरीदा अब एम्पायर बनाने के लिए जमीन हथियाना चाहते हैं।

                    ग्रामीणों के अनुसार सड़कें बद से बदतर स्थिति में हैं। इससे पहले बल्कि अच्छा था। पगडण्डी ही सही लेकिन मौत का साया नहीं था। विशाल हाइवा से कई बार कई लोगों की जान जा चुकी है। कोयले के ड्स्ट से स्कूल, घर द्वार, फसल सब बरबाद हो रहे हैं। कभी कभी तो ऐसा लगता है कि हमारे क्षेत्र में व्यापारियों की सरकार चल रही है। हमारी पीड़ा को ना तो जिला प्रशासन सुन रहा है और ना ही व्यापारियों की सरकार ही सुन रही है। हम लोग हार चुके हैं। यदि कुछ समझ में नहीं आएगा तो एक दिन उग्र आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद जो कुछ भी होगा देखा जाएगा। लेकिन सीपीसीबीएल को यहां से उखाड़ फेंका जाएगा।

                  सीजी वाल की टीम ने पाया कि ग्रामीणों मे ना केवल सीपीसीबीएल बल्कि क्षेत्र के अन्य कोल प्लांट को लेकर भी गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों की आवाज ना तो सरकार तक पहुंच रही है और ना ही स्थानीय प्रशासन तक। जो कुछ समझ में आया उससे यही जाहिर होता है कि आखिर कोई तो है जो बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश कर रहा है। संसद चुप…सड़क मौन है।

                                                                      जारी है…..सिरगिट्टी स्थित  सीपीसीबीएल की कोलवाशरी पर विशेष रपट सीजी वाल में पढ़ने को मिलेगा….

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